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पराये मरद का लंड लेने की तमन्ना

 मेरा नाम है रूपाली घोष!

मेरी शादी 2 साल पहले मिस्टर आशीष घोष के साथ हो गयी थी।

हम लोग हैं तो कोलकाता के रहने वाले पर अब मुंबई में रहते हैं। मेरी ससुराल मुंबई में ही है।
नाम से आपको मालूम हो गया होगा कि हम बंगाली हैं।

मुंबई शहर मुझे बहुत अच्छा लगता है।

शादी के बाद मेरा पति आशीष मुझे अपना हनीमून मनाने बैंकाक ले गया था।
बैंकाक तो लाजबाब शहर है।

सबसे अच्छी बात यह है की वहां हम दोनों ने खुल कर हनीमून मनाया।
बैंकाक शहर से लगभग 100 किलो मीटर दूर एक जगह है पटाया या पताया … वहीं पर हम लोग 4 दिन रुके।

अब आप से क्या छुपाना दोस्तो, हमने वहां पर न्यूड डांस के कई प्रोग्राम देखे।
लगभग एक दर्जन लड़कियों को खुले आम स्टेज पर एकदम नंगी नंगी एक साथ नाचती हुई देखा।

चूत के कई खेल भी देखे।
एक दिन स्टेज पर खुली पूरी पब्लिक के सामने चुदाई भी देखी।

वहां पर सरकार की तरफ से कोई मनाही नहीं है, कहीं कोई पाबन्दी नहीं।

रात में मेरा पति मुझे जी भर कर चोदता भी था। मुझे उसका लण्ड बहुत पसंद है और मैं उसका खूब मज़ा लिया करती थी।

मैं अपनी शादी में 25 साल की थी और खूब चुदी हुई थी। मैं कई लंड का मज़ा शादी के पहले ही ले चुकी थी और हर तरह से ले चुकी थी।

मुझे लंड चूसने में, लंड से खेलने में और झड़ता हुआ लंड पीने में बड़ा मज़ा आता है।
यही मज़ा मैं अपने पति के लंड से लेने लगी।

लेकिन इन 2 साल में मेरा मन अपने पति के लंड से भर गया और मैं पराये मर्दों के लंड की खोज में जुट गयी, गैर मर्द से सेक्स का मजा कुछ अलग ही होता है ना!

एक दिन मेरी मुलाकात मेरी एक पुरानी दोस्त अरुणा से हो गयी।
उसने बताया कि वह मुंबई में ही रहती है। उसका पति किसी बैंक में काम करता है।

बातों बातों में ही उसने बताया- यार रूपाली, मैं तो पराये मर्दों से खूब चुदवाती हूँ। बिना पराये लंड के मैं रह नहीं सकती!

तब मैंने कहा- यार, मुझे भी किसी के लंड से मिलवा दो न? मेरा पति 3 दिन के लिए आज ही दिल्ली जा रहा है।
उसने कहा- ठीक है, मैं किसी को तेरे पास भेजती हूँ कल शाम को!

मैं अगले दिन उसके आने का इंतज़ार करने लगी।

वह जब आया तो मैं उसे देख कर खुश हो गयी।
लड़का तो स्मार्ट और हैंडसम था।

मैंने उसे बड़े प्यार से बैठाया, ड्रिंक ऑफर की और हम दोनों ने बातचीत करना शुरू कर दिया।
उसका नाम रोहित था.

मैंने एक छोटी सी तंग ब्रा पहन ली थी और नीचे एक घाघरा!
मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ ब्रा से निकलने के लिए व्याकुल हो रही थीं।

चूचियों का उभार मर्दों को परेशान करता ही है।
मेरी चूचियाँ देख कर ही उनके लण्ड खड़े हो जाते हैं जैसे रोहित का खड़ा हो गया था।

उसकी तंग पैंट इस बात की गवाही थी की लंड अंदर से खड़ा है।

मैं अपने बालों को बार बार झटक रही थी और उसे रिझा रही थी; बार बार बाल चूचियों से हटा रही थी और गिरा भी रही थी।

अपनी आँखें मटका मटका कर मैं बड़े प्यार से बातें कर रही थी।
उसका मन तो मेरे बूब्स पर ही अटक गया था।

मैंने पूछा- तुम अरुणा को कैसे जानते हो और कब से?
वह बोला- मैं उसे दो साल से जानता हूँ। अरुणा भाभी बहुत अच्छी हैं. उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। मैं उसका बहुत बड़ा फैन हूँ। उसे बहुत चाहता हूँ।

मैंने पूछा- अरुणा की सबसे अच्छी चीज क्या लगी तुम्हें?
वह बोला- उसके बड़े बड़े बूब्स और मस्ताने चूतड़!

मेरे मुंह से निकला- तो क्या तुम गांड भी मारते हो अरुणा की?
वह बोला- गांड मारता नहीं पर वह अच्छी लगती है मुझे!

मैंने पूछा- अच्छा तेरे लंड का साइज क्या है?
वह एकदम से सकपका गया और बोला- अब सही तरह से तो नहीं मालूम … मैंने कभी नापा ही नहीं।

मैंने कहा- अच्छा यह बताओ तुम बीवियां चोदना ज्यादा पसंद करते हो की कुवांरी लड़कियां?
वह बोला- बीवियां! क्योंकि उनसे कोई ख़तरा नहीं होता और चुदाई भी बहुत अच्छी होती है।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और चूम लिया।
फिर मेरे गाल चूम लिए और कहा- वैसे तुम भी अरुणा भाभी से कम नहीं हो रूपाली भाभी! बल्कि कुछ ज्यादा ही हो। तुम्हारे बड़े बड़े बूब्स तो मेरी जान ले रहे हैं। मन करता है इनका रस निचोड़ लूँ।

उसने मुझे अपने सीने से चिपका लिया और मैं भी चिपक गयी।
मुझे तो पराये मरद का लंड चाहिए था। मैं उसके लंड तक जल्दी से जल्दी पहुंचना चाहती थी।

अरुणा ने मुझे इसके लंड के बारे में कुछ भी नहीं बताया था।
मेरा पूरा बदन जलने लगा।

आखिरकार मैंने उसका लंड पैंट के ऊपर से दबा दिया और कहा- यार, अब इसे निकाल कर दिखाओ न मुझे! मैं तड़प रही हूँ इसके दर्शन करने के लिए।

मैं उसे सीधे बेड रूम ले गयी, उसके कपड़े उतारने लगी और वह मेरी चूचियाँ खोलने की कोशिश करने लगा।

मेरी चूचियाँ खुली तो वह बोला- वॉवो … क्या बात है भाभी जी, आपकी चूचियाँ अरुणा की चूचियों से बड़ी हैं! मज़ा आ गया।
वह दोनों पकड़ कर चूमने लगा चाटने लगा दबाने लगा सहलाने लगा।

तब तक मैंने भी उसे नंगा करके उसका लौड़ा पकड़ लिया।
लौड़ा बहनचोद तना हुआ था।

मैंने कहा- अरे वाह … बड़ा जबरदस्त है यार तेरा लौड़ा? लंबा भी है और मोटा भी! मुझे ऐसे ही लौड़े पसंद हैं।

संयोग से उसकी झांटें बिलकुल साफ़ थीं तो लौड़ा बड़ा लग रहा था।
मैंने लौड़ा कई बार चूमा, उसे पुचकारा, उसका सुपारा चाटा और कहा- यार मैं ऐसे ही लंड के लिए बहुत दिनों से परेशान थी। आज मेरी परेशानी दूर हुई।

तब उसने मेरा घाघरा भी खोल डाला।
अब मैं मादरचोद पूरी नंगी हो गयी उसके आगे!

वह मेरी चूत सहलाने लगा और फिर अपना मुंह मेरी टांगों के बीच घुसेड़ कर चाटने लगा मेरी चूत!
मुझे वह मज़ा आने लगा जिसका मुझे इंतज़ार था। मुझे ग़ैर मर्दों से अपनी चूत चटवाना बहुत अच्छा लगता है।

वह भी जोश में था और मैं भी! उसने घूम कर लण्ड पेल दिया मेरी चूत में! लण्ड घुसते ही मुझे बड़ा अच्छा लगा।
मैं तो चुदी हुई थी, मुझे दर्द तो हुआ नहीं पर हां मज़ा बहुत आने लगा।

शादी के बाद यह मेरा पहला पराये मरद का लंड था और मैं मस्ती से चुदवाने लगी।

मैं बोली- हाय मेरे राजा, आज तुम मुझे हर तरफ से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत … तेरा लौड़ा बड़ा मस्त है यार … पूरा पेल पेल के चोदो।
मैं भी उसके हर झटके का जबाब झटके से देने लगी।
गैर मर्द सेक्स से झड़ते हुए मैंने लण्ड का मज़ा लिया।

उस दिन तो मैंने रोहित को एक चुदाई के बाद ही भेज दिया.
पर अगले दिन उसे दोपहर में बुला लिया. उसके आने से पहले ही मैंने अपनी चूत की झांटें क्रीम लगाकर एकदम साफ़ कर ली थी.

दोपहर को मैंने पूरी नंगी होकर उसके आने पर गेट खोला तो वह हैरान रह गया.

अंदर आते ही मैंने उसे नंगा किया और उसका लंड मुंह में भर लिया.
दस मिनट तक मैंने लंड चूसा पर वो नहीं झड़ा.
तब मैंने उसे 69 में आने को कहा और उससे अपनी चूत चटवाई.
उसने बहुत मजे देकर मेरी चूत चाटी और मुझे झड़वा दिया.

उसके बाद उसने जोरदार चूत चुदाई की.

तब से मैं 4-5 बार उसे बुला कर चुद चुकी हूँ.
अभी तक मेरी गांड उसने नहीं मारी है.
ना उसने कभी मेरी गांड मारने को कहा, ना मैंने उसे कहा कि मेरी गांड मार ले!
मेरे पति मेरी गांड नहीं मारते. पर शादी से पहले मैंने कई बार अपने चोदुओं से गांड मरवाने का मजा लिया है. बहुत मजा आता है गांड मरवाने में! बस पहली बार जब गांड फटती तो दर्द होता ही है.

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