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शादी से पहले पूर्णिमा की कामेच्छा

फ्रेंड्स लव फक सेक्स स्टोरी में दो लड़कों और एक लड़की की घनिष्ठ मित्रता है. तीनों आपस में खूब खुले हुए हैं पर GF–BF या सेक्स वाली कोई बात नहीं है. पर बाद में क्या हुआ?

मेरा नाम प्रशांत मलिक है और मैं गुड़गांव का रहने वाला हूँ. मैं 23 वर्ष का हूँ और बॉडी भी काफी अच्छी है.

मैं अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद बैंकिंग और अन्य कॉम्पिटिटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूँ.
मेरे साथ मेरे कॉलेज के दो दोस्त भी तैयारी कर रहे थे.

एक का नाम था अभिनन्दन … और दूसरी लड़की थी, उसका नाम पूर्णिमा था.

अभिनन्दन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले का रहने वाला था और यहां दिल्ली में आकर पढ़ाई कर रहा था.
पूर्णिमा दिल्ली से कुछ दूर होडल नाम के एक शहर की रहने वाली थी लेकिन बैंकिंग की तैयारी के लिए गुड़गांव में पेइंग गेस्ट के रूप में रह रही थी.

हम तीनों काफी गहरे दोस्त थे क्योंकि हम तीनों की मंज़िल एक ही थी; हम साथ में एक ही कोचिंग में पढ़ते थे, शाम में एक ही लाइब्रेरी में पढ़ाई करते थे.

सिर्फ मेरा घर गुड़गांव में है तो मैं ही अपने घर से तीनों के लिए खाना लाता था.
हम सब साथ में बैठ के लंच करते थे, घूमने जाते थे.

अभिनन्दन और पूर्णिमा कई बार मेरे घर भी आते थे, नाईट स्टे करते थे.
हम साथ में खूब मस्ती करते थे.

हमारी इतनी गहरी दोस्ती की वजह से हमारे घर वाले भी एक दूसरे के परिवार को जान गए थे और हम बिल्कुल ही परिवार जैसे हो गए थे.
हमने कभी भी एक दूसरे के प्रति किसी अन्य रूप से नहीं सोचा था.

अभिनन्दन भी दिखने में और बातचीत में काफी अच्छा था और बहुत ही अच्छे परिवार से था.

पूर्णिमा एक बहुत ही बड़े परिवार से थी. उसके पिता होडल में एक बहुत बड़े व्यवसायी थे, उनकी कई दुकानें थीं.

लेकिन वो ज़रा पुराने ख्यालात के थे. उन्हें हमारे दोस्ती से कोई ऐतराज़ नहीं था लेकिन जब भी पूर्णिमा मेरे घर रूकती थी, वो घर में झूठ बोलती थी.

यहां पर पूर्णिमा के विषय में बताना बहुत ज़रूरी है. पूर्णिमा जैसी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी.
वो बला की खूबसूरत थी, नशीले हुस्न की मालकिन थी.

लेकिन उससे भी कई ज़्यादा वो अच्छे स्वभाव की लड़की थी.
उसे अपनी खूबसूरती का लेशमात्र भी घमंड नहीं था.

उसके कपड़े पहनने का तरीका भी काफी आकर्षक था. वो काफी स्टाइलिश और महंगे कपड़े पहनती थी.
अगर वो चाहती तो वो आराम से मॉडलिंग या फिर एक्टिंग लाइन में जा सकती थी लेकिन उसके सपने ही अलग थे.

मैं और अभिनन्दन उसे कभी दोस्ती के अलावा किसी अलग नज़र से नहीं देखते थे.
ना उसका कोई बॉयफ्रेंड था … और ना ही हम दोनों की कोई गर्लफ्रेंड थी.

अब हुआ यूँ कि मार्च 2020 में कोरोना वायरस का कहर बरपा और मानो पूरी दुनिया ही ठप हो गयी.

कोचिंग बंद हो गयी, लाइब्रेरी बंद हो गयी.
यहां तक कि अभिनन्दन और पूर्णिमा के मकान मालिकों ने भी उन्हें अपने घर में रखने से मना कर दिया.

होडल यहां से 85 किलोमीटर ही दूर था, तो पूर्णिमा के परिवार वाले उसे अपने गाड़ी से आकर ले गए.
अभिनन्दन को मेरे माता पिता ने अपने घर रुकने को कह दिया क्योंकि गोरखपुर जाना मुमकिन नहीं था.
तो अभिनन्दन मेरे घर पर ही रुक गया.

शुरुआत के कुछ दिन तो हमने मज़े ही किए, गेम खेलना और नए नए व्यंजन बना कर खाना हमारा शगल हो गया था.
हम दोनों शाम में पूर्णिमा को वीडियो कॉल किया करते थे, बातें करते थे और गेम्स खेलते थे.

लेकिन धीरे धीरे ये सारी चीज़ें बोरिंग होने लगीं.

मैंने और अभिनन्दन ने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी.
पूर्णिमा से भी धीरे धीरे बातें कम होने लगीं. हफ्ते दो-हफ्ते में दो-चार मिनट, बस.

रेल फिर से शुरू हुयी तो अभिनन्दन भी गोरखपुर चला गया और हमारी दोस्ती में एक पूर्ण-विराम सा लग गया.
बस व्हाट्सप्प पर बात होती, किसी को याद आती, तो भूले-भटके कॉल मिला लेता.

फिर थोड़े देर हंसी मज़ाक करके फ़ोन कट.

इसी बीच मैंने ध्यान दिया कि पूर्णिमा अब बात करने में ज़रा संकोच करने लगी थी.
वो खुल कर हंस भी नहीं रही थी, शायद किसी परेशानी में थी.

यही बात अभिनन्दन ने भी नोटिस की थी.

जब दो तीन बार उसका स्वाभाव ऐसा ही रहा, तो हमने उससे पूछा कि वो ठीक तो है ना?
तो उसने हंस कर बात को पलट दिया.

लेकिन हम दोनों समझ गए कि कुछ गड़बड़ है.

फिर हम पढ़ाई में व्यस्त हो गए, वही पुराना रूटीन चलने लगा.
देखते ही देखते साल बदल गया और फ़रवरी का महीना आ गया.

कोचिंग और लाइब्रेरी वगैरह धीरे धीरे खुलना शुरू हो गयी थी.
मैंने अभिनंदन और पूर्णिमा दोनों को बता दिया.

अभिनन्दन अगले ही हफ्ते आ गया और मेरे घर में रुक गया.
पूर्णिमा को मैंने बताया तो वो अलग-अलग बहाने बनाने लगी.

हमने कई बार पूछने की कोशिश की लेकिन उसने कुछ न कुछ बहाना बना दिया.

फिर एक दिन मैंने और अभी ने हिम्मत करके आंटी (पूर्णिमा की मां) को फ़ोन किया और स्पीकर पर फ़ोन डाला ताकि हम दोनों आंटी से बात कर सकें.

प्रशांत- नमस्ते आंटी, मैं प्रशांत. आप कैसी हैं?
अभी- नमस्ते आंटी.

आंटी- नमस्ते बेटा नमस्ते. अरे तुम दोनों साथ में हो. बेटा अभी, तू यहां आ गया? बताया नहीं!
अभी- हां आंटी, मैं तो एक महीने पहले ही यहां आ गया था.

प्रशांत- आंटी, आप पूर्णिमा को अब यहां भेज दो, यहां सब कुछ खुल गया है. हमने उसके लैंड लार्ड से भी बात कर ली है और इस साल तो बैंक पीओ हम तीनों निकाल ही लेंगे. अब साथ में तीनों ज़बरदस्त पढ़ाई करेंगे.

आंटी- हा हा हा … इस साल तुम दोनों निकालो. पूर्णा तो अब अपनी ससुराल जाकर ही अफसर बनेगी.

मैं और अभिनन्दन एक दूसरे को देखने लगे क्योंकि हम कुछ समझ नहीं पा रहे थे.

इतने में अभी ने पूछ ही लिया- आंटी, आप भी कैसा मज़ाक करती हो, यू आर टू फनी.
आंटी- अरे बेटा, इसमें मज़ाक कैसा? पूर्णा ने तुम्हें बताया नहीं? उसकी शादी है जून में! पूर्णा ने तुम्हें सच में बताया नहीं क्या? ये लड़की भी हद है. दिन भर तुम दोनों से बातें करती रहती है और इसने इतनी बड़ी बात नहीं बतायी.

मैं और अभी बिल्कुल ही सहम से गए थे.

प्रशांत- आंटी, पूर्णिमा घर पर है क्या?
आंटी- नहीं बेटा, वो अभी मार्केट गयी हुयी है. उसके नंबर पर कॉल कर लो.
प्रशांत- ठीक है आंटी, आप अपना ख्याल रखिएगा, बाय.

मैं और अभिनन्दन बिल्कुल चुप होकर बस एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि हम इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि हमारी इतनी अच्छी दोस्त की इतनी कम उम्र में शादी हो रही है.

हमें ये भी पता था कि शादी के बाद कई लड़कियां चाह कर भी अपने सपने को पूरा नहीं कर पाती हैं.
जबकि पूर्णिमा बैंकिंग सेक्टर को लेकर बहुत ही गम्भीर थी.
यहां तक कि मेरे और अभी से कहीं ज़्यादा वो मैथ्स, रीजनिंग आदि में ऐसी सहज थी, मानो ये उसके बाएं हाथ का खेल हो.

हम दोनों कुछ देर शांत रहे, एक दूसरे से बातचीत भी नहीं की.

शायद इसी वजह से पूर्णिमा इतने दिनों से परेशान थी और शायद कहीं ना कहीं शर्मिंदा भी थी. शायद इसी वजह से वो हमसे बात करने में भी संकोच करने लगी थी.

एक डेढ़ घंटे के बाद हमने उसे फ़ोन करने का सोचा.

जैसे ही उसने कॉल पिक किया, अभी बोल पड़ा- पूर्णिमा यार, तुम पागल हो क्या? हाउ कैन यू एग्री टू डू दिस? हैव यू लॉस्ट योर माइंड? यू हैव योर व्होल करियर अहेड यार!
[तुम ये सब कैसे सोच सकती हो. क्या तुम पागल हो गई हो, पूरा कैरियर तुम्हारे सामने है.]

पूर्णिमा- अभी, तू शांत हो जा. आई विल टॉक टू यू इन अ व्हाइल.
[मैं तुमसे थोड़ी देर में बात करूंगी.]

फिर देर रात ग्यारह बजे पूर्णिमा ने कॉल किया.

प्रशांत- हैलो पुरु, क्या चल रहा है यार? तूने हमसे इतनी बड़ी बात छुपाई? ऐसा क्या हो गया कि अचानक शादी फिक्स हो गई तेरी?
पूर्णा- उधर अभी है?

प्रशांत- हां हां, ही इज हियर ओनली.
[हां, इधर केवल अभी ही है.]

पूर्णा- ओके, फिर स्पीकर पर कर लो फ़ोन. आई विल एक्सप्लेन एवरीथिंग.
[मैं सब बताती हूँ.]

फ़ोन आलरेडी स्पीकर पर था.
पूर्णा बोलते ही रो पड़ी.

पूर्णा- यार अभी-प्रशांत, मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हो रहा है. मेरे पापा को लंग कैंसर हो गया है. डॉक्टर ने जवाब दे दिया है कि पापा सिर्फ दो साल रहेंगे, क्योंकि कैंसर बिल्कुल लास्ट स्टेज में जाकर पता चला है … और इसका इलाज भी नहीं है.

ये सुन कर हम दोनों और ज़्यादा मायूस हो गए.

फिर मैंने पूछा.
प्रशांत- अंकल की तबियत कैसी है अभी? हॉस्पिटलिज़्ड हैं क्या? बता, तो हम मिलने आते हैं.
पूर्णा- नहीं नहीं, हॉस्पिटल में एडमिट होकर कोई फायदा नहीं था. डॉक्टर ने बस घर में ही रहने को कहा है. अब पापा बिज़नेस भी सही से नहीं संभाल पा रहे हैं.

इतने में अभी ने पूछ लिया- तो इसमें तेरी शादी का क्या सीन बन गया यार?

पूर्णा- पापा चाहते हैं कि उनके जाने के पहले मैं शादी करके सैटल हो जाऊं और वो मेरी शादी बड़ी धूमधाम से करना चाहते हैं.
अभी- तो तूने मना नहीं किया? पूर्णिमा तू सिर्फ 23 की है यार, एंड व्हाट अबाउट द एक्साम्स … एंड योर करियर?
[परीक्षा का क्या होगा और भविष्य?]

पूर्णा- यार प्रशांत, तू इसको समझा, मेरा बाप मरने को है और मैं अभी सेल्फिश होकर अपने करियर का सोचूं?
प्रशांत- नहीं नहीं, मैं समझ रहा हूँ तेरी बात पूर्णा, लेकिन ये हमारे लिए हज़म करने में काफी मुश्किल हो रहा है. तू बैंकिंग के लिए हमसे ज़्यादा लगी हुयी थी.

पूर्णा- यार, वो तो मैं फिर शादी के बाद कोशिश करूंगी. लेकिन अभी मैं अपने पापा की आखिरी इच्छा को नहीं मना कर सकती. मैं उनकी इकलौती बेटी हूँ और वो भी चाहते हैं कि मैं उनके जाने से पहले शादी कर लूँ.
ये कह कर पूर्णिमा फिर से रोने लगी.

अभी- अच्छा अच्छा, तू रो मत!

अभी ने उसे हंसाने के लिए कहा- अच्छा ये तो बता दे, किस भले इंसान का जीवन खराब करने की ज़िम्मेदारी मिली है तुझे?
वो रोते में ही ज़रा सी हंसी.

तो मैंने उससे बोल दिया कि तू अभी आराम कर, हम कल तेरे से बात करते हैं.
फिर मैंने कॉल कट कर दिया.

अगले दस मिनट में पूर्णिमा ने हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप में कुछ फोटो भेजे जो शायद उसके घर पर हुए एक छोटे से रोका समारोह जैसा दिख रहा था.

पूर्णा की जिस लड़के से शादी हो रही थी, उसे देख कर मेरी और अभी की हंसी छूट गयी और साथ में गुस्सा भी आया क्योंकि वो दिखने में तो बिल्कुल ही चूतिया सा था और हाइट में पूर्णिमा से कम था. उन दोनों की जोड़ी बिल्कुल ही बेकार लग रही थी.

पूर्णिमा जैसी बला के लिए तो ये चूतिया बिल्कुल भी नहीं था.
अगर पटाना होता तो इस चूतिये से तो सौ जन्म में भी पूर्णिमा जैसी लड़की नहीं पटती.

अभी ने तो अगले सेकण्ड में ही मैसेज कर दिया- ये चूतिया?

उतने में पूर्णिमा ने रिप्लाई दिया.
पूर्णा- शटअप अभी, डोंट जज हिम बाय हिस लुक्स. राजेश इज अ वेरी गुड गाए.
[राजेश को देख कर उसका अंदाजा मत लगाओ, वो एक अच्छा लड़का है.]

प्रशांत- सॉरी टू से पूर्णा, लेकिन तू इससे काफी बेटर डिज़र्व करती है.
अभी- राजेश? दिखने में भी चूतिया, और नाम तो महा-चूतिया.
पूर्णा- शटअप अभी!

फिर पूर्णा ने बताया कि ये चूतिया राजेश काफी पैसे वाला है, होडल में इसकी फैमिली का एक सिनेमा हॉल, कई बिल्डिंग्स और काफी बिज़नेस है. राजेश के पिता और पूर्णा के पिता कॉलेज फ्रेंड्स हैं … और उनका हमेशा से एक दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता है.

इतने में अभी ने मैसेज किया.
अभी- पूर्णा, सच बता, तू इसको लाइक करती है या सिर्फ प्रेशर में इसके साथ शादी कर रही है? बता, फिर हमारे पेरेंट्स अंकल-आंटी से बात करेंगे.
पूर्णा- अरे नहीं नहीं, राजेश इज अ गुड गाए … और मम्मी-पापा दोनों को पसंद है.

ये कह कर उसने बात को टाल दिया.
लेकिन हम समझ गए थे.

फिर हमारी बातचीत व्हाट्सप्प ग्रुप पर बढ़ गयी.
ज़्यादातर शादी से रिलेटेड डिस्कशन ही होते थे.
वो अपने कपड़े और बाकी तैयारियों के फोटोज भेजती थी और हम भी देखते थे.

मई महीने के पहले हफ्ते में ही पूर्णा ने हमें कार्ड भेज दिया और अभी और मेरे पेरेंट्स को पर्सनली कॉल करके भी इन्वाइट किया.
उसने हमारे पेरेंट्स से रिक्वेस्ट की कि कम से कम मुझे और अभी को वहां जल्दी आने दें.
हमारे पेरेंट्स भी मान गए.

शादी 16 जून की थी और हमने डिसाइड किया कि मैं और अभी कार ड्राइव करके जाएंगे और 12 जून को ही जाएंगे क्योंकि कोरोना प्रोटोकॉल अभी भी खत्म नहीं हुए थे.
हमने अपना प्लान पूर्णिमा को बता दिया और उसने बोल दिया कि वो हमारे लिए होटल में रूम बुक करवा देगी क्योंकि सारे गेस्ट्स होटल में ही रुकेंगे.

सारे पाठक सोच रहे होंगे कि अभी तक कुछ मसाला क्यों नहीं आया?
क्योंकि हम तीनों काफी गहरे दोस्त थे और हमने कभी ऐसा कुछ सोचा ही नहीं था.

आगे क्या होने वाला था, इसका दूर दूर तक हमें कोई अंदाजा भी नहीं था.

फिर चिंगारी भड़की और आग लगी, उस रात को.

उस दिन शाम के समय पूर्णा हर इवेंट के हिसाब से अपने सारे ड्रेस दिखा रही थी.
हल्दी में कौन सा ड्रेस, मेहंदी में कौन सा ड्रेस, कॉकटेल पार्टी में कौन सा, फेरे के वक़्त कौन सा, वरमाला के वक़्त की ड्रेस.

इतने में अभी ने मैसेज किया.
अभी- सारे दिखा ही रही है, तो सुहागरात वाला भी दिखा ही दे.

तो पूर्णा ने बेड पर रखा एक बहुत ही खूबसूरत लाल रंग की पैडेड ब्रा और मैच करती हुयी जी-स्ट्रिंग पैंटी का फोटो भेजा.
बिल्कुल विक्टोरिया सीक्रेट मॉडल्स जैसा पहनती हैं, वैसा सा था.

अभी ने फिर मैसेज किया- पहन कर भी दिखा ही दे.

पूर्णा ने ये मैसेज रीड किया और ऑफलाइन हो गयी.
अगले 5 मिनट तक कोई मैसेज नहीं आया.

मुझे लगा कि पूर्णा ज़रूर गुस्सा गयी है.

अभिनन्दन को डांटते हुए मैंने पूर्णिमा को कॉल किया और उसने रिंग होते ही कट कर दिया.
मैंने गुस्से में अभी को और डांट लगाई कि वो हमारी दोस्त है तो तू कुछ भी बोलेगा क्या?

उसने भी सॉरी बोलने के लिए कॉल किया लेकिन पूर्णा ने फिर कट कर दिया.
हम दोनों ज़रा डर गए.

करीबन रात के 10 बजे थे, हम किसी तरह से खाना ठूंस कर अपने रूम में आ गए थे.
ठीक सवा दस पर हम दोनों के फ़ोन में मैसेज की घंटी बजी.

हमने देखा तो ग्रुप में 6 फोटोस का नोटिफिकेशन दिखा.
हमने जैसे ही ग्रुप खोला, आंखें फटी की फटी रह गईं.

जो हम दोनों अपने अपने फ़ोन में देख रहे थे, उस पर हम विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे.
पूर्णिमा ने अपनी ब्रा और वो पैंटी पहन कर फोटो भेजी थीं.

मैं बता नहीं सकता कि वो कितनी खूबसूरत लग रही थी. मैं तो उसके फिगर को देख कर ही उसका कायल हो गया था.

उसका 34-24-32 का कातिलाना फिगर था.
वो पतली तो थी लेकिन उसकी कमर इतना सेक्सी थी, ये मैंने उस दिन जाना.

उसके मम्मे … उफ़! उसके अंडरवायर्ड ब्रा में बिल्कुल उभर कर आ रहे थे. क्लीवेज काफी खूबसूरत लग रहा था.
वो किसी टॉप लेवल बिकिनी मॉडल से कम नहीं लग रही थी क्योंकि उसकी हाइट भी काफी अच्छी थी … और उसकी लम्बी छरहरी टांगों का मैं उसी वक़्त दीवाना हो गया था.

जो पोज़ देकर वो फोटो खींची गई थीं, वो काफी उत्तेजित करने वाली फोटो थीं.

मैंने नोटिस किया कि उसने इन फोटोस के लिए हल्का मेकअप किया हुआ था.
जिस रंग की लॉन्जरी थी, उसने उसी रंग की डार्क लिपस्टिक भी लगाई थी. बाल खुले हुए थे.

सच कहूं तो कोई बॉलीवुड हीरोइन भी फेल थी उसकी उन तस्वीरों के सामने.

शायद ऐसा ही कुछ अभिनन्दन के मन में भी चल रहा होगा.
जब हम देख ही रहे थे कि अचानक सारे फोटोस डिलीट हो गए.
पूर्णिमा ने डिलीट फॉर एवरीवन कर दिया था.

उसके बाद उसका मैसेज आया.
पूर्णा- व्हाट्स से, ब्वॉय्स?
[क्या ख्याल है लड़को?]

ना मैंने जवाब दिया, ना अभी ने.

पूर्णा- अभी को चुप कराने का यही तरीका था.

फिर उसने एक हंसने वाली स्माइली के साथ हार्ट इमोजी दिया और ऑफलाइन हो गयी.

उस रात ना मैंने अभी से बात की, ना उसने मुझसे.
हम दोनों शायद उन तस्वीरों को अपनी आंखों के सामने से हटा नहीं पा रहे थे.

उस वक़्त मैंने ये भी सोचा कि काश जल्दी से स्क्रीनशॉट ले लेता लेकिन उस वक़्त कुछ समझ नहीं आ रहा था.

मैंने और अभी ने बात नहीं की लेकिन इतना ज़रूर पता था कि रात भर हम दोनों को नींद नहीं आयी.

दूसरे दिन से हम फिर से नार्मल बातें ही करने लगे, पूर्णिमा भी नार्मल ही और अपने पुराने अंदाज़ में ही बात करने लगी.
मुझे पता था कि मैं उन तस्वीरों को भुला नहीं पा रहा था और शायद भूलना भी नहीं चाहता था.

देखते ही देखते जून का महीना आ गया.

बारह दिन कटते देर नहीं लगती.
हम 12 तारीख को सुबह सुबह ही निकले ताकि बॉर्डर में कोई दिक्कत ना हो.

घूमते फिरते हम 12 बजे तक होडल में पूर्णिमा के घर पहुंचे.

जैसे ही हम घर के अन्दर घुसे, पूर्णिमा ने हमें देखा, वो दौड़ के आकर हम दोनों को हग करते हुए लिपट गयी.

हम तीनों ग्रुप हग करते हुए 5 मिनट तक वैसे ही खड़े रहे.

हम तीनों ज़रा इमोशनल हो गए क्योंकि हम पूर्णिमा से करीबन सवा साल बाद मिल रहे थे.
पूर्णिमा ऐसी ही बला थी, शादी की वजह से वो और भी सुन्दर लग रही थी.

क्योंकि शादी का माहौल था, घर पर हुल्लड़ मचा ही हुआ था, तो हमने खड़े खड़े ही दस पंद्रह मिनट बात की.

फिर आंटी ने हमें कहा कि जल्दी से हम अपने बैग्स अपने होटल रूम में रख दें और फ्रेश होकर लंच के लिए आ जाएं.
पूर्णिमा हमें होटल और रूम के डिटेल्स दे रही थी.

इतने में आंटी ने बताया कि जिस होटल में बाकी गेस्ट्स रुक रहे हैं, उनमें सारे रूम्स बुक हैं. उनमें मेहमान आने वाले हैं.

फिर जानकारी मिली कि मेरे और अभी के लिए जो होटल बुक किया गया है, वो घर से ज़रा दूर है क्योंकि आसपास के बाकी होटल्स में भी शादी सीजन होने के वजह से रूम्स फुल थे.
चूंकि हमारे पास गाड़ी थी, तो हमें आने जाने में दिक्कत नहीं होने वाली थी.

हमने वहां का एड्रेस लिया और अपने रूम में आ गए.
ये होटल काफी अच्छा था और महंगा भी, लेकिन शायद सिर्फ एक ही रूम बुक किया था यहां, वो भी सिर्फ हमारे लिए.

मैं और अभी फ्रेश हुए और कपड़े बदल कर वापस पूर्णिमा के घर के लिए निकले.
जब हम गाड़ी में ही थे, पूर्णिमा का अभी के फ़ोन में टेक्स्ट मैसेज आया.

पूर्णा- गाइस, ब्रिंग सम बूज़ (शराब) एंड ब्रिंग समथिंग हार्ड. गॉट टू कम्पलीट आवर पैक्ट (समझौता).
फिर दो मिनट में मैसेज आया.
पूर्णा- एंड कीप इट इन द कार ओनली.

आपको पहले हम हमारा पैक्ट समझा दें.
हम घूमने फिरने तो जाते थे लेकिन डर से कभी शराब नहीं पी थी और हमने अपने बीच में समझौता किया था कि जिस दिन हम तीनों का बैंकिंग क्लियर हो जाएगा, हम तीनों जमकर पिएंगे.
लेकिन पूर्णा की शादी के बाद ये मौका कभी नहीं आएगा.

हम ज़रा असमंजस में थे कि शराब खरीदें या नहीं … और खरीदें तो क्या?
पाठकों को सुनने में शायद अजीब ही लगे लेकिन इन मामलो में तजुर्बा बिल्कुल भी नहीं था, ना मुझे, ना ही अभी को.

पहला काम था अनजान शहर में ठेका खोजना, फिर डिसाईड करना कि क्या लेना है.
अभी ने अपने एक कजिन से फोन से पूछा और फिर हमने बियर, वोडका और व्हिस्की ले ली.

हमने शायद थोड़ी ज़्यादा ही खरीद ली.
खैर, हमने ये सब गाड़ी की डिक्की में एक थैले में रखा और घर आ गए.

पूर्णा ने दूर से इशारे में पूछा कि हमने शराब खरीदी की नहीं … और हमने इशारे में ही उसे हां में जवाब दिया.
हम जब क्लास में होते थे तो हमारे बीच इशारों में ही बात होती थी.

हम सब लंच करके तैयारियों में लग गए.
पूर्णा भी व्यस्त थी, वो बीच बीच में आ रही थी और कुछ कुछ बातें करके वापस चली जा रही थी.

गाना बजाना हुआ, शाम में नाच गाना हुआ.
मैं और अभी भी खूब नाचे.

अभी शादी में चार दिन थे तो कुछ ही रिश्तेदार आये थे.
फिर रात में डिनर करने के बाद पूर्णा के जितने रिश्तेदार थे, सब अपने होटल में चले गए.

अंकल, आंटी, पूर्णा, घर के दो नौकर और एक-दो जन ही रह गए.
हम असमंजस में थे कि जो शराब हम खरीद कर लाए हैं, उसका क्या करना है.

इतने में अंकल ने कहा- बेटा, रात हो गयी है. तुम दोनों भी निकल जाओ, कल सुबह नाश्ते से पहले आ जाना.
इतने में आंटी आ गईं और अंकल को कहने लगीं- अरे आप भी ना, पूर्णा के सिर्फ यही दो तो दोस्त हैं, शादी के बाद फिर कहां मिलना-जुलना हो पाएगा. इन्हें रहने दीजिए, अभी रात में तीनों दोस्त गप्पें मारेंगे. इतने महीनों बाद मिल रहे हैं. दिन भर ठीक से एक दूसरे का हाल समाचार भी नहीं पूछ पाए हैं.

अंकल- कहां इतनी रात में ये बातें करेंगे, थक गए होंगे, बातें कल सुबह कर लेंगे. अभी जाएं, होटल में रेस्ट करें दोनों बच्चे.

आंटी- आप चुप रहिए. अभी अभी जवान हुए हैं, अभी से थोड़ी थकान होगी. जाओ बेटा जाओ, ऊपर पूर्णा के कमरे में चले जाओ, मज़े से बात करो तुम लोग. रात में चाय-कॉफ़ी चाहिए तो मनोज (उनका नौकर) को बोल देना.

कैंसर के कारण अंकल ज़रा कमज़ोर ही लग रहे थे और उन्होंने भी फिर कोई ज़िद्द नहीं की.

मैंने सोचा कि कॉफ़ी पिएंगे तो इतनी दारू का क्या होगा?

मैं लोअर और टी-शर्ट का बहाना करके बाहर गया और जल्दी से थैले में रखी सारी बॉटल्स सीधे ऊपर ले गया.

पूर्णा का घर काफी बड़ा और आलीशान था.
नीचे के फ्लोर में कई कमरे थे लेकिन ऊपर सिर्फ एक बड़ा कमरा था और वो पूर्णा का था.

पूर्णा ने अपना रूम काफी सुन्दर सजाया हुआ था.
जैसे ही हम उस कमरे में घुसे, हमें पता लग गया कि ये पूर्णा का ही कमरा है.

हमारे आते ही पूर्णा अटैच्ड बाथरूम से निकली. वो एक टाइट टी-शर्ट और काफी छोटे शॉर्ट्स पहनी हुयी थी.

वह हमेशा की तरह बहुत सुन्दर लग रही थी.

उसे देखते ही मुझे उसकी वो ब्रा और पैंटी वाली फोटोस याद आ गईं.
लेकिन मैंने खुद को कण्ट्रोल किया.

उसने फिर से हमें हग किया और बैठने को कहा.

हम बातें करने लगे, अपने पुराने दिनों को याद करने लगे.

फिर पूर्णा ने हमें सारी बातें बताईं कि कैसे क्या हुआ, अंकल को लेकर वो काफी परेशान थे. फिर ये शादी का प्लान और सब कुछ जल्दी जल्दी में हुआ.

तभी उसने चूतिया राजेश का पूरा इतिहास बताया, जिसे सुनने में ना मुझे दिलचस्पी थी, ना अभी को.

अभी ने पूछा- अरे तेरे झोलूराम को हटा, इतना जो खर्चा करवाया है, उसका क्या करना है?
पूर्णा- करना क्या है? पिएंगे, निकालो.

हमने एक एक बियर की बोतल खोली, चियर्स किया. जीवन भर एक दूसरे के दोस्त रहने की कसम खायी और पीना शुरू कर दिया.

पहली बार पीने के कारण टेस्ट अजीब लगा पर हमने पूरी बोतल खत्म की.
पूर्णा ने व्हिस्की खोलने को कहा- आई वांट टू गेट कम्प्लीटली ड्रंक टुनाइट विथ यू गाइस.
[आज की रात मैं तुम दोनों के साथ टल्ली हो जाना चाहती हूँ.]

रूम ऊपर अकेला था तो डर तो नहीं था लेकिन फिर भी पूर्णा के लिए ही घबराहट थी.

मैंने व्हिस्की को गिलास में डाला और पानी मिलाया क्योंकि सोडा लाना भूल गए थे.
मैं और अभी जितनी देर में एक सिप लेते, उतने में पूर्णा ने पूरा गिलास खत्म कर दिया.

पूर्णा- वन मोर फॉर मी.
[मेरे लिए एक और बनाना.]

प्रशांत- रुक जा पूर्णा, आराम से, अभी तो पूरी रात बाकी है. फिर तू ज़्यादा पीकर सो जाएगी.
पूर्णा- आई वांट टू गेट हाई … तू डाल यार इसमें.
[मैं टल्ली हो जाना चाहती हूँ.]

मैंने अभी को देखते हुए एक और पैग बना दिया.

ऐसे ही हमारा एक पैग भी खत्म नहीं हुआ और पूर्णा 4 पैग गटक गयी और उसे चढ़ भी गयी.
मैं और अभी भी पहली बार पी रहे थे, तो हमारा सर भी थोड़ा भारी सा लगने लगा.

इतने में पूर्णा मेरे और अभी के बीच आकर बैठ गयी.
पूर्णा- मैंने तुम दोनों को बहुत मिस किया. उधर आकर तुम दोनों से मिलने का बहुत मन करता था, लेकिन इतना कुछ हो गया कि मैं बता भी नहीं पायी. मैं तुम दोनों के बिना कैसे रहूंगी यार! तुम दोनों भी चलो ना मेरे साथ.

अभी- तू चल ले हमारे साथ, उस चूतिया राजेश के पास हम क्यों जाएं?
प्रशांत- हा हा हा … अभी ने उसका नाम ही चूतिया राजेश रख दिया है.

पूर्णा- शटअप … ही इज अ गुड गाई.
अभी- किस बात का गुड गाई, शक्ल देखी है उसने अपनी? झोलूराम लगता है साला. कहां तू हेरोइन और कहां वो चपरासी साला!

इतने में पूर्णा ने मेरे कंधे पर सर रखा और सामने बैठे अभी का हाथ पकड़ा.
उसने बहुत ही हल्की आवाज़ में कहा.

पूर्णा- फ़क ऑफ, अभी. राजेश इस रियली अ ग्रेट गाई, बट ही इस नॉट लाइक यू बोथ.

ये कहते ही वो मेरे कंधे से उठी और अभी को सीधे होंठों पर स्मूच करने लगी.
अभी पूरे तरीके से शॉक में था.

वो बस वैसे ही जम गया और पूर्णा उसके चेहरे को पकड़ कर काफी तेज़ी से किस कर रही थी.
मैं भी वहीं जम गया; कुछ कह नहीं पा रहा था … और शॉक में देख रहा था कि हो क्या रहा है.

जितनी देर में मैं कुछ सोच पाता, पूर्णा ने अचानक अभी को छोड़ा, वो मुड़ी और मेरे होंठों पर अपने रसीले होंठ रख दिए.
अब मैं भी बस वहीं जमा रह गया.

वो पागलों की तरह मेरे चेहरे को पकड़ कर किस करने लगी.
ना मैं कुछ समझ पा रहा था और ना अभिनन्दन.

इतने में पूर्णा रुकी और उसने कहा- आई लव यू बोथ. आई हैव ऑलवेज लव्ड यू बोथ, अभी एंड प्रशांत. जिस दिन से मेरी शादी तय हुयी है, मैं सिर्फ इस वजह से दुखी हूँ कि मैं तुम दोनों से शायद फिर कभी मिल नहीं पाऊंगी. मैं इस डर में थी कि कभी तुम दोनों को अपने दिल की बात बता नहीं पाऊँगी. आई वान्ट बी एबल टू लव राजेश द वे, आयी लव यू गाइस.
[जिस तरह से मैं राजेश को प्यार करूंगी, उसी तरह से तुम दोनों को भी प्यार करना चाहती हूँ.]
‘लेकिन आज जब तुम दोनों को सुबह देखा, मैं खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पायी और मैंने मां को बहुत कन्विंस किया ताकि तुम दोनों आज यहां रुक सको. आज बताना बहुत ज़रूरी था क्योंकि मैं रिग्रेट में नहीं रहना चाहती. मैंने उस दिन जानबूझ कर अपनी लॉन्जरी वाली फोटोस भेजी थीं लेकिन तुम दोनों की तरफ से कोई भी रिएक्शन नहीं आया. हां, ये बातें बिना दारू के नहीं कह सकती थी क्योंकि मेरे लिए भी बहुत मुश्किल था. क्योंकि आई लव यू बोथ. ये एक्सेप्ट करना ही बहुत टफ था मेरे लिए.’

मैं और अभी शॉक में ही थे, क्योंकि ऐसा कुछ होगा, हमने सोचा तक नहीं था.
हम दोनों चुपचाप पूर्णा की बातों को बस सुन रहे थे.

वो अचानक उठी और उसने दरवाज़ा डबल-लॉक कर दिया; खिड़की भी पूरे तरीके से लॉक कर दीं. लाइट्स ऑफ करके एक रेड बल्ब जला दिया जिससे पूरे रूम का माहौल काफी सेक्सी सा हो गया.

उसने वहीं पर खड़ी होकर अपनी टी-शर्ट निकाल कर फेंक दी. अभी वो ब्रा और शॉर्ट्स में थी.
पूर्णा काफी हॉट लग रही थी.

उसकी पतली कमर, लाल लाइट में चमक रही थी.
पूर्णा हमारे बीच में आ गयी और कामुकता भरी आवाज़ में बोली- आई एम आल योर्स फॉर द नेक्स्ट 3 डेज़. जो करना है करो, बट आयी वांट टू डू एवरीथिंग टुगेदर.
[मैं अगले तीन दिनों के लिए तुम दोनों की हूँ, जो चाहे करो. मैं तुम्हारे साथ सब कुछ करना चाहती हूँ.]

इस क्षण शायद मैंने और अभी ने एक साथ अपनी शर्म को छोड़ा क्योंकि पूर्णा हमारे लिए बहुत ही प्रिय थी.
हम दोनों ही उसे बहुत प्यार करते थे.

अब तक शायद इस रूप से नहीं, लेकिन इसमें भी कोई बुराई नहीं थी क्योंकि हम पिछले 4-5 साल से एक दूसरे को जानते थे और हम तीनों का एक दूसरे के अलावा और कोई दोस्त-यार था भी नहीं.

जैसे ही पूर्णा ने कहा, अभी ने पूर्णा के चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया.
इतने में मैं भी उसके गले पर किस करने लगा.

अभी ने जैसे ही छोड़ा, पूर्णा मेरी तरफ मुड़ी और मैंने फिर से उसके होंठों को किस करना शुरू कर दिया.

मैंने किस करते हुए उसके होंठों को हल्के से बाईट किया और बीच बीच में उसके जीभ से खेलते हुए फ्रेंच किस कर रहा था.
किस करते हुए मैंने देखा कि अभी, पूर्णा के मम्मों को उसकी ब्रा के ऊपर से दबा रहा था और पूर्णा भी हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी थी.

मैं भी किस करते हुए उसके बाएं बूब को दबाने लगा और इसी बीच अभी पूर्णा के मम्मों के उभरे हिस्से को चाटने और काटने लगा.
अभी ने काटते हुए शायद काफी ज़ोर से काट लिया था जिससे पूर्णा को दर्द हुआ.

अभी के दांतों के निशान पूर्णा के मम्मों पर आ गए.
वो तमतमा कर उठ खड़ी हुयी.

इस प्रकरण के बीच मेरे और अभी के लोअर में लौड़े के खड़े होने से तम्बू बन गए थे.
पूर्णा तम्बू देखते ही हंस पड़ी- ओ … सो यू बोथ आर हार्ड आलरेडी … लेट मी हार्डेन देम इवन मोर.
[तुम दोनों गर्मा गए हो मुझे भी कुछ और ज्यादा गर्म हो जाने दो.]

ये कहती हुई वो बैठ गई.
पहले उसने मेरा लोअर खींचा, फिर मेरी चड्डी. इसी तरह से उसने अभी का भी काम उठा दिया.
लोअर हटते ही हम दोनों का तना हुआ लौड़ा और ज्यादा खड़ा हो गया.

मेरा लौड़ा 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है और अभिनन्दन का लौड़ा भी 7 इंच लम्बा है लेकिन उसका ज़रा पतला है.

हम दोनों के लौड़ों को पूर्णा ने एक साथ पकड़ा. उसने पहले अभी के टोपे पर एक हल्का सा किस किया, फिर मेरे टोपे पर.
फिर उसने मेरे लौड़े पर थूका, फिर अभी के लौड़े पर … और अभी के लौड़े को सीधे मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

वो अभी के लौड़े को काफी तेज़ी से चूस रही थी और साथ ही साथ उतने ही तेज़ी से मेरे लौड़े को अपने हाथ से ऊपर नीचे हिला रही थी.
उस वक़्त लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में ही हूँ.

उसके बाद वो सीधा मेरे लौड़े पर आ गई. उसने मेरे लंड पर फिर से थूका और मेरा पूरा लौड़ा अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी.
पूर्णा के मुँह से गप गप गप गप की आवाज़ आ रही थी क्योंकि वो पूरा लौड़ा अपने गले तक ले रही थी.

उसकी आंखों से आंसू भी निकल रहे थे लेकिन वो रुक नहीं रही थी.
वो जितनी तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी, उतनी ही तेज़ी से अभी का लौड़ा पकड़ कर हिला रही थी.

प्रशांत- पूर्णा, तू बेस्ट है यार. हमने ये पहले क्यों नहीं किया?
अभी- हां यार, तू पहले बता देती, आयी आल्सो लव यू यार!
प्रशांत- हां पूर्णा, मैं भी प्यार करता हूँ तुझे.

इन बातों के बीच पूर्णा एक बार मेरा लौड़ा चूसती, फिर अभी का, फिर मेरा, फिर अभी का.

ऐसा करते करते अभी झड़ गया और थोड़ी देर में मैं भी.

दोनों के लौड़े से काफी ज़्यादा और काफी गाढ़ा वीर्य निकला.
मुझे लगा पूर्णा को शायद घिन आएगी, लेकिन हुआ कुछ और ही.

पूर्णा दोनों का इतना सारा वीर्य चाट कर खा गयी और मैं उसकी इस अदा का कायल हो गया.

फिर पूर्णा उठी और उसने अपनी ब्रा को खोल कर गिरा दिया.

मैंने सुना और पढ़ा था कि नेचुरल मम्मे एक आकार के नहीं होते, या फिर अलग अलग दिशाओं में झुके होते हैं.
लेकिन पूर्णा के मम्मे बिल्कुल गोल, सुडौल, टाइट और बड़े बड़े थे.
इतने सुन्दर मम्मे पोर्न स्टार्स के भी नहीं होते हैं.

वो हम दोनों के बीच आके बैठ गयी.
हम दोनों ने देर ना करते हुए उसके एक एक मम्मे को पकड़ लिया और हौले हौले चूसने लगे.
उसके दूध की किशमिश को मैंने पकड़ कर भींच दिया और वो कराह उठी.

अभी भी उसके मम्मे पर फिर से काटने लगा और उसकी किशमिश को ज़ोर से खींचने लगा.
इस बीच पूर्णा की सिसकारियों की आवाज़ तेज़ हो गयी, उसकी सांसें भी तेज़ हो गईं.

पूर्णा हमारे बीच ऐसे बैठी थी ताकि वो हम दोनों के लौड़ों को पकड़ कर खेल सके.
वो हम दोनों के लौड़े हिला रही थी.

अभी बीच बीच में उसकी किशमिश को काटता, फिर उसके होंठों को चूमता.

उसके बूब चूसते चूसते मेरा हाथ अपने आप नीचे चला गया.
वो टांगें फैला कर ही बैठी थी.

शॉर्ट्स के ऊपर से मैंने पूर्णा की चूत पर हाथ रखा, तो वो बिल्कुल गीली और चिपचिपी पड़ी थी.
पूर्णा की चूत ने पानी छोड़ दिया था.

मैंने शॉर्ट्स के ऊपर से जैसे ही उसकी चूत को मसला, वो सिहर उठी.
उसके मुँह से चीख निकलने वाली थी लेकिन उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया.

मैंने उसकी किशमिश को थोड़ी ज़ोर से काटा और उठ कर उसके पैंटी को खोल दिया.
अब पूर्णा पूर्ण रूप से नंगी हो गयी. इतना खूबसूरत बदन शायद ही किसी का हो.

मैंने अभी को इशारा किया और पूर्णा की टांगें फैला दीं.
पहले मैंने उसकी चूत को निहारा.

मैं और अभी, दोनों पहली बार चूत देख रहे थे.
पूर्णा उस वक़्त सिर्फ 23 साल की ही थी और वर्जिन थी.
उसकी चूत एकदम गुलाबी रंग की थी, चूत पर एक बाल भी नहीं था, बिल्कुल मखमल जैसी मुलायम थी और वो हल्की सी फूली हुई भी थी.

मैंने कई पोर्न वीडियोस देखी थीं लेकिन इतनी सुन्दर चूत किसी पोर्न स्टार की वीडियो भी नहीं दिखी थी.
उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी और रस से कांच सी चमक रही थी.

वो अभी भी हमारे बीच में ही बैठी हुयी थी.
मैंने उसकी चूत को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर मैं सहलाता, थोड़ी देर अभी.
धीरे धीरे हमने स्पीड बढ़ाई और पूर्णा अब मचलने लगी.

उसने बगल में पड़ी मेरी चड्डी को उठाया और अपने मुँह में ठूंस लिया.
हम उसका इशारा समझ गए.

हमने उसकी चूत को बहुत तेज़ रगड़ना शुरू कर दिया.
पूर्णा कराहने लगी और हम दोनों ने मिलकर इतनी तेज़ी से उसकी चूत को रगड़ा कि वो 5 मिनट में ही झड़ गयी.
उसकी चूत से गाढ़ा रस बहने लगा.

लेकिन रात अभी बाकी थी और हम तीनों के अन्दर का जोश भी.

अभी बिस्तर पर चढ़ गया.
उसने पूर्णा के मुँह से मेरी चड्डी निकाली और अपने तने लौड़े को घुसेड़ दिया.
वो पूर्णा के मुँह को चोदने लगा.

मैं बिस्तर से नीचे उतर गया, पूर्णा की टांगों को और फैला कर सीधे उसकी चूत में मैंने अपनी जीभ को डाल दिया और उसकी रस से भरी चूत को चाटने लगा.
अभी उसके मुँह को लौड़े से चोद रहा था और मैं जीभ से उसकी चूत को.

पूर्णा की सांसें तेज़ चल रही थीं, वो बीच बीच में सिहर भी रही थी, मचल रही थी.
उसका शरीर कांप रहा था लेकिन ना अभी रुक रहा था, ना मैं!
और ना शायद पूर्णा चाहती थी कि हममें से कोई रुके.

थोड़ी देर में पूर्णा फिर से झड़ी और उसके रस का एक बड़ा सैलाब मेरे मुँह पर लगा.
मैंने उसकी चूत को चाट कर उसके रस को साफ़ कर दिया.

उसका रस बियर-व्हिस्की के टेस्ट से जरा भी कम मजेदार नहीं था.
इसी दौरान अभी ने पूर्णा के मुँह में ही अपना वीर्य छोड़ दिया और वो पूरा पी गयी.

फिर मैं बिस्तर पर लेट गया.
प्रशांत- पुरु, तू डिस्चार्ज हो गयी, अभी भी डिस्चार्ज हो गया, मेरा वाला बाकी है.
पूर्णा- डोंट यू वरी, लव!

ये कहते ही वो मेरे पास आयी और थूक कर मेरे लौड़े को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
बगल में लेटे अभी के मुर्दा लंड को भी सहलाने लगी.

मैं जल्दी ही झड़ गया.
वो मेरा भी पूरा वीर्य पी गयी.

तीनों थक कर बिस्तर पर गिर पड़े.
बीच में हमारी प्यारी पूर्णा थी.

लिपट कर कुछ देर उसने बस हमारे होंठों को चूमा.

पूर्णा ने घड़ी देखा तो 4 बज गए थे.
वो उठी और हम दोनों का हाथ पकड़ कर खींचती हुई बाथरूम की ओर ले गयी.
एसी चलने के बावजूद हम लोग पसीने से लथपथ थे.

तीनों शॉवर के नीचे खड़े होकर नहाये.
नहाने के दौरान पूर्णा ने फिर से नीचे बैठकर हमारे लौड़ों को चूसा.
हमने भी उसे किस किया, उसके मम्मों को चूसा.

फिर नहा कर हम सब बाहर आ गए.
उसने हम दोनों को टॉवल से पौंछा और कपड़े पहनाए.
हमने भी पूर्णा को पौंछा और उसे कपड़े पहनाए.

फिर हमने बेडशीट चेंज की, रूम को साफ़ किया.
पूर्णा ने मुझे और अभी को एक कागज़ दिया और गुड नाईट किस देते हुए दबे पांव नीचे सोने चली गयी ताकि सबको लगे कि वो रात भर हमसे अलग सोई थी.

मैं और अभी अब भी विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि पूरी रात हमारे साथ क्या हुआ, लेकिन हम दोनों खुश भी थे.
हमने उस कागज़ को खोल कर पढ़ा, तो उसमें कुछ यूँ लिखा था.

My Babies!
I broke the ice between us. We did have fun tonight but technically we are still virgins. I want my first to be with you both only and want it to be really special. For the next 3 days I am all yours. But, now it is on you boys how you arrange and fulfill my 3 wishes.
My 3 wishes are
13th June – Sex
14th June – Anal
15th June – Double Penetration
Make it special my babies. Start thinking, ’cause it’s gonna be tough. Don’t forget to buy condoms, lots of ’em. And take those blue magical pills if you need ’cause I won’t let you guys stop.
So get ready for friends love fuck sex.
Your love
P
ऊपर लिखे सन्देश का हिन्दी अनुवाद:

दोस्तो, मैंने हम तीनों के बीच की सारी सीमाएं तोड़ दी हैं. पूरी रात मस्ती करने के बाद अभी हम तीनों कुंवारे हैं. मैं अपना कौमार्य तुम दोनों के साथ ही भंग करवा कर इसे कुछ ख़ास बनाना चाहती हूँ. अगले तीन दिन तुम्हारे हैं. ये तुम्हारे ऊपर है कि मेरी तीन इच्छाएं तुम दोनों कैसे पूरी करते हो.
1- पहली रात को चूत चुदाई.
2- दूसरी रात में गांड चुदाई.
3- तीसरी रात में दोनों छेदों में एक साथ लंड पेल कर चुदाई.

इस सबको स्पेशल बनाने के लिए ये मैं तुम दोनों पर छोड़ती हूँ कि कैसे करोगे. कंडोम लाना मत भूलना और सेक्स पॉवर बढ़ाने वाली वो नीली गोलियां भी लेना मत भूलना, क्योंकि तुम्हारे रुक जाने से मैं अपना मजा खराब करना नहीं चाहती हूँ.
तुम्हारी.
पू.

मैंने पढ़ कर अभी की तरफ देखा.
अभी- मैं थक गया यार, थोड़ी देर सो लेते हैं, फिर उठ कर सोचते हैं.

मैंने भी सोना ही ठीक समझा क्योंकि सच में मैं भी थक गया था.
पहली बार के लिए इतना सब काफी थकाने वाला था, लेकिन हम दोनों के चेहरे पर एक मुस्कान और एक ख़ुशी थी.

सोने से पहले देखा व्हाट्सप्प पर पूर्णा का मैसेज आया हुआ था.

पूर्णा- थैंक्यू फॉर टुनाइट, माय बेबीज़. आई लव यू बोथ.
प्रशांत- वी शुड बी थैंकिंग यू, पुरु. आई लव यू टू.
अभी- यस, लव यू, पुरु, थैंक्स.

फिर हम सब सो गए.
अगली रातों में क्या हुआ कैसे हुआ, वो सब बाद में लिखूंगा.

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