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अनाड़ी भतीजा खिलाड़ी चाची फिर से

अनाड़ी भतीजा खिलाड़ी चाची फिर से

देसी चाची की चुदाई कहानी में मेरी चाची ने मुझे चूत चुदाई सिखा कर अपनी चूत मरवा कर मजा लिया. चाची मेरे सामने नंगीं टाँगें फैलाए पड़ी थी और मैं अनाड़ी था.

दोस्तो, मैं आपको अपनी रंडी चाची की चुदाई कहानी सुना रहा था. पिछले भाग अनाड़ी लंड और खिलाड़ी चूत का समागम में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं चाची के ऊपर चढ़ा हुआ था और वो मुझे चोदना सिखा रही थीं.

अब आगे गरम चाची को चोदा:

मैं चाची का चेहरा देख भी रहा था, तो इस बार समझ गया कि ये आवाज मज़ा आने पर की जाती है, न कि दर्द के मारे.

अब मैंने चाची की नकल की. उनके गाल और होंठ चूसने के बाद उनकी गर्दन चूमी, तो वो मज़े के कारण नागिन जैसी ऐंठ गईं.

मैंने गर्दन पर किस करते हुए अपनी निक्कर और अंडरवियर एक साथ अपनी टांगों से नीचे सरका दी और चाची की साड़ी पेटीकोट कमर से उठा दी.

उन्होंने ताना मारा- और कुछ नहीं हो सकता इसका?

दोस्तो, औरत कितनी भी बड़ी रंडी हो जाए, पर लाज का एक अंश उसमें रहता ही है. शायद इसी लिए हम आप हज़ार बार चूत चोदने के बाद फिर से लंड हाथ में हिलाते उसके सामने मुँह बाए पहुंच जाते हैं.
खैर … मैं समझ गया कि अब चाची के पूरे नंगे जिस्म के दर्शन होने हैं.

मैंने झट से उनकी चूचियां छोड़ दीं और उनका पेटीकोट खोल कर साड़ी समेत दूर फेंक दिया.
जी हां, मैंने चाची को पूरी नंगी कर दिया था.

मेरी चाची, मेरी पहली चूत की मल्लिका, मेरी पहली रंडी मेरे सामने अपनी चूचियां, अपना पेट, अपनी नाभि, अपनी जांघें और अपनी हल्की झांटों वाली गुलाबी चूत खोले एकदम नंगी लेटी थीं.

मेरा लंड जैसे फट पड़ने को बेचैन था.
हम दोनों नंगे, बन्द कमरा, किसी के आने की कोई संभावना नहीं, एक जवान बेचैन लंड और एक वासना की आग धधकती जवान और खूबसूरत चूत.

कयामत न आये तो क्या हो भला!

मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके ऊपर पूरा लेट कर उनकी चूत पर लंड सैट करने का प्रयास करने लगा.

चाची चूंकि पहले एक बार झड़ चुकी थीं, इसलिए उतनी उतावली नहीं थीं.
वो मेरी मंशा भांपते ही मुझे धकेल कर मेरे ऊपर चढ़ गईं और खिलखिलाती हुई बोलीं- मैं कहां भागी जा रही हूं.
ये कहते हुए चाची ने मुझे गुदगुदा दिया.

इस अठखेली में जोश बढ़ता है. मेरा तो फिर भी नया नया अनुभव था, मेरा जोश मेरे पिंटू के ऊपर कहर बन कर टूट रहा था. वो रह रह कर उछल रहा था. दिल कर रहा था कि कब चाची की चूत फाड़ कर अन्दर घुस जाए.

चाची ने गुदगुदाने के साथ मेरे ऊपर सवारी कर ली.

गज़ब का द्वंद्व छिड़ा हुआ था.
एक तरफ अनाड़ी और वर्जिन बेताब लंड था … दूसरी ओर खेली खाई काम की देवी.

इधर अनुभवहीन वासना की धधकती प्यास थी, उधर जवानी की धधकती आग थी.
दोनों एक दूसरे को जला देने को बेताब थे.

चाची ने फिर से मेरे होंठों में अपने होंठ सटा दिए और इस बार मेरे दांतों में अपनी जीभ घुसा दी.

जीभ से जीभ लड़ी तो गज़ब का आनन्द मिला.
इधर मेरे हाथ उनकी चूचियां मसल रहे थे.
फिर मैंने बायां हाथ उनकी कमर पर से सरकाते हुए उनकी गांड के उठान पर रखा.

कसम से यार वही मज़ा आया, जो दाहिने हाथ को चूची पकड़ने में आ रहा था.

होंठ होंठों के अंगारे चूस रहे थे. पेट, पेट से सटा था. जांघें जांघों में रगड़ खा रही थीं और लंड चूत एक दूसरे को निहारते हुए कभी कभी एक दूसरे को छू रहे थे. मानो किस करके निकल जा रहे हों.

एक अनाड़ी परवाना सेक्स की आग में जल जाने को बेताब था और एक खिलाड़ी हुस्न की शमां उसको जलाने के पहले उससे खेल रही थी.
मैं उनको धकेल कर नीचे करने की कोशिश में लगा था और वो एक एक अंग किस करते हुए नीचे बढ़ती गयीं.

अंत में उनकी जुबान एक पल को मेरे लंड के सुपारे पर आ ठहरी, पर उन्होंने मेरा लंड चूसा नहीं.

उस एक पल में उनके मुँह की भाप की गर्मी से लगा कि मेरा लावा पिघल जाएगा.
तब तक वो और नीचे जाकर मेरी जांघों पर किस करने लगीं और अपनी चूचियां मेरे घुटनों पर रख दीं.

मैं बेचैन होकर उठ बैठा.
मेरे सामने चिकनी नंगी पीठ दिखी और लंड को ढके हुए उनके नागिन से काले बाल.

मैंने उनकी पीठ सहलाते हुए उनको करवट किया और उनकी नकल करते हुए घुटने से लेकर उनकी जांघों तक किस करने लगा.

अब पागल होने की बारी उनकी थी.
मेरा लंड इस दौरान उनके पैर के अंगूठे के पास था, वो पैर की उंगलियों से मेरा लंड पकड़ने का प्रयास करने लगीं.
मैं अपना लंड उनके पैर, फिर घुटने पर रगड़ते हुए उनकी जांघों पर रगड़ने लगा.

इस बीच दाहिने हाथ से उनकी कमर पर सहलाते हुए उनकी बायीं चूची पकड़ ली और उनके निप्पल से खेलने लगा.

चाची बोलीं- तुम एक दिन में इतना कैसे होशियार हो गए!
मैं तारीफ़ सुनकर खुश हो गया कि मैं एक चूत की मालकिन को सुख दे पाने में कामयाब हो रहा हूँ.

अब मैंने उनके पैर मोड़ के पैर के नीचे से दोनों हाथ डाल कर उनकी जांघों को पकड़ लिया और अपने सीने से उनकी चूत वाले हिस्से पर रगड़ा.

मैं चाची को पागल कर रहा था.
चाची थोड़ी वाइल्ड होती गईं और मेरे बाल पकड़ पा सकने के कारण बाल से ही धीरे से खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया.
ये चाची का खुला निमंत्रण था कि अब सब छोड़ कर लंड पेल दो.

मैं तो खुद भरा पड़ा था. झट से लंड चूत के मुहाने पर रख कर तोप की सलामी दे दी.
इस बार उनकी चूत ने भरपूर पानी छोड़ा था, इसलिए मेरा 3 इंच लंड सटाक से घुस गया.

लेकिन अनाड़ी लंड फिर वही गलती कर रहा था. मैंने एक बार जो जोर लगाया तो पेले ही रहा.

जबकि तरीका ये है कि एक इंच पीछे, दो इंच आगे और कमर हिला हिला कर लंड को अन्दर डाल दो.

लेकिन मैं तब तक यही जानता था कि बस घुसेड़ दिया जाना ही चुदाई होती है.

चाची समझ रही थीं कि मैं अभी लंड सैट कर रहा हूँ.

इधर मैं पूरा जोर लगा कर 3 इंच से 4 इंच घुसेड़ने में लगा था.
फिर से चमड़ी पूरी खुल चुकने के बाद दर्द करने लगी.

तब तक उधर से चाची इतनी गर्म हो गई थीं और कुंवारे लंड के अनाड़ीपन पर इतनी रीझी हुई थीं कि इतने पर ही झड़ गईं.

ये उन्होंने जैसे ही मुझे बताया, मुझे कॉन्फिडेंस आ गया कि मैं भरपूर मर्द हूँ. अब मुझे और भी जोश आ गया तो लगभग एक इंच और अन्दर पेल दिया.

अब दर्द चरम पर था. लेकिन वासना के जोश अंधा कर देता है.
शायद चाची समझ गई थीं.

वो बोलीं- तुमको कुछ नहीं आता है. पूरे भोसड़ हो.
मैंने कहा- क्या हुआ?

वो कहना तो चाह रही थीं कि कमर हिला हिला कर चोदा जाता है लेकिन भारतीय औरतें लाख रंडी हो जाएं पर झड़ने के बाद उनको लाज की याद आ ही जाती है.

वो ये बात न बोल कर बोलीं- अब तुम नीचे आओ. मैं बताती हूँ.
मैं डर गया कि उससे और भी ज्यादा अन्दर करेंगी और मेरी चमड़ी फट जाएगी.
लेकिन कौतूहल में मैंने उनकी बात मान ली.

चाची मेरे लंड के ऊपर आ गईं और चूंकि वो झड़ चुकी थीं, तो पहले कुछ देर किस किया और देह से देह रगड़ी.
मैं तब तक उनकी चूचियां से खेलता रहा और लंड को नीचे से ही चूत पर दबाता रहा.

चाची भी गजब की गर्म थीं. दो ही मिनट में उनका मूड बन गया और मेरे लंड का टोपा अपनी चूत पर हल्का सा रगड़ने के बाद उस पर सैटिंग करके घुसाने लगीं.
मेरी फटने लगी कि कहीं घपाक से पूरा लोड देकर बैठ गईं तो आज लंड की चमड़ी फटनी तय है.

मैं ये सब सोच ही रहा था कि चाची एक इंच अन्दर लेने के बाद लंड से चूत को ऊपर ले जाने लगीं.
मैं समझा कि निकाल लेंगी.

तब तब मैंने देखा कि चाची ने लगभग दो इंच लंड और अन्दर घुसवा लिया.
लंड चुत की रगड़ की वजह से बड़ा मजा आया.

अभी मैंने ठीक से महसूस भी नहीं किया था कि उन्होंने फिर से निकलना शुरू कर दिया.
मैं समझ ही नहीं पाया कि इतना मज़ा आया तो लंड से चुत निकाल क्यों रही हैं.

तब तक मैं अगला विचार करता कि उन्होंने वापस और अन्दर ले लिया.
ये सब मुश्किल 2 या 3 सेकंड में हो गया. फिर 4 या 5 सेकंड में मेरा पूरा लंड चाची की चूत की जड़ तक पहुंच गया और जरा भी दर्द नहीं हुआ. उल्टा चाची के चेहरे पर हल्की सी पीड़ा थी.

मैं ठीक से आश्चर्य भी नहीं कर पाया था कि कैसे बिन दर्द पूरा लंड उनकी चूत में समा गया है कि तब तक लंड पर उनकी चूत की फांकों की रगड़ के कारण गज़ब का मज़ा आने लगा.

अब चाची, भतीजे के लौड़े पर उछल रही थीं.
मैं मज़े से भरा और मरा जा रहा था.

उस 5 सेकंड की ट्रेनिंग में मैं पक्का हो गया और समझ गया कि चुदाई कैसे होती है.
मैं अब नीचे से धक्का मार रहा था और चाची ऊपर से उछल रही थीं.

मैंने उनकी उजली चूची के भूरे निप्पल पर चिकोटी काट ली.
इससे चाची को बड़ा मजा आया.

उन्होंने मुझे भी बैठने को कहा.
मैं बैठ गया.
अब मेरी गोद में एक रसीली चूत उछल रही थी और मेरे मुँह में चाची के एक दूध का निप्पल फंसा था.

मेरे हाथ कभी उनकी कमर पर जाते, कभी गांड पर और कभी जांघों को सहलाते.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ज्यादा मज़ा किसे आ रहा है, हाथों को या आंखों को. जीभ, दांत, होंठ को या लंड को.

पर बड़ा हसीन और तूफानी मंज़र था.
भले ही लंड दूसरी बार चूत में घुसा था लेकिन सही मायने में ये पहली चुदाई थी और इसलिए उतावलापन और जोश ज्यादा था.

हालांकि चाची गर्म माल हुई पड़ी थीं, तो फिर झड़ गईं.
लेकिन मैं भी 7 मिनट से ज्यादा नहीं टिका होऊंगा.

पर यार इस बार जब लंड ने पानी छोड़ने वाला था तो मैं चाची के ऊपर वाइल्ड हो गया था; जाने कहां से ताकत आ गयी थी.

कमसिन जवान लौंडा और जवानी अपने ऊपर लदी भरपूर 5 फुट 4 इंच की औरत को कमर से पकड़ कर खिलौने की तरह अपने लंड पर उछाल रहा था.

अंतिम शॉट पर चाची आनन्द भरे दर्द से आह कर बैठीं.
झड़ते वक़्त के आनन्द का बयान नहीं कर सकता दोस्तो!

अब चुदाई का मजा मिलने लगा था.
उस दिन के बाद से चाची ने मोहल्ले के लौंडों को घास डालना बंद कर दिया. अब उनके पास घर में ही जवान लंड उपलब्ध था.

उसके बाद मैंने इत्मीनान से 6 महीने गरम चाची को चोदा.

हालांकि बाद में जब देसी चाची की चुदाई पुरानी हो गयी तो मैं 7 के बजाए उनको 20 से 25 मिनट आराम से चोदने लगा.
अब वो भी पहली बार के जैसे एक चुदाई में 3 बार नहीं झड़ती थीं. दो बार या अक्सर एक बार ही झड़ती थीं.

मेरे लिए वो 6 महीने स्वर्ग के मजे जैसे थे.
मैंने कुछ बढ़ा-चढ़ा कर नहीं लिखा है, जैसे कि मेरा लंड 10 इंच का है या मैंने एक घंटा चोदा या चाची की गांड मारी. ये सब बकवास है.

मेरा लंड साढ़े 6 इंच का है. मैं इससे आज तक दस चुतों को खुशी दे चुका हूं. औरत को 5 मिनट में भी झड़वाया है और 20 मिनट भी लगा है.
ये सब कामकला की बातें हैं.

कभी किसी का बड़ा लंड सुन कर निराश मत होना. इसकी चर्चा अगली कहानी में करूंगा.

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