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अनजान मेसेज से हुई दोस्ती और चुदाई फिर से

अनजान मेसेज से हुई दोस्ती और चुदाई  फिर से

न्यूड गर्ल हॉट स्टोरी में मैंने एक लड़की को छुट्टी वाले दिन अपने ऑफिस में बुलाया. वो बहुत सेक्सी थी और अपने पहले सेक्स के लिए बेताब हो रही थी.

दोस्तो, मैं आपका राजू शाह यानि लंड का बादशाह एक बार फिर से आपकी सेवा में कुंवारी निकिता की सील तोड़ चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग अनजान लड़की से दोस्ती और मुलाक़ात में अब तक आपने पढ़ा था कि निकिता मुझसे मिलने मेरे ऑफिस में आई थी और वो मुझसे अपनी गलती बता कर दोहरा रही थी कि कैसे वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बच गई.

अब आगे न्यूड गर्ल हॉट स्टोरी:

मैं बोला- चलो कोई बात नहीं निकिता, अकसर इस उम्र में दिल गलतियां कर बैठता है लेकिन मैं कभी भी आपको इस घटना का अहसास नहीं होने दूंगा.
ये कहते हुए मैंने उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया.

क्या बताऊं दोस्तो, एकदम चिकने कंधे, जिनसे हाथ अपने आप फिसलता जा रहा था.

मैंने दूसरे हाथ से निकिता का हाथ पकड़ लिया- मैं वादा करता हूँ निकिता आपको पूरे विश्वास के साथ अपने प्यार की गाड़ी में घुमाऊंगा.
मेरा इतना कहते ही वो मेरी गोद में लेट सी गई और सुबकने लगी.

कुछ समय तक निकिता झुक कर मेरी जांघों और घुटनों के बीच अपनी चेहरा दबा कर शांति से लेटी रही.
मैं उसके कंधों, पीठ, बाजुओं और बालों में हाथ फिरा रहा था.

अब तो ऩिकिता भी मेरे प्यार भरे स्पर्श को महसूस करने लगी थी और कसकर मेरी कमर पर ही अपनी गोरी-गोरी बांहों का शिकंजा कस रही थी.

मैं निकिता को अपने हाथों से ऊपर उठाकर अपने सोफे पर ले आया और वो एक नागिन की तरह मुझसे चिपककर मेरी छाती पर अपना मुँह दबाने लगी.

मैं कपड़ों के ऊपर से ही निकिता के पूरे शरीर पर हाथ घुमा रहा था.
मैंने निकिता का चेहरा ऊपर उठाकर उसके माथे को चूम लिया.
वो निर्विरोध मुझको कुछ भी करने दे रही थी.

मैंने निकिता का चेहरा अपना दोनों हाथों में पकड़ लिया और अपने चेहरे के सामने लाकर उसकी आंखों में देखने लगा.
लगभग 2 मिनट तक देखता रहा.

फिर मैंने कहा- निकिता, हम क्या कर रहे हैं … क्या कोई सपना देख रहे हैं या सच में ये हकीकत है?
निकिता धीरे से सूख चुके गले से बोली- राजू वो वो म…मैं प्यार की बहुत प्याआ…सी हूँ. मुझे अपने से अलग ना होने देना प्लीज. मैं मर जाऊंगी.

ये कहते हुए उसने अपने लब मेरे लबों से मिला कर जोड़ दिए.

आह … क्या रसीले होंठ थे निकिता के.
पांच मिनट तक वो मीठा रस मुझे मिलता रहा.

सच में क्या मस्त लिपकिस हुआ … उस अहसास को शब्दों में बयां करना मुश्किल है.
इसके बाद मैंने निकिता को कसकर अपने से चिपका कर रखा था.

इसी बीच निकिता ने मेरी जीभ को अपने होंठों में भर लिया और चूसती रही.
मेरे जनाब का तो हाल मत पूछो, पैंट को फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था.

मैंने निकिता का बायां हाथ नीचे की तरफ खिसका दिया और उसकी कलाई से लंड टच करने लगा.
निकिता की सांसें तेज-तेज चलने लगी थीं शायद उसके हाथ ने लंड को टच करते ही पहचान लिया कि उसकी कोई वर्षों की कोई गुम हुई चीज को पहचान लिया गया हो.

मैं उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाकर कमर और पेट पर हाथ फिरा ही रहा था कि उसकी जींस के बेल्ट से उसकी चॉकलेटी कलर की पैंटी झलक देने लगी थी.
अब निकिता भी अपना हाथ पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर चलाने लगी.
चारों तरफ से घुमाते हुए उसका हाथ मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वो मेरे लंड का साईज माप रहे हों.

निकिता ने अपना मुँह ऊपर की ओर उठाकर मेरी आंखों में अपनी प्यासी नजर गड़ा दी और लंड को पैंट के ऊपर से ही टाइट से पकड़ने लगी थी.

मैं निकिता को सोफे पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसकी छाती मेरी छाती से पूरी दबने लगी थी.
वाह … क्या चुच्चे थे निकिता के. मेरी छाती में एकदम पत्थर की तरह गड़ रहे थे और लंड में उफान भर रहे थे.

मैं ऐसे ही ऊपर लेटा हुआ निकिता को हर तरह से पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था.

क्या शरीर था निकिता का … एकदम गदराया बदन.
उसके रसीले बदन को छूने मात्र से लंड में लहरें उठ रही थीं.

मैं पूरी तरह से निकिता को अपनी बांहों में कसके जकड़े हुए था और निकिता भी मुझे एकदम कसके पकड़ रही थी.
हम एक दूसरे से चूमाचाटी कर रहे थे.

निकिता की खड़ी चूचियां मेरी छाती में दबकर सीधा लंड पर करंट मार रही थीं.
मैंने निकिता को थोड़ा सा ऊपर उठाकर उसकी टी-शर्ट निकाल दी और ब्रा खोल दी थी.

उसके दोनों बूब्स एकदम उछल कर मेरे सामने आ गए. आह गोरे और एकदम चिकने चुच्चे थे.
मैंने सीधा मुँह टिका दिया चूचों के ऊपर और एक बच्चे की तरह चुसक-चुसक कर चूसने लगा.

निकिता भी मेरे सिर के पीछे हाथ लगाकर अपनी चूचियां अच्छी तरह मुझसे चुसवाने लगी थी.
ऩिकिता चुदासपने की मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसकी मादक सीत्कारों में एक चुदाई की गहरी प्यास झलक रही थी.

मैंने अपना हाथ निकिता की चड्डी में डाल दिया.

ज्यों ही मेरी उंगलियां उसकी बुर पर फिरने लगीं, वो मुझे और कस कर पकड़ करने लगी- ओह राजू, आह … मैं मर गई राजू … आह ये कमीनी चूत मुझे परेशान करती है … कर दो आज इसका इलाज … आज अपने इस हथियार की चोट मारकर बुझा दो न इसकी प्यास.

क्या चिकनी चूत थी निकिता की … और पानी छोड़ रही चूत की दोनों फांकें एकदम फूली हुई थीं.
शायद उसने आज ही बुर की झांटें साफ़ की थीं क्योंकि एकदम चिकनी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ताजी एकदम सीलपैक चूत समझ आ रही थी.

मेरी उंगली निकिता की बुर की फांकों के ऊपर घूम रही थी. मैंने एक उंगली चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन निकिता की चूत बहुत ही ज्यादा टाइट थी.
वो मेरी उंगली के हर स्पर्श से चिंहुक रही थी.

धीरे-धीरे मैं अपनी एक उंगली को उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा, तो निकिता भी अब हर कदम पर सकपकाने लगी.
निकिता ने भी मेरे अंडरवियर को ऩीचे सरका दिया और हथियार को बाहर निकाल कर प्यासी निगाहें लंड पर गड़ा दीं.

उसने अब लंड को एकदम टाइट पकड़ लिया था.
निकिता अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी, ऐसे लग रहा था कि निकिता को लंड लेने की बहुत उतावली हो रही है. उसकी चूत एकदम गर्म भटूरे की तरफ फूल चुकी थी.

निकिता मेरे लंड को एकदम कसके मुट्ठी में पकड़े हुए थी.
मेरे कहने पर निकिता ने लंड को ऊपर नीचे हिलाना शुरू कर दिया यानि उसने मेरे लंड की मुट्ठ मारना चालू कर दिया.

ऐसे लंड को हिलाते हिलाते निकिता की आंखों में एकदम चमक आ गई थी और आंखें एकदम नशे में लाल हो चुकी थीं.

एक तो मैं निकिता को पूरी तरह मसल रहा था, उसको अपनी बांहों में जकड़-जकड़ कर उसका कामुक बदन दबाए जा रहा था. साथ ही मैं उसके दोनों चूचों को बारी-बारी से खींचता हुआ पी रहा था.

उसके गाल पर, होंठों पर, माथे पर, सभी जगह चुम्मियों की झड़ी लगा दी मैंने!

निकिता भी किस करने के मामले में मेरे से ज्यादा उत्तेजित हो रही थी, मेरे हर चुम्बन का जवाब बड़ी तत्परता से दे रही थी.

फिर मैंने झुककर उसकी नाभि पर किस किया तो बदले में निकिता भी मेरी छाती के ऊपर किस करने लगी क्योंकि निकिता बड़ी चुदासी हो चुकी थी.

मेरे थोड़े से अनुनय-विनय करने पर उसने लंड को मुँह में ले लिया लेकिन सिर्फ लंड का टोपा मात्र उसके मुँह में बड़ी कठिनाई के साथ फंस रहा था.

मैंने थोड़ा सा मुँह पर लंड का दबाव दिया तो निकिता को सहन नहीं हो रहा था.
उसको उलटी जैसी होने लगी थी.

ये देख कर मैंने निकिता को लंड चुसाना मुनासिब ना समझा.

अब निकिता की चूत लंड लेने के लिए एकदम बेताब हो चुकी थी क्योंकि निकिता की चूत ने पानी छोड़-छोड़ कर चड्डी को एकदम चिकनी कर दिया था.

निकिता की सांसें एकदम तेज-तेज चलने लगी थीं.
वो अपने दांतों से मुझे हर तरफ से कंधों पर, छाती पर और गले पर काटने लगी थी.

अब मैंने सोचा कि अब तो बस चूत पर हथियार का निशाना लगा ही देना चाहिए.

मैंने निकिता को सीधी खड़ा किया और खड़े-खड़े ही हम एक दूसरे के आमने-सामने कसके पकड़े हुए थे.
हालांकि निकिता मेरी कमर पर हाथ डाले हुए थी और मैं निकिता की गांड पर कसकर हाथ डाले हुए था.

निकिता अपनी चूत का दबाव लंड के ऊपर जबरदस्त बढ़ा रही थी और लंड के ऊपर चूत को पूरा दबाने लगी थी लेकिन मैंने थोड़ा सा संयम से काम लिया.
मैंने खड़े-खड़े ही निकिता का मुँह दूसरी तरफ घुमा दिया और पीछे से उसको कसके पकड़ लिया.

दोनों हाथों की हथेलियों से चूचियों को एकदम दबा दिया, उसकी दोनों चूचियों को अच्छी तरह से गूँथने लगा.
मेरा लंड निकिता के चूतड़ों की दरार में एकदम अच्छे से गड़ रहा था. लंड राजा उत्तेजित हो चुका था.

क्या सुपर-डुपर गोल-मटोल चूतड़ थे न्यूड गर्ल हॉट निकिता के!
चूतड़ों की दरार में लंड तो ऐसे छुप रहा था मानो यह लंड की गुफा ही हो.

निकिता भी अपनी गांड का पूरा दबाव लंड के ऊपर देने लगी थी.
मैंने निकिता को थोड़ा सा आगे की तरफ झुकाया हुआ भी था.

मैं निकिता की गर्दन पर, कंधों पर और पीठ पर हर जगह किस कर रहा था, साथ ही एक हाथ आगे ले जाकर निकिता की चूत पर मसल रहा था.

निकिता की बुर इतना पानी छोड़ रही थी कि उसकी जांघों पर बहने लगा था.

निकिता एक हाथ से मेरा हाथ अपनी बुर पर दबाने लगी और उसने एक हाथ पीछे लाकर लंड को एकदम कसकर पकड़ लिया.
उसकी पकड़ से मुझे तो लग रहा था कि बस मैं निकिता की गोरी गोरी गांड के ऊपर ही रस टपका दूंगा.

हालांकि आग दोनों तरफ से ही लगी हुई थी.
वो भी किसी भी पल झड़ने को थी.

मैंने सोफे से तकिया उठाया और नीचे पड़ी हुई चटाई के ऊपर रख दिया.
निकिता को नीचे ही चटाई के ऊपर लेटा दिया और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया.

लेकिन सही बताऊं तो निकिता की एकदम मटके जैसी गांड को देखकर मेरे लंड को यही मन हुआ कि चूत से पहले गांड के अन्दर घुस जाऊं.

अब मैं भी निकिता के ऊपर दोनों टांगों के बीच में आ गया और निकिता के पैरों को थोड़ा सा ऊपर की तरफ मोड़ दिया.
निकिता के ऊपर मैं एकदम प्यार में बरसने वाले बादलों की तरह झुक गया था.

मैं अपने लंड का टोपा निकिता की चूत के ऊपर घिसने लगा था और बीच-बीच में चूत के दोनों फूले हुए होंठों के बीच मोटा लंड डाल रहा था.

एकदम पावरोटी के जैसे फूली हुई चूत की फांकें और उनके बीच में मेरा सात इंच लंबा लंड बड़ी मस्ती से खेल रहा था.

निकिता आंखें बंद करके लेटी हुई थी और मेरी कमर के दोनों तरफ हाथ घुमा रही थी.

क्या सेक्सी गुड़िया लग रही थी निकिता!

अब जबकि दोनों चुदाई की आग में सुलग रहे थे, मैंने बुर का शुभ मुहूर्त करना चाहा और लंड घचाक से उसकी चिकनी चमेली के अन्दर पेल दिया.

निकिता एकदम थर थर कांपने लगी. उसकी दोनों टांगें बहुत ज्यादा कांप रही थीं और उसकी सांसें अटक रही थीं.
उसकी चूचियां एकदम ऐसे ऊपर नीचे होने लगी थीं, जैसे कोई पंप से हवा भरकर उनको ऊपर नीचे करवा रहा हो.

निकिता रोने लग गई थी और मुझे कसकर पकड़ रही थी.

मुझे तो लगा जैसे मेरा लंड कोई जलती हुई भट्टी के अन्दर चला गया है.
कैसी भभकती हुई चूत थी निकिता की!

चूत के दोनों होंठ लंड को एकदम टाइटली कसके जकड़े हुए थे.

तभी निकिता ने एकदम से पांव सीधे कर दिए और जोर से चिल्लाने लगी- आह राजू … फाड़ दी मेरी छोटी सी चूत … ऊंहहह मम्मी रे … फट गई मेरी प्यारी प्यारी क्यूट सी चूत … आह राजू निकाल ले एक बार … निकालिए बाहर इस कमीने लंड को … आंह आग सी लगी है मेरी चूत में … इसको जल्दी से निकाल बाहर राजू … आह!

मैं लंड पेल कर रुका रहा.
वो लगातार मिन्नतें कर रही थी- मेरी चूत का कल्याण कर दिया … ओई मर गयी … यह जालिम लौड़ा. आह अपने लंड को थोड़ा बाहर निकालो तो … थोड़ा तो रहम करो … छोटी सी प्यारी सी चूत पर … आह मेरी चूत की तो बैंड बज गई आज … आह साला कितना कातिल लंड है आपका … आह राजू निकालिए ना बाहर … थोड़ी देर बाद कर लेना!

मैं कुछ नहीं बोला.
एक मिनट बाद वो फिर से कहने लगी- बहुत जल रही है यार … ऐसे लग रहा है जैसे कोई जलता हुआ गोला डाल दिया है चूत के अन्दर … उई राजू निकाल लो एक बार प्लीज मेरी चूत की जान बख्श दो … थोड़ी देर के लिए.

मैंने उसकी बड़बड़ सुनी और कहा- निकिता प्लीज … इसे बाहर मत निकलवाओ … मैं ऐसे ही डाल कर रुका रहूंगा तुम्हारी चूत के अन्दर … हिलूंगा भी नहीं … थोड़ी लंड की प्रॉब्लम भी समझो यार … अगर इसने चूत को इतना दर्द दिया है, तो आराम भी यही देगा … प्लीज़.

लेकिन निकिता नीचे से कसमसाई और उसने चिल्ला चिल्ला कर लंड को बाहर निकलवा दिया.

मैंने नीचे की तरफ झुक कर देखा तो लंड पूरा खून और रस से लथपथ हो चुका था.

मैं लंड को निकिता की जांघों के बीच में ही फंसा कर निकिता के ऊपर पड़ा रहा ताकि निकिता को दिखे नहीं कि उसकी चूत फट चुकी है, उसमें लबलबा कर खून बहने लगा था.

दो मिनट बाद मैं निकिता की चूत पर पुनः लंड घिसने लगा व एक बच्चे की तरह चूचे चूसने लगा.
मैं उसके गालों पर किस कर रहा था, कभी उसके होंठों को भी चूस रहा था.

फिर मैं निकिता की जीभ को अपने मुँह में लेकर अच्छी तरह चूसने लगा.

अगर किसी ने जीभ चूसी या चुसवाई हो तो वही शख्स इस स्वाद को फील कर कर सकता है.
आह … कितना मीठा मजा होता है इस किस में!

इसी बीच मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ नीचे ले जाकर निकिता की टांगें वापस ऊपर को उठाईं और साइड से हाथ ले जाकर उसके चूतड़ों पर भी हाथ फिराने लगा.

फिर लंड को चूत के ऊपर घिसते-घिसते मैंने सीधा निशाना लगाया और एक बार फिर से चूत के अन्दर लंड का गृह प्रवेश कर दिया.

इस बार निकिता के शरीर में पूरी तरह से अकड़न आ गई थी लेकिन मैंने अच्छी मजबूती से पकड़ के साथ लंड पेला था ताकि अभी बाहर ना निकलवा सके.

वो थोड़ी देर कसमसाई और फिर चीखने चिल्लाने लगी- हाय राजू, कितनी जुल्मी आग है ना ये चुदाई की भी … मेरी चूत पूरी तरह से फट चुकी है … चूत में बहुत जलन हो रही है … यार थोड़ा तो तरस खाओ मेरी प्यारी प्यारी चूत पर … मैं कहीं भागकर तो नहीं जा रही हूं … प्यार से कर लो, प्यार से घुसाओ अपने इस जुल्मी लौड़े को चूत के अन्दर … नहीं तो मैं मर जाऊंगी. प्लीज एक बार भी हिलना नहीं. अब तो मेरी चूत पूरी तरह छिल चुकी है, बहुत जलन हो रही है इसमें!

इधर मुझे महसूस हो रहा था कि चूत के आसपास कुछ गर्म-गर्म लावा बाहर निकल रहा है.

मैंने निकिता के होंठों पर होंठ लगाकर लिप किस चालू कर दिया और छाती के नीचे बूब्स को दबा लिया. अपने पैरों को ऊपर की तरफ़ मोड़कर लंड को चूत में एकदम से फिट बैठा दिया.

निकिता मेरी कमर के ऊपर से एकदम टाइट से दोनों हाथों से कसकर पकड़े हुई थी.

लगभग एक मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर धीरे-धीरे निकिता की गोल मटोल गांड की थोड़ी हलचल शुरू हुई.

निकिता की गोल मटोल गांड तकिए के ऊपर और मेरे लंड के नीचे आनंदित होकर हिलोरें ले रही थी.

मैं धीरे-धीरे ऊपर नीचे होना शुरू हुआ क्योंकि अब चुदाई का खेल शुरू हो चुका था.
दोस्तो, निकिता की बुर मुझे मजा देने लगी थी और उसी मजे में आगे क्या हुआ, वो मैं आपको सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.

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