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दक्षिण भारत की ब्यूटी दिल्ली में ठोकी

दक्षिण भारत की ब्यूटी दिल्ली में ठोकी

हॉट केरला गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं मेरी दुकान के सामने से गुजरने वाली लड़की को पसंद करने लगा, उसे चोदने का मन हो गया। मैंने उसको पटाकर कैसे ठोका?

दोस्तो, मेरा नाम अक्षित है।

दिल्ली में मेरी एक दुकान है। मेरी दुकान के पास एक लड़की रहती थी। उसका नाम जोया था।
वो रोज मेरी दुकान के सामने से जाया करती थी।

धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी और रोज उसको देखने की आदत हो गई।
वो रंग से थोड़ी सांवली थी लेकिन उसका फिगर बहुत मस्त था।

अक्सर वो सूट और सलवार में ही दिखती थी।
उसकी चूचियां काफी विकसित थीं और उसके सूट में एकदम से तनी हुई दिखाई पड़ती थीं।
कई बार तो उसकी गांड भी अच्छे से दिखाई पड़ती थी।

किसी दिन जब वो फिट पजामी पहन कर आती थी तो उसके कुर्ते में कूल्हे के पास वाले कट से उसकी मस्त शेप वाली जांघें और चूतड़ों की गोल शेप भी दिखाई पड़ती थी।

ये नजारा देखते ही मेरा लंड एकदम से अकड़ कर खड़ा हो जाता था और मन करता था कि उसको दुकान के अंदर ले लूं और लिटाकर चोद दूं।
अब धीरे धीरे मैं उसके आने जाने के टाइम पर नजर रखने लगा था।

जब उसका आने का टाइम होता था तो मैं पहले ही दुकान के बाहर निकल कर खड़ा हो जाता था और उसका इंतजार करने लगता था।
मैं जानता था कि वो आएगी तो इसी रास्ते से ही!

इसलिए मैं पहले ही दुकान के बाहर खड़ा होकर उसकी राह देखने लगता था।
जब वो सामने से आती थी तो मैं उसको ही देखने लग जाता था।
वो भी मेरी ओर देखती थी लेकिन तुरंत नजर दूसरी तरफ हटा लेती थी।

जब तक वो मेरी दुकान तक पहुंचती तो तब तक हम दोनों की नजरें कई बार मिल चुकी होती थी।
ऐसे ही अब रोज होने लगा।

धीरे धीरे वो समझ गई कि मैं उस पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा हूं।

अब एक दो बार वो मुझे देखकर हल्की से मुस्करा भी जाती थी।
ये देखकर मेरे मन में हलचल मच जाती थी।
मुझे लगने लगा था कि मैं जल्दी ही उसके साथ सेक्स के मजे ले पाऊंगा।

मगर कई दिन बीत जाने के बाद भी उसकी ओर से कोई खास पहल नहीं हुई।
मैंने सोचा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा; इसके भरोसे रहा तो ये हाथ से निकल जाएगी।

एक दिन जब वो मेरी दुकान के सामने से गुजरी तो मैं उसके पीछे जाने लगा।
उसको अंदाजा नहीं था कि मैं उसका पीछा भी कर सकता हूं इसलिए वो पीछे मुड़कर भी नहीं देख रही थी।

एक सुनसान गली में जाकर मैंने उसको रोक लिया।
वो एकदम से घबरा गयी और मेरी ओर हैरानी से देखने लगी।
मैंने उसका हाथ थामा और एक पर्ची उसके हाथ में थमा दी।

वो सहम सी गई और वहां से भाग गई।
मैंने सोचा कि पता नहीं वो पर्ची को देखेगी भी या नहीं।
फिर भी एक उम्मीद थी कि वो भी शायद मुझे पसंद करती है।

मैं अनजान नम्बर से कॉल या मैसेज का इंतजार करने लगा।
फिर एक अनजान नम्बर से मेरे व्हाट्सएप पर मैसेज आया।
मैंने पूछा तो उसने अपना नाम जोया बताया।

मुझे उसका नाम नहीं पता था इसलिए मैं पहचान नहीं पाया।
पूछने पर उसने कहा- मैं वही हूं जिसे तुमने आज अपना नम्बर पर्ची पर लिखकर दिया था।
ये देखते ही मैं तो खुशी के मारे झूम उठा।

उसने तुरंत पूछा- क्या बात करना चाहते हो, ऐसे बीच रास्ते में तुमने मुझे क्यों रोका? अगर कोई देख लेता तो?

मैं बोला- सॉरी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन मैं तुमसे अपने दिल की बात नहीं कह पा रहा था इसलिए मेरे पास कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था मुझे!

वो बोली- क्या बात करना चाहते हो, कहो?
मैंने सीधे ही बोल दिया- जोया, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, क्या हम दोनों में दोस्ती हो सकती है?

उसने मैसेज तो पढ़ लिया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने रात तक उसके रिप्लाई का इंतजार किया लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।
मगर मुझे ये उम्मीद भी थी कि वो भी शायद यही चाहती है क्योंकि उसने अभी तक मेरे नम्बर को ब्लॉक नहीं किया था।

अगर उसकी तरफ से कुछ नहीं होता तो वो या तो उसी वक्त मना कर देती या फिर मेरे नम्बर को ब्लॉक कर देती।
मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया।
इसलिए एक उम्मीद अभी भी मेरे मन में बंधी हुई थी।

उस रात को मैं सो गया।

अगले दिन जब वो आई तो मैंने रास्ते में फिर उसी जगह पर उसको रोक लिया।
मैंने उससे पूछा- तुमने मेरे मैसेज का रिप्लाई क्यों नहीं दिया? मुझे कुछ तो जवाब देती?

जोया बोली- मैं तुमको पसंद करती हूं लेकिन मैं तुमसे नहीं मिल सकती हूँ। अगर किसी को हमारे बारे में पता लग गया और किसी ने मेरे घरवालों को बता दिया तो वो मेरा विश्वास कभी नहीं करेंगे।

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उससे कहा- मैं तुमसे वादा करता हूं। किसी को भी हमारे बारे में कुछ भी नहीं पता चलेगा।
उसको मैंने आई लव यू बोला तो वो शर्मा गई।

फिर मैंने यहां वहां देखकर उसके गाल पर किस कर लिया।
वो एकदम से पीछे हट गई और बोली- क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा यहां?
मैंने कहा- तो फिर ऐसी जगह मिलते हैं न जहां कोई नहीं देखेगा.
इस पर शर्माकर वो वहां से भाग गई।

मैंने उसे कहा- कल मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।
मगर उसने मुड़कर नहीं देखा और सीधी निकल गई।
उसके बाद मैं शाम तक दुकान पर रहा और फिर घर चला गया।

रात को घर पहुँचा तो मैं बहुत उतावला हो रहा था।
मैंने जल्दी से खाना खाया और उसको मैसेज किया।
उसने भी रिप्लाई कर दिया।

इस तरह से हमारी चैट शुरू हो गई और हम दोनों दिन-रात मैसेज पर लगे रहते।

उसने मुझे बताया कि वो मूलतः केरल राज्य में मन्नार की रहने वाली है. उसके पापा केन्द्रीय सरकार की सेवा में हैं तो उनका स्थानान्तरण होता रहता है. उन्हें दिल्ली आये 7-8 महीने ही हुए हैं.

धीरे धीरे बीतते दिनों के साथ हम दोनों में कामुक बातें भी होने लगीं; हम दोनों सेक्स चैट भी करने लगे थे।

एक दिन उसने मुझे अपने चूचे दिखाए।
उसके चूचे देखकर तो मेरा लंड फनफना उठा। मैंने उसी रात तीन बार मुठ मार डाली।
उसकी चूचियों को देखकर बस मन मचल उठता था कि उनको दबा दबाकर इनका सारा दूध पी जाऊं।

फिर रोज इस तरह से हम दोनों में अश्लील बातें होने लगीं।

एक दिन मैं बहुत गर्म था तो मैंने जोश में आकर उसको अपने लंड की फोटो भेज दी।

वो केरल गर्ल मेरा लंड देखकर दंग रह गई; वो बोली- अरे … तुम्हारा इतना बड़ा है!!
मैं बोला- हां जान … ये तुम्हारी चूत में जाना चाहता है। इसलिए गुस्से से लाल हो रहा है।
ये सुनकर वो हंसने लगी।

मैंने कहा- डार्लिंग … अपनी चूत तो दिखाओ प्लीज … बहुत मन कर रहा है देखने का।!
उसने मेरे कहने पर फोन को एक जगह सेट कर दिया और फिर अपनी सलवार को उतारने लगी।

फिर उसने अपने कमीज को ऊपर करके दांतों में पकड़ लिया और पैंटी नीचे खींच दी।
उसने अपनी सांवली चूत के दर्शन मुझे करवाये।

मैं झट से बोला- इसको उंगलियों से खोलो मेरी जान … जल्दी!

इधर मैं अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था।
वो अपनी चूत को उंगलियों से खोलकर दिखाने लगी।
उसकी चूत अंदर से गहरी गुलाबी थी।
आह्ह … क्या रसीली चूत थी उसकी दोस्तो …

मैं तो तेजी से लंड की मुठ मारने लगा।
जल्दी ही मेरा माल निकल गया।

मैं बोला- जोया रानी … मैं तुझे चोदना चाहता हूं, अभी के अभी!
वो बोली- हां, मन तो मेरा भी है लेकिन अब तो कुछ नहीं हो सकता है।

फिर वो बोली- हां, मगर कल मेरे मम्मी पापा सुबह ऑफिस के लिए चले जाएंगे। अगर तुम दस बजे मेरे घर आ सको तो आ जाना।
मैं ये सुनकर खुश हो गया।

उसके बाद हम देर रात तक एक दूसरे से बातें करते रहे और फिर ऐेसे ही बातें करते करते सो गए।
अगले दिन मैं ठीक दस बजे उसके घर पहुंच गया।

मैंने सोचा कि दुकान आज दोपहर के बाद ही खोलूंगा।

उसके घर में घुसते ही हम दोनों एक दूसरे के गले से लिपट गए, एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
ऐसा लग रहा था दोनों ही तरफ से प्यास बराबर की लगी हुई थी।

हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे।

चूमते चूमते हम सोफे पर लेट गये और फिर जल्दबाजी में ही हमारे कपड़े उतरने लगे।
मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसकी ब्रा को खोलकर उसकी सांवली सी चूचियां खुली कर दीं।

मैं उसकी चूचियों में मुंह देकर उसके बूब्स पीने लगा और वो मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
सेक्स इतना चढ़ता जा रहा था कि मैं उसकी निप्पलों को काट काटकर खाने की कोशिश करने लगा और वो हर बार कराह जाती थी।

उसकी चूचियों को मैंने खूब दबा दबाकर पीया और फिर उसके पेट से होते हुए उसकी नाभि में जीभ से चाटने लगा।
वो अब मदहोश होने लगी।

फिर मैंने उसकी लोअर को उतार दिया और उसकी पैंटी को भी साथ में ही खींच दिया।
नीचे से अब मैं उसे नंगी कर चुका था।

मैंने उसकी चूत पर मुंह रखा और जीभ से चाटने लगा।
वो एकदम से पागल सी होने लगी और अपनी चूत को बार बार मेरे मुंह की ओर धकेलने लगी।

जब उससे रुका न गया तो बोली- बस करो … अब डाल दो … मुझे कुछ हो रहा है … जल्दी करो … प्लीज … कुछ करो।
मैं समझ गया कि अब इसकी चूत को लंड की प्यास लगी है।

मगर मुझे उसको ऐसे तड़पते देखकर और ज्यादा उत्तेजना हो रही थी।
मैंने उसकी चूत में फिर से जीभ से चाटना शुरू कर दिया।

अब वो अपनी चूचियों को भी जोर जोर से भींचकर अपनी उत्तेजना को शांत करने की कोशिश करने लगी।

उससे बिल्कुल न रहा गया और उसने जोर से मेरे सिर को अपनी चूत में दबा दिया और एकदम से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

मैंने उसकी चूत में पूरा मुंह दबा दिया और सारा पानी अपने मुंह में आने दिया।
चूत से निकले रस को मैं चाट गया।

उसने फिर मुझे पीछे की ओर धकेला और बेड पर गिराकर मेरा खड़ा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
अब मैं भी तड़पने लगा।
वो इतना मजा देने लगी कि मैं जन्नत की सैर करने लगा।

मुझे नहीं पता था कि वो लंड को चूसने में इतनी माहिर निकलेगी।

कुछ ही देर में मेरी सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … जान … क्या कर रही हो … छूट जाएगा मेरा … आह्ह … आराम से यार … आह्ह … उफ्फ … जान ले रही हो यार तुम तो!

वो बस बिना रुके मेरे लंड को चूसती जा रही थी।
मुझे लगा कि अगर ये ऐसे ही मेरे लंड के पीछे पड़ी रही तो मैं अब और दो मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाऊंगा।

मैंने उससे कई बार कहा कि लंड को छोड़ दो, तब जाकर उसने लंड को मुंह से निकाला और हांफते हुए मुस्कराने लगी।
मेरा हाल बेहाल कर दिया था उसने!

लौड़ा चूसने के बाद वो उठी और खुद ही अपनी चूत को मेरे लंड पर सेट करते हुए उस पर बैठ गई।
अब उसने धीरे धीरे करके मेरा पूरा लंड चूत में ले लिया और उसकी सवारी करने लगी।

हम दोनों के मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं, आह्ह … आह्ह … आह्हा … आह्ह … ओह्ह … स्स्स … आह्ह … करके हम दोनों ही चुदाई का मजा ले रहे थे।

पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया और मेरा पूरा लंड भीग गया।
अब वो ढीली पड़ने लगी तो मैंने उसे नीचे गिरा लिया और उसकी चूत में फिर से लंड को पेल दिया।

मैं तेजी से उसको चोदने लगा।
उसकी चूत अब दर्द कर रही थी क्योंकि उसका पानी निकल चुका था और मेरे लंड की ठोकरें वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

मगर मैं लगातार उसकी चूत को ठोकने में लगा हुआ था।
उसकी चूत में मेरे लंड की ठोकर अंदर तक चोट कर रही थी जिससे उसके चेहरे पर दर्द और आनंद दोनों के ही भाव दिखाई दे रहे थे।

मैंने करीब अगली पांच-सात मिनट तक उसकी चूत को जमकर ठोका और फिर अपना वीर्य उसकी चूत में ही गिरा दिया।
फिर मैं भी उसके ऊपर लेटकर हांफने लगा।

हम दोनों की सांसें फूल रही थीं।
कुछ देर तक हम पड़े रहे और फिर उसके बाद हम उठ गए।

मैं एक बार फिर से उसे चोदना चाह रहा था मगर उसने मना कर दिया।

उधर मेरी दुकान का भी टाइम निकल रहा था।

उसने कहा- खाना खाकर जाना!
तो मैं रुक गया।

उसने खाना बनाया और मैं वहां से खाना खाकर निकल गया।

उसके बाद उस सांवली सलौनी लड़की को मैंने कई बार चोदा।

उसकी गांड चुदाई का भी मैंने मजा लिया। उसकी गांड चुदाई की कहानी मैं आपको अगली बार बताऊंगा।

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