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स्कूल फ्रेंड की कुंवारी बुर की चुदाई

स्कूल फ्रेंड की कुंवारी बुर की चुदाई

हॉट इंडियन गर्ल सेक्स कहानी में मैंने अपनी स्कूल की दोस्त को अपने गाँव में चोदा. यह हम दोनों का पहला सेक्स था. हमने पहली बार में ही ओरल सेक्स भी किया.

मेरा नाम विजय है और मेरी दोस्त का नाम रानी है।

बात उस वक्त की है जब हम दोनों ही 12वीं के एग्जाम देकर रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे।

मैं कई साल से अपने गांव भी नहीं गया था तो सोचा कि कॉलेज शुरू होने से पहले एक बार गांव घूम आता हूं।

मैंने अपनी दोस्त रानी से भी चलने के लिए पूछा तो वो भी जाना चाहती थी।
फिर मैंने पापा से इस बारे में बात की और रानी के पिताजी से भी बात कर ली।

चूंकि हम दोनों काफी सालों से अच्छे दोस्त थे तो दोनों के ही परिवारों को कोई आपत्ति नहीं थी।
हमारे परिवार वालों की भी आपस में खूब बनती है।

तो मैं और रानी अगले दिन मेरे गाँव के लिए निकल पड़े।
गाँव में मुझे देख कर सब बहुत खुश थे.
और हों भी क्यूं न … मैं पूरे 5 साल के बाद अपने गांव आया था।

सफर की थकान के कारण उस दिन हम कहीं घूमने भी नहीं जा सके।
फिर रात का खाना खाकर हम लोग सो गए।

अगले दिन सुबह मैं रानी को अपने खेत पर घुमाने के लिए ले गया।

बीच में मुझे पेशाब लगी तो मैं रानी को वहीं छोड़कर पेशाब करने चला गया।
मैं थोड़ी दूरी पर था।

पेशाब करते हुए बाद में मेरा ध्यान गया कि यहां तो सांप का बिल है।
मेरा पेशाब बिल के अंदर चला गया था।

मैं वहां से हटने ही वाला था कि एक सांप का बच्चा बिल में से बाहर निकल आया।
ये देखकर मैं थोड़ा डर गया और हड़बड़ी में चेन बंद करके वहां से भागा।

हड़बड़ी में चेन खींचते हुए मेरे लंड की त्वचा चेन में फंस गई।
मुझे बहुत दर्द हो रहा था लंड में … लेकिन मैं रानी को कुछ बता भी नहीं सकता था।
हम लोग वहां से वापस आ गए।

घर आते ही मैं सीधा अपने कमरे में आया और जल्दी से बैठकर चेन में से लंड की खाल की छुड़ाने लगा।
इतने में रानी भी मेरे पीछे पीछे रूम में आ गई।

वो कहने लगी कि अभी तो करके आए थे, फिर से लगी है क्या?

मैं एकदम से हड़बड़ा गया और बोला- नहीं यार, चेन फंस गई है, बहुत दर्द हो रहा है।
फिर मैं मुंह घुमाकर दोबारा से लंड की त्वचा को चेन में से निकालने लगा।
लेकिन दर्द इतना हो रहा था कि मैं उसको निकाल ही नहीं पा रहा था।

फिर रानी मेरे पास आई और एकदम से चेन खींचकर खोल दी।

लंड की त्वचा तो निकल गई लेकिन कट भी गई; वहां से खून भी निकलने लगा।
ये देख रानी भी थोड़ी घबरा गई।

फिर वो जल्दी से दौड़कर दवाई लेकर आई और लंड को साफ कर उस पर दवाई लगाने लगी।
मुझे इतना दर्द हो रहा था कि मैं वहीं बेड पर पीछे होकर लेट गया।

रानी मेरे लंड पर दवाई लगा रही थी।
उसने लंड को हाथ में पकड़ लिया था। उसके नर्म कोमल हाथ का स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था।

एक तरफ जहां लंड का दर्द कम हो रहा था, वहीं दूसरी तरफ उसमें तनाव भी आने लगा।

अब मैं उसको रोक भी नहीं सकता था। बस मैं चुपचाप लेटा रहा और फिर रानी दवाई लगाकर चली गई।

फिर मुझे लेटे हुए ही नींद आ गई।
कुछ घंटे बाद मैं उठा तो लंड में आराम था।

अब रानी की ओर मेरे ख्याल बदलने लगे थे।
मैं उसको हवस की नजर से देखने लगा था। अब मजाक-मजाक में मैं उसके बूब्स को छूने की कोशिश करता था, कभी-कभी उनको दबा भी देता था।
रानी की गांड को भी मैं छूने की कोशिश करता था।
वो भी इन सबका कोई विरोध नहीं करती थी।

अगले दिन दोपहर का वक्त था और मैं नहाने के लिए जाने लगा।
मुझे नंगा होकर नहाने की आदत है। मैंने तौलिया लपेटा हुआ था और उसे खोलकर मैं बाहर फेंक कर अंदर नंगा ही घुस गया।
जैसे ही मैं घुसा तो पाया कि रानी पहले से ही नंगी होकर नहा रही है।

वो अपनी चूत को रगड़ रही थी और बूब्स का मसल रही थी।

उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो वह घबरा गई।
वो चूचियों और चूत को हाथ से छुपाने की कोशिश करते हुए बोली- आने से पहले आवाज नहीं दे सकते थे?

इधर मैं उसके नंगे जिस्म को देखकर जैसे पत्थर का हो गया था।
मैंने कभी अपने सामने किसी लड़की को नंगी नहीं देखा था।
उसकी गोरी और गीली चूत, कसे हुए चूचे और नंगी गांड देखकर मैं तो पागल ही हो गया।

फिर उसने हाथ लगाकर मुझे हिलाया और बोली- बाहर जाओ अब, यहीं खड़े रहोगे क्या?
लेकिन मैं जैसे कुछ सुन ही नहीं रहा था, उसका नंगा जिस्म मुझे उसकी ओर खींच रहा था।

मैंने आगे बढ़कर उसको बांहों में भींच लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगा।
वो मुझे पीछे हटाने लगी लेकिन मैंने उसको नहीं छोड़ा।
मेरा नंगा लंड उसकी नंगी चूत से टकरा रहा था और उसमें बिजली की तेजी से तनाव आने लगा।

देखते ही देखते लंड एकदम से तनकर उसकी चूत के होंठों से टकराने लगा।
अब मेरा रुक पाना मुझे मुश्किल लग रहा था।

मैंने उसको एक हाथ से अपने आगोश में ही रखा और दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर उसकी चूत को तेजी से रगड़ने लगा।
वो मुझे हटाते हुए कहने लगी- क्या कर रहे हो विजय! पागल हो गए हो क्या, कोई देख लेगा।

लेकिन मैं कुछ नहीं सुन पा रहा था।
मैं उसकी चूत में उंगली दे दी और उसके बूब्स पर मुंह लगाकर पीने लगा।

मैंने उसको एक हाथ से कसकर अपने से चिपका रखा था।
कभी मैं उसकी गांड दबा देता तो कभी चूत में उंगली देकर अंदर बाहर करने लगता।
ऊपर से उसके बूब्स को मैं बारी बारी से एक-एक करके चूस रहा था।

इस बीच रानी को भी मजा सा आने लगा। धीरे-धीरे उसका विरोध बंद हो गया और वो शांत होती चली गई।
अब मैं आराम से उसकी चूत में उंगली चलाते हुए उसकी चूचियों को पी रहा था।

रानी अब मेरा साथ देने लगी थी।
हम दोनों के होंठ मिल गए और हम एक दूसरे के जिस्मों को सहलाते हुए होंठों का रस खींचने लगे।
रानी की चूत अभी भी गीली थी।

अब मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और बाहर लेकर आ गया।
मैंने उसे बेड पर लेटाया और उसकी टांगों को फैलाकर उसकी गीली-रसीली चूत को चाटने लगा।

उसकी चूत से नमकीन रस निकलने लगा जिसको चाटने में मुझे और भी ज्यादा स्वाद आने लगा।

चूत एकदम गुलाबी थी और उसका दाना जैसे केक पर टॉपिंग था।
मैं बीच बीच में चूत के दाने को भी सहलाने लगता था जिससे उसकी सिसकारी और तेज हो जाती थी।

मैंने फिर जीभ देकर अंदर ही अंदर चूत को चोदना शुरू किया।
उसकी चूत के रस का स्वाद लेते हुए मैं जीभ को अंदर तक घुसा रहा था।

कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ गया और उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
उस पानी को मैं साथ की साथ ही पीता चला गया।
रानी अब ठंडी पड़ गई।

लेकिन मेरा लौड़ा तनकर दर्द करने लगा था।
मैंने उसको लंड को मुंह में लेने के लिए कहा।
पहले तो वो मना करने लगी लेकिन मैंने जिद की तो वो मान गई।

फिर मैंने उसको जमीन पर घुटनों के बल अपने लंड के सामने बैठा लिया।
मैंने लंड उसके मुंह में दे दिया और वो धीरे-धीरे उसे चूसने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा।

ऐसा लग रहा था कि दो मिनट में ही माल छूट जाएगा इसलिए मैंने बीच में ही उसको रोका और बेड पर ले जाकर फिर से उसकी चूत को चाटने लगा।
फिर कुछ देर की चूत चटाई के बाद मैं भी बेड पर ही आ गया।

हम दोनों 69 में लेट गए और एक दूसरे के सेक्स अंगों को चाटने-चूसने का मजा देने लगे।
रानी भी अब मस्त तरीके से मेरा लंड चूस रही थी।

मुझसे रुका न गया और मैं उसको नीचे लेटाकर उसके ऊपर चढ़ गया।

मैंने गांड उसकी छाती पर रखी और लंड उसके मुंह में दे दिया और धक्के देने लगा।
मुझे उसके मुंह को चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

वो भी मेरे चूतड़ों को दबाते हुए लंड को पूरा गले तक लेने की कोशिश कर रही थी।
उसने मुझे चूत की ओर इशारा किया तो मैं समझ गया कि वो भी चूत में दोबारा से मजा लेना चाहती है।
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया, कभी उंगली देकर चोदने लगा।

उसकी गीली-गर्म चूत में उंगली देने में भी बहुत मजा आ रहा था।
उधर मेरा लंड उसके मुंह में था जो मुझे जन्नत का मजा दे रहा था।

बस कुछ ही देर में मेरा माल निकल गया और इतने में ही रानी दोबारा से झड़ गई।

हम दोनों ने ही एक दूसरे के माल को पी लिया।

कुछ देर शांत पड़े रहने के बाद फिर से हवस की चिंगारी उठी।
हम फिर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

चूंकि घर में कोई नहीं था तो बस हम इस चुदाई का पूरा मजा लेना चाहते थे।

एक बार फिर से हम लोग गर्म हो गए और अब बारी उसकी चूत चोदने की थी।

मैंने उसको पीठ के बल लेटा लिया और लंड को चूत पर लगा दिया।
मैं धक्का देने लगा तो पता चला चूत काफी टाइट है इसलिए लंड फिसल रहा था।

फिर उसने खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट करवा लिया।

अब मैंने तेज झटका दिया और सुपारा उसकी चूत में उतार दिया।
वो छटपटा उठी और दर्द के मारे उसकी आंखों में पानी आ गया।
मैं थोड़ा रुका और फिर से उसको चूमने लगा।

उसको चूमते हुए मैं उसकी चूचियों को दबाने और पीने लगा।
जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने फिर से धक्का मारा और लंड उसकी चूत में अंदर सरका दिया।
उसे दर्द हुआ लेकिन पहले से कम!

धीरे-धीरे मैं उसको चोदने लगा।
कुछ देर में ही रानी को भी चुदाई में पूरा मजा आने लगा।
अब वो गांड मटका कर अपनी चूत मरवाने लगी।

हम दोनों की मादक सिसकारियां पूरे रूम में गूंज रहीं थीं।

कुछ देर चोदने के बाद मैं अब नीचे लेट गया और रानी मेरे लंड पर बैठ गई।
वो लंड को चूत में लेकर उछलने लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई पोर्न फिल्म चल रही हो।

धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ने लगी। वो लंड को गहराई तक चूत में ले जा रही थी।

लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा माल भी तभी निकल गया।
वो मेरे ऊपर ही ढेर हो गई और मैंने उसको बांहों में कस लिया।

शाम को मुझे रानी ने ही जगाया।
उसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए। वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।

हम नहाए और फिर नाश्ता किया।
मैंने रानी को दर्द की दवाई दिलवाई और गर्भ न ठहरने के लिए भी दवाई दिलवाई।
हम वहां तीन-चार दिन और रुके और चुदाई का पूरा मजा लेते रहे।

उसके बाद हम लोग घर वापस आ गए।
गांव में चुदाई का तो हमने पूरा मजा लिया लेकिन शहर वापस आने के बाद इतना मौका नहीं मिल पाता था।

बस कभी-कभार जब उसके घर में कोई नहीं होता था या मेरे घर में सब बाहर गए होते थे तो हमें तब ही चुदाई का मौका मिलता था।

इस तरह से रानी के साथ चुदाई का ये मजा अभी तक मुझे मिल रहा है।
हम दोनों अच्छे दोस्त हैं इसलिए किसी को शक भी नहीं होता है। हम दोनों को ही एक दूसरे के साथ अभी भी उतना ही मजा आता है।

तो दोस्तो, ये थी मेरी स्कूल फ्रेंड की चुदाई की कहानी।

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