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पड़ोसन भाभी ने दिया सेक्स का पहला मजा

पड़ोसन भाभी ने दिया सेक्स का पहला मजा

यंग भाभी कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस में एक नवविवाहिता भाभी आई तो उनको देख मेरी वासना जाग गयी. भाभी ने कैसे मुझे अपनी चूत का मजा दिया?

कहानी पर आने से पहले थोड़ा परिचय हो जाना चाहिए क्योंकि आगे मज़ा बहुत है।
मेरा नाम है आर्यन।
हल्का गोरा रंग है, करीब 6 फुट लंबाई है।
कद काठी साधारण सी है।

पड़ोस में ही रहने वाले रमन भैया एक सुंदर सी दुल्हन ब्याह कर लाए हैं।
भाग्यश्री नाम है उनका!
पहली बार मैंने उन्हें अपने घर पर ही देखा था।
उनकी शादी को लगभग 5 साल हो चुके हैं.

यह उसी यंग भाभी की कहानी है.

तब मैं अपने स्नातक की पढ़ाई कर रहा था साथ ही ट्यूशन भी पढ़ाता था।
इस वज़ह से मेरी छवि हमेशा से ही बहुत अच्छी रही है और बहुत हद तक मैंने अपनी छवि को सम्भाल कर भी रखा है।

बात है कुछ महीनों पहले की … उस दिन से पहले मैंने भाग्यश्री को उस तरह से कभी नहीं देखा था।
पता नहीं उस दिन ऐसा क्या हुआ जो नीली साड़ी में उसका गोरा रंग देख मेरे अन्दर की ज्वाला भड़क गई।

ठीक तरह से याद है मुझे … 15 जून का दिन था।
भाई इतनी ग़ज़ब वो कभी नहीं लगी।
उसका रंग, उसके होंठ, उसके लंबे बाल, उसकी आंखें, उसके दूध, उसकी उभरी हुई पुट्ठों का जलवा सब कुछ मोह चुका था मुझे!

होना क्या था … दौड़ पड़ा मैं अपने कमरे में … और घुस गया बाथरूम में … अपने लंड की सारी अकड़ भाग्यश्री के नाम पर निकाल दी।
मन नहीं माना भाईसाहब!

अब जब भी Hot sex  मैं उसे देखता … मैं मूठ मारता।

यह सिलसिला लेकिन एक दिन खत्म होने वाला था।

17 अगस्त के दिन मेरे घर में कोई नहीं था।
भाभी अक्सर घर आया करती थी और ये तो मेरा लकी दिन था।

घर पर मैं टेनिस के मैच देख रहा था.
तभी भाभी आई।

अक्सर घर पर किसी के ना होने पर मैं उन्हें बाहर से ही बता दिया करता था.
पर उस दिन पता नहीं उस बैंगन रंग की साड़ी में देख पागल सा हो गया।

मैंने भाग्यश्री को अंदर बुलाया- आइए ना भाभी!
उनको मैंने तख्त पर बैठने को कहा।

मैच देखते हुए मैं उनसे लगातार इधर उधर की बातें कर रहा था।
अचानक भाभी बोली- मुझे सब पता है कि आप यह ल़डकियों का खेल क्यूँ देख रहे हैं।

मैंने मुस्कराते हुए पूछा- क्यूँ देखता हूँ, आप ही बताइए?
भाभी तुरंत बोली- आप जो मुझमें देखते हैं, वही आप मैच में देख रहे हैं!

मैं शर्म और डर दोनों में लाल हो गया था।

भाभी आगे बोली- मुझे सब पता है जिस तरह आप मुझे देखते हैं।
मेरी समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या बोलूं।

एक ही पल में मैंने देखा कि भाग्यश्री मेरे बगल में थी।
भाभी बोलने लगी- मैं जानती हूँ कि आप मुझसे क्या चाहते हैं. और मैं भी वही आपसे चाहती हूँ।

मैं अब भी इसे एक सपना ही समझ रहा था कि उसी पल भाग्यश्री के होंठ मेरे होंठों पर थे।

क्या हुआ? कैसे हुआ?
इतना समझने से पहले भाग्यश्री का एक हाथ मेरी पैंट के अंदर था।
और मैं सातवें आसमान पर!

मेरा 7 इंच का लिंग पूरी तरह टाइट था और अब मेरे हाथ उसके दूध पर!
हाय इतनी मुलायम भी कोई चीज होती है।

अब मैं उसे बहुत ही धीमे धीमे किस कर रहा था।
एक बात है … भाग्यश्री है तो गाँव की गोरी लेकिन चुम्बन वो किसी हॉलीवुड हिरोइन से कम नहीं करती।

शायद इसे ही चरम सुख कहते हैं।
बहुत देर तक उसके होंठों को किस करने के बाद जब हमने एक दूसरे के होंठों को अलग किया तो उसने कहा- आने वाली खुश बहुत रहेगी. आखिर किस जो इतना अच्छा करते हो।

मैंने अब अपने होंठ उसकी गोरी गर्दन पर रख दिये और उसकी एक जोरदार सिसकारी निकल गई।
आज शायद उसकी हर अदा का पता मुझे लगने वाला था.

उसकी सिसकारियाँ तेजी से बढ़ रही थी और मैं लगातार उसकी गर्दन को चूम रहा था।

उसने मेरे बालों से खींचकर मेरे चेहरे को अपने चेहरे से सटा दिया और फिर मेरे होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी।

मेरे हाथ अब उसके स्तनों पर थे और मैं उन्हें जोर जोर से दबा रहा था।
भाग्यश्री की सिसकारी मुझे पागल कर रही थी और वो मेरे होंठों को छोड़ने को तैयार नहीं थी।

हम दोनों जैसे पागल हो गए थे।

मैंने अब अपना हाथ उसके ब्रा के अंदर डाल दिया.
ऊपर से जो इतने मुलायम थे, अंदर से उनका मज़ा ही कुछ और था।

तुरंत ही मैंने उसके बूब्ज़ को आजाद कर दिया।
शायद इन्हें ही परफेक्ट बूब्ज़ कहते हैं।

मेरी हमेशा से ही ख्वाहिश रही है कि मैं बूब्ज़ के निप्पल को अपने दांतों से काटूँ.
और मैंने यही किया।

इस बार की सिसकी का दर्द मैं समझ चुका था और उसने जो अपना हाथ मेरे पैंट में मेरे लंड को पकड़ रखा था उसे और टाइट कर दिया।

अब तख्त से उठकर मैंने उसे अपने कमरे के बेड पर पटक दिया और उसकी साड़ी पूरी हटा दी।
साड़ी हटने के बाद उसका गोरा रंग देखने को बनता हैं।

मैं भी अब अपने बेड पर उसके ऊपर लेट गया।
उसकी गर्म साँसें मेरी छाती पर महसूस हो रही थी।

पेटिकोट को ऊपर कर अब मैं उसकी नंगी टांगों को चूम रहा था।

उसकी हर सिसकारी मेरे लंड को कसाव दे रही थी।

जैसे ही मैंने अपने हाथ उसकी पैंटी की तरफ बढ़ाए, उसने मेरे हाथों को रोक लिया और मेरे होंठों को चूम कर कहा- पहले अपने कपड़े निकालो।

जब तक मैं अपनी टीशर्ट निकलता, वो मुझे नीचे से नंगा कर चुकी थी।

पैंट निकालते ही वो मेरे लंड को देखती रही।
और उसने धीरे से उसको चूम लिया।

मेरे शरीर में जैसे करंट दौड़ पड़ा।

भाग्यश्री अब लगातार उसे मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और मैं उसके बूब्ज़ को मसल रहा था।

धीरे से मैंने अपना एक हाथ उसकी सफेद पैंटी में डाल दिया।
उसके लिए मानो वक़्त रुक गया हो।

मेरा सामान अब उसके मुंह से बाहर था और उसकी सिसकती आवाज उसकी तड़प साफ़ ब्यान कर रही थी।

“आर्यन नहीं करो ऐसा!” सिसकती हुई भाग्यश्री बोली.

मैंने अब उस दाने पर तेजी से अपनी उंगली घुमाना शुरू कर दिया.

“आह … आह … आर्यन आह आर्यन!” कहते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगी।
मैं जितना उँगलियों को चलाता, उतना ही तेजी से वो मुझे चूमती और मेरे लंड को हिलाती।

थोड़ी ही देर में उसने पानी छोड़ दिया।

आखिरकार मैंने उसकी पैंटी उसकी चूत से अलग कर दिया।
ये क्या … मेरी सोच से बिल्कुल अलग … बाल का कोई निशान नहीं था उसकी चूत पर!

“अब कब तक तड़पाने का इरादा है? डाल दो इसे जल्दी से!” सिसकती आवाज में बोली।

मैंने उसकी टांगें उठाकर अपना पूरा 7 इंच एक बार में डाल दिया।

“ओ माँ … आह पागल हो क्या? दर्द होता है!”
“दर्द में ही तो मज़ा है!” कहते हुए मैंने उसके होंठों को होंठों से पकड़ लिया।

अब जब मैं बाहर निकालने लगा तो मैंने उसके नाखून अपनी पूरी पीठ पर महसूस किए।
“आहम्म!” मेरी दबी हुई आवाज निकली।

लगातार वह मुझे चूम रही थी कभी होंठों पर कभी गालों पर तो कभी गर्दन पर!

अब उसकी किस का कोई संतुलन नहीं था, वो पागल सी हो चुकी थी.
और मैं लगातार अपने लंड को उसकी चूत में दे रहा था।

मैं भी उसके पूरे बदन को अपनी जीभ और होंठों से महसूस कर रहा था और अब पूरी स्पीड से उसकी चूत में अपना लंड दे रहा था।

“आर्यन धीरे करो … मार दोगे क्या मुझे?” ऐसा कहते हुए भाग्यश्री ने मेरी पीठ पर अपने नाखूनों से और अपने दांतों से मेरी गर्दन पर इस मुलाकात के निशान छोड़ दिए।

सच कहूँ तो मुझे लड़कियों में थोड़ा जंगलीपना बहुत पसंद आता है।
पर एक सत्य ये भी है कि भाग्यश्री हद ही पार कर गई थी।

मुझे लगा ही नहीं कि यह किसी गाँव की लड़की है, बल्कि यह किसी बड़े शहर में रहने वाली खुले विचारों वाली कोई लग रही थी.
और मैं इस बात पर बहुत खुश हो रहा था कि मैं इसकी ले रहा था।

मैं आगे की कहानी फिर कभी बताऊँगा।
तब तक लंड हिलाते रहिए और चूत बजाते रहिये।
लड़कियां उंगली करती रहें या चूत बजवाती रहें.

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