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भाभी ने घर बुलाकर चूत की भूख मिटवाई

टॉपलेस भाभी बूब्स देखे मैंने जब पड़ोसन भाभी बारिश में भीग गई और उनको मेरे घर में कपडे बदलने पड़े। भाभी की नंगी चूचियां के देख मेरा मन भाभी की चुदाई का हो उठा।

कहानी बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं।

मैं प्रवीण, नवी मुंबई का रहने वाला हूं। मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूं और 29 साल का हूं।
मेरा लंड 6 इंच साइज का है जो किसी भी भाभी या औरत को संतुष्ट कर सकता है।

मैं जो भी आपको बता रहा हूं, सब सच बता रहा हूं। अब मैं अपनी टॉपलेस भाभी बूब्स की कहानी की शुरुआत करता हूं।

उस दिन सुबह से ही बारिश हो रही थी।
मैंने पूरा दिन बारिश के थमने का इंतजार किया लेकिन वह नहीं थमी।

लेकिन मुझे जरूरी सामान लाना था तो मैं देर रात में बारिश में ही काम से निकल गया।

लेकिन जब मैं बाहर निकला तो देखा कि पड़ोस की अश्विनी भाभी और उनके पति बाहर कहीं से घर लौट रहे थे।
वे दोनों ही पूरी तरह से भीग गए थे।

मैंने सोचा कि वह अंदर चले जाएंगे लेकिन दोनों परेशान लग रहे थे।
भाभी तो ठंड से कांप रही थी।
उनके पति भी काफी कांप रहे थे।

जब वो लोग अंदर नहीं गए तो मैंने पूछ लिया- क्या हुआ भाभी? परेशान लग रहे हो आप दोनों?

फिर भाभी बोली- हां, हमारे घर की चाबी कहीं खो गई है, पता नहीं कहां रास्ते में गिरी या कहीं और छोड़ आए, कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करें।

अब दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
फिर दोनों में कहा-सुनी होने लगी।

इधर मेरा ध्यान भाभी के जिस्म पर चला गया जो पूरा भीग गया था।
उनकी भीगी हुई साड़ी में उनका 38-34-38 का फिगर साफ उभर आया था।

भाभी के भीगे हुए ब्लाउज में उनकी छाती की घाटी बहुत ही कामुक लग रही थी।
उनके निप्पलों की घुंडियां उभर आईं थीं।

मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची।
मैं बोला- कोई बात नहीं भाभी, जो हो गया सो हो गया, आप दोनों अभी आपस में एक दूसरे को क्यों दोष दे रहे हैं, जब तक कोई समाधान नहीं हो जाता आप मेरे घर आइये न! कपड़े बदल लीजिए, नहीं तो आप दोनों बीमार पड़ जाएंगे।

मेरी इस बात पर दोनों शांत हो गए।
पहले तो भाभी मना करने लगी लेकिन मैंने कह दिया कि घर में मेरी मम्मी की साड़ी वो पहन सकती हैं।
फिर काफी मनाने के बाद भाभी मान गई।

भाभी और उनके पति अंदर आए।
मैंने उनको पौंछने के लिए तौलिया दिया।

उनके पति ने जल्दी से कपड़े बदले और ताला तोड़ने के लिए बोलकर बाहर निकल गए।
भाभी को मैंने साड़ी लाकर दी और मैं भी बाहर चला गया।

वहां उनके पति मकान का ताला तोड़ने में लगे थे।
ताला काफी भारी था जो आसानी से टूटने वाला नहीं लग रहा था।

मैंने कहा- भैया, आप थोड़ा रुको, मैं अंदर से हथोड़ी लेकर आता हूं।

मेरे सब घरवाले उस वक्त तक सो चुके थे, बस मैं ही जाग रहा था।

जब मैं अंदर गया तो भाभी बाथरूम में से निकल रही थी।
उसने केवल पेटीकोट पहना हुआ था।

जैसे ही भाभी ने मुझे देखा वो शरमा गई और फिर से अंदर घुस गई।
लेकिन इस दौरान मुझे भाभी का ऊपर का हिस्सा नंगा मतलब टॉपलेस भाभी बूब्स दिख गये।

मेरे अंदर एकदम से वासना जाग गई।
मैंने टॉपलेस भाभी की नंगी बूब्ज़ देख ली थीं और उनको पीने और दबाने के लिए मैं जैसे अब सारी हदें पार करने के लिए तैयार हो गया था।
अब उनको पूरी नंगी देखने की लालसा मेरे मन में आ गई थी।

मैं बाथरूम में जाकर उनको देखना चाहता था लेकिन अंदर से एक डर भी लग रहा था।

पर तभी बाहर से भैया ने आवाज दी तो मुझे हथोड़ी लेकर जाना पड़ा।

भैया ने कई चोट जोर से मारी और ताला टूट गया।
वो अंदर चले गए।

मेरे मन में अभी भी भाभी के लिए वासना के भाव थे।
मैं भाभी को नंगी देखना चाहता था।

जब मैं अंदर गया तो वो साड़ी पहन चुकी थी।
मैंने उनसे कहा- ताला टूट गया है और भैया आपकी राह देख रहे हैं।

भाभी थोड़ी सी शर्मिंदगी में वहां से चली गई।

उस रात को मुझे नींद नहीं आई।
भाभी की चूचियां रातभर मुझे जगाती रहीं।
नंगी चूचियों को सोचकर मैंने कई बार मुठ भी मारी।

फिर अगले दिन भाभी ने मुझे अपने घर बुला लिया।
मैं भी शरमा रहा था और भाभी की आंख में आंख नहीं मिला पा रहा था।

फिर भाभी ने मेरे हाथ में साड़ी थमा दी जो मुझे मम्मी को वापस लौटानी थी।

मैं जाने लगा तो भाभी बोली- कल रात को जो कुछ भी देखा था वो भूल जाना।
तो मैं चुपचाप वहां से आ गया।

लेकिन मुझे उस रात को भी नींद नहीं आ रही थी।
फिर अगले ही दिन भाभी हमारे घर आ गई।

उसने मम्मी से कहा कि उनके पति 3 दिन के लिए गांव जा रहे हैं और वह घर पर अकेली नहीं रह सकती है।
वो मम्मी से बोली कि वो मुझे उनके साथ सोने के लिए कहें।

यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।
मैं तो चाहता ही यही था कि भाभी के साथ वक्त बिताने का मौका मिले ताकि मैं भाभी को नंगी देख सकूं, उनकी चूचियां पी सकूं।

उधर भाभी के मन में भी कुछ ऐसा ही भाव मैं महसूस कर पा रहा था क्योंकि वो बार बार मुझे देखकर मुस्करा रही थी।
मुझे पता चल गया था कि आग दूसरी तरफ भी बराबर की लगी है।

भाभी ने बताया था कि भैया रात 10 बजे जाने वाले हैं।

मैं 10.30 बजे भाभी के घर चला गया।
भाभी उस वक्त पेटीकोट में थीं और एकदम से कयामत लग रही थीं।
उनके ब्लाउज में उनके चूचे एकदम से कसे हुए थे।

तनी हुई चूचियां देखकर मेरा तो मन डोलने लगा।
उनकी चूचियों की घाटी एकदम से गहरी लग रही थी।

भाभी ने मुझे दरवाजा अंदर से बंद करने को कहा।
जैसे ही मैं दरवाजा अंदर से लॉक करके पलटा तो भाभी ने मुझे वहीं रोक लिया और दरवाजे से मुझे सटाकर मेरे गले से लिपटने लगी।

उन्होंने मेरे हाथ अपनी कमर में रखवा लिए और मेरी गर्दन को चूमने लगी।
मैं तो समझ ही नहीं पाया कि एकदम से ये क्या हो गया; मैं बस भाभी के प्यार में खोता चला गया।

दो मिनट बाद ही हम बुरी तरह से एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।

लगभग 15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

फिर मैं उनकी गर्दन को चूमते हुए नीचे आने लगा, उनकी चूचियों की घाटी को चाटने लगा, उसे चूमने लगा; भाभी के बूब्स में मुंह मारने लगा।

मुझसे रुका न गया और मैंने उनके ब्लाउज को फाड़ दिया।
टॉपलेस भाभी के बूब्स बाहर निकाल कर मैं उन पर टूट पड़ा।

मैं एक एक हाथ में एक एक चूचे को थामते हुए उन्हें बारी बारी से पीने लगा।
उनको चूसते हुए काटने लगा।

भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह आराम से … ऊईई … आउच .. धीरे से … आह्ह … अम्म्म … होह … आईह्स … आआह।
हम दोनों पागल से होते जा रहे थे।

मैंने अब नीचे से भाभी का पेटीकोट उठा दिया और हाथ सीधा चूत पर रख दिया।
भाभी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी।

नंगी चूत पर हाथ लगते ही मैं तो पागल सा हो गया। तेजी से मैं भाभी की चूत को रगड़ने लगा।

उनकी चूत पूरी गीली हुई पड़ी थी।
मुझे लग रहा था कि भाभी पहले से ही चुदाई के बारे में सोच रही थी।

मैंने चूचियों को पीना जारी रखा और एक उंगली नीचे से चूत में डाल दी।
मैं अब चूत में उंगली करने लगा और भाभी की टांगें और ज्यादा खुलने लगीं।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

वो मेरे हाथ को चूत पर दबाते हुए और ज्यादा अंदर तक उंगली लेने की कोशिश कर रही थी।

भाभी की चुदाई की प्यास भी बढ़ती जा रही थी।
मेरा लंड भी एकदम से तना हुआ था और भाभी की चूत में जाकर उसकी गर्मी महसूस करने के लिए मरा जा रहा था।

इतने में ही भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी।
मुझे अब और ज्यादा मजा आने लगा।
लेकिन मैं ज्यादा देर अब रुक नहीं पा रहा था।

उधर भाभी की चूत भी पानी पानी हो चुकी थी।
इससे पहले मैं कुछ बोलता, भाभी ही बोल पड़ी- बस चोद दो ना अब प्रवीण, आह्ह … मेरी चूत अब और नहीं रुक सकती! डाल दो इसमें अपना लंड!
मैंने कहा- हां भाभी, मैं भी आपकी चूत में लंड देकर चोदने के लिए मरा जा रहा हूं।

भाभी ने इतना सुनते ही मुझे बेड पर खींच लिया और अपने ऊपर लेकर लेट गई।
हम दोनों बुरी तरह से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

दो मिनट तक होंठों और चूचियों को पीने के बाद मैंने भाभी की टांगों को फैलवा दिया।
मैंने उनकी दोनों टांगें चौड़ी कर दीं और अपने लंड पर थोड़ा थूक गिराकर उसे टोपे पर रगड़ लिया।

थोड़ा सा थूक मैंने भाभी की चूत के मुहाने पर भी रगड़ दिया।
वैसे भाभी की चूत को चिकनाई की जरूरत नहीं था क्योंकि वो पहले से ही इतनी चिकनी हो चुकी थी।

फिर मैंने लंड का टोपा उनकी चूत पर सेट कर दिया और भाभी के ऊपर लेट गया।
धीरे धीरे मैंने धक्के लगाना शुरू किया और मेरा लंड भाभी की चूत में प्रवेश कर गया।
भाभी की आह्ह … निकल गई और उन्होंने मुझे हटाने की कोशिश की।

लेकिन मुझे तो मजा आ गया.
भाभी की गर्म चूत में लंड देकर मैं तो जैसे स्वर्ग पा गया था।

मैंने भाभी की चूचियों को पीना शुरू कर दिया और तेजी से उनको दबाते हुए मैं धक्के देने लगा।
धक्के अभी काफी धीमे थे।

मैंने भाभी को चोदना शुरू कर दिया और कुछ ही देर बाद भाभी भी लंड का मजा लेने लगी।
अब उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया और मेरी पीठ को सहलाने लगी।

मुझे चोदते हुए 2-3 मिनट ही हुए थे कि भाभी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … ओह्ह … आह्ह … अम्म … और अंदर प्रवीण … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है … पहली बार चुदने में इतना मजा ले रही हूं … आह्ह … तुम्हारे भैया तो 2 मिनट में ही खत्म हो जाते हैं … और चोदो जानू … आह्ह … चोदते रहो।

भाभी की ऐसी कामुक बातें सुनकर मेरा भी जोश बढ़ता जा रहा था।
मैं भाभी की चूत में तेजी से धक्के लगाने लगा।

अब भाभी को हल्का दर्द होने लगा वो थोड़ी धीरे करने के लिए कहने लगी।

लंड तेजी से भाभी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था; चूत से पच पच की आवाज होने लगी थी।

अब मैं नीचे झांक कर भाभी की चूत में अपना लंड जाते हुए देख रहा था।
ये देखकर मेरा मजा और ज्यादा बढ़ रहा था।
लंड उनकी चूत को फैलाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।

भाभी ने अब मेरी गांड को थाम लिया और धक्कों में मदद करने लगी।

फिर मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी की चूत ने मेरे लंड को और ज्यादा जोर से जकड़ लिया।
अब लंड को और भी मजा मिल रहा था।

लेकिन मेरा पानी अब छूटने के कगार पर पहुंच गया था।
दो मिनट के बाद मैंने कंट्रोल खो दिया और वीर्य भाभी की चूत में गिरने लगा।

उधर भाभी के बदन में भी झटके लगने लगे।

कई झटकों के साथ मैंने सारा माल भाभी की चूत में भर दिया।

हम दोनों का जिस्म पसीने से तरबतर हो गया था।
भाभी के बाल बिखर गए थे और माथे पर पसीना आ गया था।
मेरे माथे पर भी पसीना आ गया था।

चुदाई के बाद हम दोनों की सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं।

फिर धीरे धीरे हम दोनों शांत हो गए और ऐसे ही लेटे हुए सो गए।
रात को जब आंख खुली तो भाभी नंगी मेरे से चिपकी हुई थी।

मैंने एक बार फिर से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

भाभी की नींद भी कुछ देर में टूट गई और एक बार फिर से मैंने भाभी की चुदाई कर डाली।
दूसरा राउंड 30 मिनट तक चला।

फिर हम सो गए।

सुबह फिर उठकर मैं अपने घर लौट आया।
लेकिन अब भाभी दिन में भी मेरे पास मैसेज करती रही।

दूसरी रात को जब पहुंचा तो हमने पहले दिन से भी ज्यादा जोशीला सेक्स किया।

भैया 2-3 दिन के बाद आने वाले थे इसलिए उन दिनों में मैंने भाभी को खूब चोदा।
हम दोनों ने ही चुदाई का भरपूर मजा लिया।

तब से भाभी के साथ चुदाई का सिलसिला चल पड़ा।

जब भी भाभी को जरूरत होती है, वह मुझे बुला लेती है और मैं भी भाभी को जमकर चोदता हूं।

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