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चुदासी चाची के साथ मस्ती से भरी रंगरेलियां 2

पुसी लिक हिंदी स्टोरी में पढ़ें कि चाची खुल कर अपनी चुदाई करवाने के लिए मुझे लेकर होटल के कमरे में आई. होटल में कोई डर नहीं था.

हैलो फ्रेंड्स, मैं परिमल पटेल एक बार फिर से आपको अपनी मदमस्त चुदक्कड़ चाची की देसी चुदाई की कहानी में स्वागत करता हूँ.

इस सेक्स कहानी के पिछले भाग
चुदासी चाची को उनके घर में चोदा
में आपने पढ़ा था कि एक विज्ञापन को पढ़ कर मैंने अपने लंड को काफी मोटा व लम्बा कर लिया था.
मैं अपने लौड़े की साइज़ से काफी खुश था और अपनी ख़ुशी को चाची से बांटने उनके घर में किचन में आ गया था.
मैंने चाची के कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड में लंड घिसा, तो चाची थर्रा गईं.

अब आगे पुसी लिक हिंदी स्टोरी:

मैंने चाची से कहा- चाची आपकी ख्वाहिश पूरी हो गई. अब आप परिमल के लंड से नहीं, बल्कि आज आप नौ इंच लम्बे घोड़े जैसे लंड से चुदोगी.
चाची बोलीं- क्या सच में!

मैंने चाची को छोड़कर अपने पैंट की जिप खोली और अपना मूसल सा लंड बाहर निकाला.
मेरा मोटा लंड देखकर चाची का मुँह खुला का खुला ही रह गया. वह बहुत खुश हुईं और मेरे लंड के ऊपर एक चुम्मा भी दे दिया.

चाची बोलीं- यह सचमुच तुम्हारा लंड है या किसी और का लगा लिया! मुझे तो यकीन ही नहीं होता.
मैंने हंस कर दिखा दिया.

वो मुझे किस करने लगीं और बोलीं- तुम्हारा लंड अब मैं यहां घर में नहीं लूंगी … बल्कि बाहर होटल में जाकर पूरा दिन खूब चुदाई करेंगे … और मजे करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है जैसी आपकी मर्जी.

चाची बोलीं- और हां, यहां भरुच में होटल बुक मत करना बल्कि सूरत में एक अच्छे वाले होटल में एक रूम बुक कर लेना. मैं तुम्हारे चाचा को राजी कर लूंगी और बाहर जाने के लिए उन्हें मना लूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, जैसी आपकी मर्जी.

मैं अपने घर चला आया.
अब मैं इंतजार नहीं कर सकता था.
मैंने पिछले एक महीने से चुदाई नहीं की थी और अभी रविवार को चार दिन बाकी थे.

फिर अगले दिन मेरे पिताजी का जन्मदिन था तो शाम को हमने एक छोटी सी पार्टी जैसी रखी.
उसमें हमने चाचा और चाची को भी बुलाया था.

पार्टी हुई, केक कटा और उसके बाद हम लोगों ने खाना खाया.
खाने के बाद दोनों परिवार साथ में ही बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे.

उसी बीच में चाची, चाचा से बोलने लगीं- मेरी एक बचपन की सहेली पिछले दस सालों से केनेडा में थी, वह वापस घर आई है. उसका घर सूरत में है, तो अगले शनिवार को क्या मैं उससे मिलने चली जाऊं?
चाचा बोले- हां क्यों नहीं, मिलने जरूर जाओ.

चाची बोलीं- ठीक है आप मेरे साथ आओगे ना … वर्ना मैं किसके साथ जाऊंगी?
चाचा बोले- हां मैं तुम्हारे साथ आ जाऊंगा.

ये सुनकर चाची की मोमबत्ती बुझ गई.
पर चाचा ने आगे कहा- थोड़ी देर में मिल कर घर वापस आना हो, तो मैं साथ चला चलूँगा, वर्ना मैं नहीं जाऊंगा.

चाची बोलीं- अरे ऐसे कैसे, मैं तुरंत कैसे वापस आ जाऊंगी. कितने सालों से मैं अपनी सहेली से नहीं मिली. मुझे वापस आने में एक-दो दिन तो लगेंगे ही न!
चाचा मुँह बनाने लगे.

चाची- उसके पापा ने उसके आने की खुशी में अपने घर पर एक छोटा सा फंक्शन भी रखा है. इसलिए हम लोग दूसरे दिन ही वापस आ पाएंगे.

अब चाचा बोले- नहीं, अगर तुरंत वापस आना हो, तो मैं आऊंगा वर्ना तुम अकेली चले जाना. मुझे यहां बहुत काम हैं.
चाचा की इस बात से चाची को राहत मिल गई और वो बोलीं- तो क्या मैं अपने साथ परिमल को ले जाऊं?

चाचा बोले- हां क्यों नहीं, यह तो बहुत अच्छी बात है. इसके बहाने परिमल को भी तुम्हारे साथ घूमने का मौका मिल जाएगा और तुम्हारी सहेली के साथ मिलना भी हो जाएगा.
अब चाचा मुझसे बोले- क्यों परिमल जाओगे ना चाची के साथ?

मैं तो अन्दर ही अन्दर खुश हो रहा था और चाचा को दिखाने के लिए सोचने लगा.

चाचा बोले- क्या यार परिमल, तुम भी इतना क्यों सोचते हो. एक दिन शनिवार को छुट्टी ले लेना और संडे को तो तुम्हारी छुट्टी रहती ही है.
मैंने कहा- ठीक है चाचा, मैं चाची के साथ चला जाऊंगा.

मैं और चाची अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हुए और मेरे मम्मी पापा भी मान गए.

मेरी मम्मी ने भी चाची से बोल दिया- हां ऋत्विका, तुम अकेली मत जाना. जमाना बहुत खराब है. परिमल को अपने साथ ले ही जाना. वह बाईक ले लेगा, तुम दोनों बाईक पर चले जाना.

ये सुनकर मैं तो ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था.

कुछ देर बाद चाचा चाची अपने घर चले गए.
उनके जाते ही मैंने सूरत में एक बेहतरीन होटल खोजा और उसमें एक कपल वाला रूम बुक कर दिया.

अब मैं शनिवार का इंतजार करने लगा.
अभी शनिवार को 2 दिन बाकी थे.
जैसे तैसे मैंने वो दो दिन निकाले.
वो दो दिन मुझे दो महीने जैसे लगे.

फिर आखिर में शनिवार का दिन आ ही गया.
मैं और चाची दस बजे तैयार हो गए.

मैंने थोड़े अतिरिक्त कपड़े भी ले लिए और चाची को बुलाने चला गया.
चाची भी रेडी होकर मेरा ही इंतजार कर रही थीं.
वो मुझे देख कर खड़ी हो गईं और चाचा को बाय बोल कर बाहर जाने लगीं.

चाचा बोले- कल ही वापस आ जाना … ज्यादा दिन मत रुकना.
चाची बोलीं- हां ठीक है, आ जाऊंगी. तुम खाना अपने भाई के घर घर खा लेना.

उनका कहने का मतलब चाचा को मेरे घर खाना खाने के लिए था.
चाचा बोले- ठीक है.

फिर चाची घर के बाहर आईं तो क्या गजब की माल लग रही थीं.
चाची ने आज हरे रंग के डिजाइन वाला पंजाबी कुर्ता पहन रखा था और सफेद कलर का चुस्त लोअर पहन रखा था.
उनका लोअर उनकी टांगों के साथ चिपक गया था.

चाची के यह कपड़े थोड़े पुराने थे और अब चाची की बॉडी कुछ ज्यादा भर गई थी, इसलिए ये वाले कपड़े चाची को बहुत चुस्त आ रहे थे.

कुर्ते में आगे की ओर से चाची के बड़े-बड़े मम्मे उछल रहे थे और पीछे की ओर चाची की मोटी गांड मटक रही थी.
सफेद दूध जैसे चेहरे पर चाची के कुछ बाल उड़ रहे थे.
वो गजब की हसीना लग रही थीं.

मैं तो चाची को देखते ही उनके हुस्न में खो सा गया था.

फिर चाची मेरे पास आईं और धक्का देती हुई बोलीं- कहां खोए हुए हो?
मैंने आंह भर कर कहा- आपके ही बारे में सोच रहा था.

चाची बोलीं- चल झूठे. अब चल गाड़ी स्टार्ट कर.
फिर मैंने बाइक स्टार्ट की और चाची मेरे पीछे बैठ गईं.

हम लोग सूरत जाने के लिए निकल पड़े.

मैंने अपना बैग मेरी आगे टंकी पर रख लिया ताकि चाची मुझसे चिपक कर बैठ सकें.

फिर वैसा ही हुआ बाइक पर बैठ कर चाची ने अपने दोनों हाथ मेरे पेट के ऊपर बांध दिए और पीछे से मुझसे चिपक कर बैठ गईं.
उनके दोनों बड़े बड़े मम्मे मेरी पीठ से रगड़ने लगे.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

रास्ते में चलते अपने साधनों से भी दूसरे लोग हमारी ओर ही देख रहे थे.
चाची ने अपना दुपट्टा मुँह से ढक दिया और फिर से आगे की ओर हाथ लाकर बांध दिए.
वो रोमांटिक बातें करने लगीं.

कोई 12:00 बजे हम दोनों सूरत आ पहुंचे और वहां जाकर पहले कुछ खाना खाया.
फिर मैंने मेडिकल स्टोर पर से वियाग्रा यानि लंबे समय तक चुदाई करने वाली गोलियां ले लीं. ऑयल की एक छोटी बोतल भी ले ली.
दूसरे स्टोर से कुछ चार पांच एनर्जी ड्रिंक की बोतलें भी ले लीं.

फिर हम दोनों अपने होटल के लिए निकल पड़े.

करीब 1:00 बजे होटल आ गए.
वेटर हमें हमारा रूम दिखाने लाया.
हम दोनों रूम में आए और दरवाजे के बाहर ‘डू नॉट डिस्टर्ब …’ का बोर्ड लगा कर बंद कर दिया.

मैंने ऐसी ऑन किया.
बहुत बहुत गर्मी थी जिसकी वजह से चाची का पूरा चेहरा लाल हो गया था.

चाची बोलीं- मैं फ्रेश होकर आती हूं.

मैं सोफे पर बैठ गया और एक एनर्जी ड्रिंक की एक बोतल पीने लगा.

चाची बाहर आईं तो मैंने चाची को एक सेक्स की गोली दे दी और मैंने भी पानी के साथ एक गोली ले ली.

चाची ने पानी के साथ गोली ले ली.
मैं चाची से बोला कि चाची अब आप पहले अपना एनर्जी ड्रिंक पी लीजिए, तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूं.
चाची ने ड्रिंक की बोतल उठा ली और पीने लगीं.

मैं बाथरूम से बाहर आया और चाची से पूछा कि आपने ड्रिंक पी लिया न!
तो चाची बोलीं- हां पी लिया, अच्छा था.

मैंने चाची को सोफे पर ही अपनी बांहों में ले लिया और होंठ पर किस करने लगा.
चाची भी मेरा साथ देने लगीं.

मैंने चाची को गोद में उठा लिया और बेड के ऊपर जोर से फेंका.
बेड का गद्दा बहुत मुलायम और जंपिंग वाला था, जिससे चाची इतनी जोर से ऊपर ऊछलीं कि उनकी गांड और मम्मे मस्त सीन दिखाने लगे.

मैं चाची के ऊपर टूट पड़ा और उनके पूरे मुँह पर, गर्दन पर किस करने लगा.

उनके कपड़े निकाल दिए, अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही थीं.
मैंने भी देर ना करते हुए अंडरवियर के अलावा सारे कपड़े निकाल दिए.

कुछ देर चूमाचाटी के बाद मैंने चाची की ब्रा को भी निकाल दिया और चाची के सर के बाल भी खोल दिए जिससे चाची एकदम गजब की रंडी दिख रही थीं.

उनके गोरे बदन पर बड़े बड़े खरबूजे की तरह मम्मे थिरक से रहे थे. एक मम्मे के ऊपर सर के बाल बिखरे पड़े थे.

मैंने अपना मुँह चाची के एक मम्मे पर लगा लिया और चूसने लगा, काटने लगा.

चाची भी धीरे-धीरे गर्म होने लगीं और सिसकारियां निकालने लगीं.

मम्मे चूसने के साथ ही मैंने चाची की पैंटी को भी निकाल दिया.
अब चाची की मस्त गुलाबी चूत के दर्शन सुलभ हो गए.

मैंने देखा कि आज चाची अपनी चूत को पूरा सफाचट करके आई थीं.
चूत के ऊपर एक भी बाल नहीं दिख रहा था.

मैंने भी दो दिन पहले ही लंड के जंगल को साफ़ करके रखा था.

जल्द ही मैंने अपना मुँह चूत के ऊपर रख दिया और चाची की चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा.

चाची पागल होने लगीं और मेरा मुँह अपनी दोनों टांगों में जकड़ लिया.
वो मुझे अपनी टांगों से खींच कर अपनी चूत के ऊपर दबाने लगीं.

मैं भी नहीं रुका और चूत के अन्दर जीभ फिराता रहा.
चाची की चूत के दाने को काटता रहा.

पांच मिनट की चूत चुसाई के बाद चाची ने जोर जोर से आआह हह करते हुए आने बदन को अकड़ाना शुरू कर दिया और अपनी चूत का पानी फैंक दिया.
उनकी चूत में से निकला आधा रस तो मेरे मुँह में चला गया और आधा उनकी जांघों को भिगोने लगा.

चाची की चूत के रस का स्वाद अच्छा था; मैंने चाची की जांघों को चाट कर रस साफ़ कर दिया.

अब चाची थोड़ी ढीली हो गई थीं.
वो कुछ मिनट तक ऐसे ही मेरा सर अपनी दो टांगों के बीच में फंसाकर मेरे सर के बालों में अपना हाथ फिराती रहीं.

फिर चाची ने मुझे अलग किया और उठकर मेरी भी अंडरवियर निकाल दी.

मैं चित लेट गया. मेरा मूसल सा लंड बाहर निकल कर एकदम टाइट खड़ा हो गया था.

चाची मेरा साढ़े नौ इंच का लंड देखा तो ऐसे खुश हो गईं, जैसे किसी बच्चे को उसकी मनपसन्द का खिलौना मिल गया हो.
चाची ने एक पल लंड को निहारा मसला और सीधा अपने मुँह में ले लिया.

अब चाची मेरा लंड चूसने लगीं  लॉलीपॉप की तरह … और अपने दोनों हाथों से जोर-जोर से आगे पीछे करने लगीं.एक तरफ से चाची अपने हाथों और मुँह से मेरे लंड की मुठ मारने लगी थीं.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर चाची ने अपने दोनों हाथ पर ऑयल लगा लिया और दोनों हाथ से मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ लिया.
वो जोर जोर से दोनों हाथ ऊपर नीचे करने लगीं.

मेरा लंड किसी मथानी की तरह मथने लगीं.

इस खेल में चाची से अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को मुट्ठी में भर कर दबा देतीं, फिर भी मेरा थोड़ा लंड बाहर निकला रहता था.

चाची ने कुछ पल तक अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को आगे पीछे करना चालू रखा.
वो शायद मेरे लंड की लम्बाई मोटाई का जायजा ले रही थीं.

थोड़ी देर बाद मेरा लंड अन्दर से टाइट होने लगा, मुझे काफी मजा आने लगा.
मैंने अपने दोनों हाथ पलंग पर फैला दिए और ऐसा फील करने लगा, जैसे मैं आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा हूं.

कुछ देर बाद अचानक मेरे लंड में से पिचकारी निकली तो चाची मेरा सारा माल चाट गईं और पी गईं.

मैं बेड पर ढेर हो गया था.
चाची भी मेरी बाजू में लेट गईं.

दोस्तो, आज मेरे लंड से खेल कर चाची बहुत खुश हो गई थीं.
अभी उनकी चूत में जब मेरा हब्शी बन चुका लंड अन्दर जाएगा, तब क्या हाहाकार मचेगा, वो मैं आपको अपनी चाची की देसी चुदाई की कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.

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