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पड़ोसन भाभी की गर्म चूत का लिया मजा

पोर्न भाभी कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है. उसकी गांड काफी सेक्सी थी. मेरा लंड फर्राटे मारने लग जाता. उसने भी मेरी भावना समझ ली.

दोस्तो, मेरा नाम अजय है और मैं मोहाली पंजाब का रहने वाला हूँ.

मैं आज आपको अपनी पड़ोसन अंजलि की पोर्न भाभी कहानी बताने जा रहा हूँ.

अंजलि मेरे सामने वाले फ्लैट में करीब दो साल पहले रहने लगी थी.
उसकी उम्र लगभग 32 साल की थी और वो दो बच्चों की मां थी.

मेरा और अंजलि की उम्र में करीब पांच साल का फासला है.
इसलिए शुरू शुरू में मैंने कभी भी अंजलि को हवस की नज़रों से नहीं देखा था.

पर धीरे धीरे मैं उसकी ओर आकर्षित होने लगा और उसको मन ही मन में चोदने का ख्याल बुनने लगा.

उसके मम्मे इतने ज़्यादा बड़े नहीं थे, पर उसकी गांड काफी सेक्सी थी.
वो जब भी अपने फ्लैट में आती जाती, मैं उसकी गांड के ठुमके देखने लगता और मेरा लंड फर्राटे मारने लग जाता.

अब आलम यह था कि जब भी मुझे वो दिख जाती, मैं उसको चोदने का प्लान सोचने लगता.
मेरा लंड मेरे काबू के बाहर होने लगा था.

मैं या तो अपनी बीवी को चोदते टाइम उसकी कल्पना करने लगा या फिर उसके नाम की मुठ मारने लगा था.

दिन व हफ्ते ऐसे ही निकलने लगे और मेरा मुठ मारने का सिलसिला बढ़ता ही गया.
दोस्तो, अब बात सिर्फ बीवी की काल्पनिक चुदाई या मुठ मारने तक कहां रुकने वाली थी.

मैंने थोड़ा आगे बढ़ने की हिम्मत जुटाई.
थोड़ा डर भी था कि बात कहीं बिगड़ ही न जाए.

मैंने लिफ्ट में आते जाते अंजलि के साथ बात करनी शुरू कर दी, ख़ास तौर पर तब … जब वो मुझे लिफ्ट में अकेली मिलती.
लिफ्ट में वो जब भी मिलती, मैं उसके गाल और होंठ, कल्पना की दुनिया में चूसने लगा था.

एक दिन लिफ्ट में आते टाइम मैंने बिना अंडरवियर के पजामा पहना हुआ था और जब मैंने कल्पना करते हुए अंजलि के होंठ चूमे, तो मेरा लंड जोर से फुंफकार मारने लगा.

मेरे लंड ने मेरे पूरे पजामे को हिला दिया और अंजलि ने यह देख लिया.
वह शर्म से काफी लाल हो गई.

मैं थोड़ा डर गया, पर कण्ट्रोल में रहा.

अंजलि लिफ्ट से बाहर निकली और अपने फ्लैट की ओर चल दी.

जब मैं भी अपने फ्लैट में जाने लगा तो मैंने मुड़ कर अंजलि के घर की तरफ देखा.
अंजलि मेरी ओर ही देख रही थी.

मुझे कुछ समझ नहीं आया कि उसके दिल में क्या चल रहा है.
अगले दिन वह मुझे फिर से लिफ्ट में मिली तो अब उसके चेहरे पर मुझे कुछ चमक दिखी.

उसने खुद मेरा हाल पूछा और टोंट मार कर पूछने लगी- बड़े बेकाबू हुए घूम रहे हो!
मैंने भी थोड़ा तड़के वाला जवाब दिया- सब आपकी मेहरबानी है.
अंजलि खूब ज़ोर से हंसी.

मैंने कहा- आपको हंसी किस बात पर आयी?
वह बोली- कुछ नहीं. बस यूं ही.

अब कुछ बदलाव यह आ गया था कि मैं और अंजलि एक दूसरे को ग़हरी नज़र से देखने लगे.
मुझे ये तो अहसास हो गया था कि वह भी कुछ चाह रही है.

अगले कुछ दिनों में मेरे पास उसका नम्बर आ गया था और हमारे बीच व्हाट्सैप पर चर्चा होने लगी थी.

फिलहाल हमारे बीच मर्यादा को नहीं लांघा गया था मगर इतना था कि एक दूसरे से हाय हैलो होने के अलावा छुटपुट बात होने लगी थी.

शायद ये हम दोनों के बीच एक शर्म थी, जिसे मुझे ही तोड़ना चाहिए था लेकिन गांड फटने का डर सता रहा था इसलिए कुछ कर ही न सका.

एक दिन मैं घर पर अकेला था और अंजलि ने दरवाजे को नॉक किया.

उसने कहा- किचन में गैस सिलेंडर चेंज करना है. क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हैं?
मैंने कहा- हां क्यों नहीं.

मैं उसके साथ उसके घर के अन्दर चला गया.
मैंने आईडिया लगा लिया कि वह घर में अकेली है और सिलेंडर बदलना कोई इतना बड़ा काम नहीं था जिसके लिए वह मुझे बुलाने आ गयी.

मैंने पूछा- भाभी, हर्ष भैया कहां हैं?
तो वह बोली- घर में कोई नहीं है.

मुझे थोड़ी हिचक हुई कि मैंने पूछा क्या और इसने क्या जवाब दिया.

मैंने कहा- सब गए हुए हैं?
तो वह बोली- हां, अगले दो घंटों तक मैं अकेली ही हूँ.

मैं अंजलि का इशारा समझ गया और कामुक नज़रों से अंजलि को देखने लगा.
उसने मेरी नज़रों का जवाब स्माइल से दिया.

मैंने जानबूझ कर कहा कि मैं चलता हूँ.
अंजलि ने फिर से टोंट मारा- बीवी ने काबू में कर लिया क्या?

मैंने छेड़ते हुए जवाब दिया कि बीवी कोशिश तो खूब करती है पर मेरे इसको काबू कोई पड़ोसन ही करेगी.
ये कह कर मैंने अपने लंड को सहला दिया.

मेरे इतना बोलते और करते ही वह मेरे नज़दीक आकर बोली- फिर मैं कौन हूँ … पड़ोसन ही तो हूँ!
ये अंजलि को चोदने का मेरा सपना हक़ीक़त में बदलता सा लगा.

मैंने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसको अपनी तरफ खींच लिया. मैंने अंजलि को अपनी बांहों में लिया और पहला किस उसके गालों को कर दिया.

अगले पांच सेकंड के टाइम में ही मेरा लंड मुर्दा से जिन्दा हो गया.

दूसरा किस मैंने अंजलि के दूसरे गाल पर किया और तीसरा उसके होंठों पर.
उसके होंठ चूमते ही मैंने काल्पनिक दुनिया से बाहर निकल कर रियल में चुम्मा लेना शुरू किया तो मेरा दिमाग सातवें आसमान पर पहुंच गया.

अब मैं अंजलि के पूरे होंठ, अपने होंठों से कसकर चूसने लगा.

कुछ ही मिनट में अंजलि ने भी मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए.
अब हम एक दूसरे को बांहों में एक दूसरे को कसके होंठ चूस रहे थे.

वो कहने लगी कि बड़ी देर में पटरी पर आए.
मैंने कहा- क्या करूं, गांड फट रही थी.

वो हंसी और बोली- क्यों … किससे फट रही थी. मुझसे या अपनी महरारू से?
मैंने कहा- ये सही से नहीं कह सकता मगर दोनों से ही फटती है.

वो बोली- बीवी की तो मुझसे ज्यादा नई है, फिर भी मेरी फटी फटाई पर दिल आ गया है?
मैंने कहा- आपकी अभी देखी ही कहां है, जो दिल आ जाएगा.

वो बोली- बिना देखे ही तुम्हारा खड़ा हो जाता है. जब देख लोगे और गोता लगा लोगे, तब क्या हाल होगा?
मैंने कहा- गोता लगा कर देख लेता हूँ कि क्या मजा आता है!

ये कह कर मैंने अपना एक हाथ अंजलि के बूब्स के तरफ बढ़ाया और दूसरे से उसके चूतड़ मसलने लगा.
अंजलि का भी एक हाथ मेरे लंड तक पहुंच गया और दूसरे से वो मेरी छाती के बालों से खेलने लगी.

एक दूसरे को चूसते चूसते हम काफी गर्म हो चुके थे.
अगले ही मिनट में एक दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए.

वो Xxx भाभी मेरे कान में फुसफुसाई- मुझे भी आज तुमसे मजा लेना है … इसी लिए तुम्हें बुलाया है.
मैंने कहा- पहले क्यों नहीं कहा?
वो झुंझला कर बोली- सब कुछ मैं ही करूं … तुम कुछ नहीं करना. जानते भी हो कि एक लड़की को अपनी तरफ से कदम आगे बढ़ाना कितना शर्मनाक होता है?

मैंने कहा- हां अंजलि, मैं भी सच में बहुत डरपोक हूँ जो तुमसे अपने दिल की बात कह ही न सका. पर आज मैं तुम्हें जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ.
अंजलि ने भी मेरे सीने पर अपने दांत गड़ाते हुए कहा- हां मुझे भी बहुत मन था.

मैंने अब वो पूछा, जो मैं उससे जानना चाहता था.
मैं- अंजलि, क्या हर्ष से प्यार नहीं मिलता है?

वो बिंदास बोली- अब उसके पास मेरे लिए वक्त नहीं है.
मैंने कहा- क्या इतना वक्त भी नहीं है कि तुम्हें प्यार कर सके?

वो कुछ नहीं बोली; बस उसकी आंखों में आंसू आ गए.
मैंने आगे कुछ भी पूछना ठीक नहीं समझा और उसके साथ खेलना शुरू कर दिया.

अगले कुछ पलों में मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिए थे और उसने मेरे.

अब मैं और अंजलि एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे.
अंजलि मेरे लंड को हवस की नज़र से देख रही थी.

मैंने अंजलि को अपनी गोद में उठाया और उसके बेड पर लिटा दिया.
अंजलि ने इशारा किया कि मैं उसके बूब भी चूसना शुरू करूं.

मैंने उसके एक बूब को मुँह में डाला और दूसरे को हाथ से मसलने लगा.
उसकी आहें निकलने लगी और वो अपने हाथ से अपने दूध पकड़ कर मुझे पिलाने लगी.

मैंने उसके दोनों मम्मों के साथ मस्ती करना शुरू कर दी.
उसके निप्पल को मुँह में भर कर चूसता और उसकी मीठी आह सुनते हुए दूसरे दूध को हॉर्न की तरह दबा देता, उसकी आह दोगुनी मीठी हो जाती.

धीरे धीरे मैं उसके पूरे बदन को चूमने लगा और उसको मर्द होने का अहसास दिलाने लगा.
उसने भी मेरे साथ कोई कसर नहीं छोड़ी.

मैंने उसकी जांघों को खोला और उसकी चूत को हल्का किस कर दिया.
अंजलि को इतना मज़ा आया कि वह बोली- आह … फिर से करो प्लीज.

मैंने फिर से उसकी चूत को किस किया तो वह बोली- आह मजा आ रहा है … बार बार करो प्लीज.
अब मैंने अंजलि की चूत को किस नहीं किया बल्कि अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी.

ओह माय गॉड … अंजलि ने मेरा सर पकड़ा और मेरे बालों को कसके मेरे को जीभ फेरने को कहने लगी.
मैंने अंजलि की चूत को जम कर चूसा.

उसकी चूत पानी ही पानी छोड़ने लगी.

अंजलि ने इशारा किया कि अपना लंड इधर लाओ.
मैंने अपने आपको 69 की पोजीशन में एडजस्ट किया और अपना लंड अंजलि के मुँह में डाल दिया.

अब हम दोनों एक दूसरे को ओरल सेक्स के मज़े देने लगे.
अंजलि ने जो मेरा लंड चूसा, सच में यार … मैं अपनी बीवी को भूल चुका था.

यह सारा कुछ हम दोनों ने करीब दस मिनट तक किया.
अब मैंने अंजलि को इशारा किया कि इस खेल का आखिरी हिस्सा भी खेल दिया जाए.

मैंने अंजलि को घुमाया, उसकी जांघों को खोला, अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा का पूरा डंडा अन्दर घुसेड़ दिया.
अंजलि की चूत इतनी गर्म थी कि मैं बता नहीं सकता.

चूत में मेरा लंड जाते ही वह बोली- अजय, तुम्हारा लौड़ा इतना गर्म कैसे है?
मैंने कहा- न जाने कब से गर्म है … बस अब इसे ठंडा करना बाकी है.

उसकी आंखें बंद हो गयी थीं और वो बोलने लगी थी कि प्लीज अब अगले दो मिनट तक रुकना मत.
अंजलि का इशारा पाते ही मैं समझ गया कि अब वह मेरे लंड से अपनी चूत फटवाना चाहती है.

मैंने उसकी सेक्सुअल हसरत को समझते हुए बिना ब्रेक करीब पांच मिनट तक जोर जोर से धक्के लगाए.

उस दौरान मैंने जो सुना, वह बस ये था ‘आआ ओह्ह्ह्हह याह … चोदो और जोर से चोदो … मुझे … प्लीज रुकना मत … याह याह याह.’
वो पोर्न भाभी यही सब करती हुई झड़ गयी.

अब मैं भी अपना गर्म पानी अंजलि की चूत में डालना चाहता था.
मैंने अंजलि से कहा कि अब मैं और कण्ट्रोल नहीं कर सकता.

अंजलि कहने लगी- मुझे पूरा संतुष्ट कर देने वाला सुख मिल चुका है. तुम जो करना चाहते हो, कर दो.
मैंने जोर जोर से घस्से मारते हुए अपना सारा वीर्य अंजलि की  चूत में निकाल दिया.

अगले कुछ मिनट तक मैं अंजलि के ऊपर ही लेटा रहा.
हम दोनों काफी थक चुके थे.

मैं उठा और तौलिये से अपना लंड साफ़ किया, उसकी चूत को भी पौंछा.
कपड़े पहनते समय मैंने अंजलि से पूछा- तुमको मेरा चोदना कैसा लगा?

अंजलि ने खुश होकर मुझे किस किया और इसको हमेशा के लिए जारी रखने का वादा किया.
अब मैं और अंजलि, जब भी मौका मिलता है तो हम दोनों एक दूसरे को खूब संतुष्ट करते हैं.

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