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चाची की सहेली ने बर्थडे गिफ्ट में दी चूत

लेडी सेक्स का मजा मुझे मेरी चाची की सहेली ने दिया. वे हमारे घर आई तो उनके मोटे बूब्स देखकर मेरी हवस जाग उठी। मैं उनको घर छोड़ने गया तो वो मुझे अंदर ले गईं।

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है, मैं मध्यप्रदेश के दतिया जिले का रहने वाला हूं।

यह कहानी मेरी और मेरी आंटी की है।

बात उन दिनों की है जब मेरे कॉलेज की छुट्टी चल रही थी, तो मैं घर पर ही रहता था।

चाचा और पिताजी का एक ही घर है तो वो लोग भी हमारे साथ ही रहते हैं।

एक शाम की बात है कि मेरी चाची की सहेली रुब्बैया आंटी आई.
तो मैं उनको देखता ही रह गया।
वो बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थीं।

फिर चाची उनके लिए चाय बनाने चली गई।
मैं आंटी के पास बैठ गया और वो तब तक मुझसे बातें करने लगीं।

मेरी नजर आंटी की छाती पर बार-बार जा रही थी।
आंटी के बूब्स का साइज बहुत बड़ा था; कपड़ों में से भी छातियां फुटबाल जैसी भारी भरकम दिख रहीं थीं।

उनकी चूचियों को देखकर मेरे अंदर सेक्स जागने लगा।

मेरा मन उनकी चूचियों को नंगी करके पीने का कर रहा था इसलिए मैं आंटी के जैसे करीब होने की कोशिश कर रहा था।

फिर उनको शक सा हो गया और उन्होंने भी मुझे उनके बूब्स को घूरते हुए देख लिया।
इससे पहले कि हम दोनों के बीच कुछ और बात होती, चाची आ गई।

लेकिन अब रुब्बैया आंटी मुझे और ही नजर से देख रही थी और स्माइल कर रही थी।
उनकी स्माइल देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा था।

फिर सब लोग चाय पीने लगे।
चाची अब रुब्बैया आंटी से बातें करने लगी।

उधर मैं चाय पीते हुए अपना मोबाइल फोन चला कर टाइम पास करने लगा।
लेकिन मेरा ध्यान अभी भी आंटी पर ही था; उनके बूब्स को बार बार देखने का मन कर रहा था।

ऐसे ही बातें करते हुए काफी टाइम हो गया और चाची ने कहा- रुब्बैया आंटी को उनके घर छोड़ आओ।
उस वक्त काफी देर हो चुकी थी इसलिए चाची ने रुब्बैया आंटी को मेरे साथ भेजना ही ठीक समझा।

मैं अपनी बाइक निकाल कर आंटी को उनके घर छोड़ने जाने लगा।
हम बाइक पर बैठे और उनके घर के लिए निकल पड़े।
आंटी ने मेरे कंधे पर हाथ रख लिया।

बीच रास्ते में एक ऊंचा स्पीड ब्रेकर आया और बाइक एकदम से उछल गई।
इस धक्के में रुब्बैया आंटी के चूचे एकदम से मेरी पीठ से आकर सट गए।
मेरे बदन में बिजली दौड़ गई।

आंटी के हाथ रखने से ही मेरा लंड पहले से तना हुआ था।
अब आंटी के चूचे भी सट गए तो लंड फनफना उठा।
मुझे उत्तेजना और ज्यादा होने लगी।

अब तो मैं जानबूझकर भी ब्रेक लगाने लगा।
इससे बार बार मुझे रुब्बैया आंटी की चूचियों के टच होने का अहसास मिल रहा था।
लंड झटके दे देकर बुरी तरह तड़प गया था।
बस आंटी को अब चोद देने का मन कर रहा था मेरा!

कुछ ही देर में हम उनके घर पहुंच गए।
मैंने आंटी को उतार दिया।

मैं खुद नहीं उतरा क्योंकि मेरा खड़ा लंड आंटी को दिख जाता।
इसलिए शर्म की वजह से मैंने बैठे रहना ही ठीक समझा।

मगर जब मैं जाने लगा तो आंटी कहने लगी- चाय पीकर जाना।
मैंने उनको ऊपर के मन से मना किया लेकिन आंटी के घर अंदर जाने का मन तो मेरा भी था कि क्या पता आंटी के साथ कुछ हो जाए।

फिर वो नहीं मानीं तो हम अंदर चले गए।
मैंने शर्ट को बाहर निकाल लिया ताकि मेरी पैंट में तना हुआ लंड किसी को दिख न जाए।

हम उनके घर के अंदर गए।

आंटी के दो बच्चे थे, उन्होंने बच्चों से मिलवाया।
उनके पति की दुकान थी और उस वक्त वो दुकान से लौटे नहीं थे।

आंटी मेरे लिए चाय बनाने लगीं।
बच्चे टीवी देख रहे थे।
मैं भी वहीं बैठकर इंतजार करने लगा।

कुछ देर बाद आंटी चाय लेकर आ गईं।
हम दोनों साथ में चाय पीने लगे।

बच्चे टीवी देखते हुए तब तक नींद में हो गए थे।

मैंने पूछा- बच्चे तो सो गए आंटी!
वो बोलीं- हां, खाना मैं बनाकर गई थी और इनको खिलाकर भी गई थी। इस वक्त तक नींद आ जाती है इनको!

मैंने कहा- तो फिर रात को आपको अंकल का इंतजार देर तक करना होता होगा, आपको डर नहीं लगता?
आंटी बोली- हां, लगता है, वो देर से आते हैं और अकेलापन भी लगता है।
फिर हम दोनों चुप हो गए।

तब आंटी बोली- तुम बताओ, तुम्हारी गर्लफ्रेंड वगैरह है या अभी ऐसे ही घूम रहे हो?
मैंने कहा- नहीं, है तो नहीं, लेकिन किसी को बनाने की सोच रहा हूं!

आंटी बोली- किसे?
मैंने कहा- आपको!
आंटी हंस दी और बोली- अच्छा … तो इसीलिए तुम मुझे ऐसे घूर रहे थे।

मैं भी शर्मा गया.

लेकिन फिर स्थिति को संभालते हुए बोला- माफ करना आंटी, आपको देखने के बाद मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।
वो बोलीं- कोई बात नहीं, तुम्हारी उम्र में ऐसा होता है। उस वक्त ये सब बहुत अच्छा लगता है, मुझे भी लड़कों को देखकर बहुत कुछ मन करता था उन दिनों में!

मैंने कहा- तो अब नहीं करता क्या?
वो बोलीं- चल बेशर्म, ऐसे सवाल कौन पूछता है!

मैंने कहा- मैंने अपने मन की बात कह दी, आप भी बताओ ना प्लीज?
आंटी बोलीं- हां, मन तो करता है, लेकिन तुम्हारे अंकल काम में बहुत बिजी रहते हैं और शाम को भी थक कर ही आते हैं। इसलिए अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है जिंदगी में!

फिर उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- तभी तो मैंने तुम्हें मेरी छाती घूरकर देखते हुए पकड़ने के बाद भी कुछ नहीं कहा।
आंटी के हाथ रखते ही मेरा लंड फिर से तन गया।

अब आंटी की नजर भी मेरे लंड पर ही टिक गई थी।
वो मेरे लंड को तनाव में आते हुए देख रही थीं।

मेरी जांघें थोड़ी फैल गईं ताकि आंटी का हाथ मेरे लंड के थोड़ा और पास आ जाए।

एक बार तो मन किया कि आंटी का हाथ अपने तने हुए लंड पर रखवाकर उनकी चूचियों को भींचते हुए उनके होंठों को चूसने लग जाऊं।
लेकिन अभी भी मन में कहीं डर था; मैं अभी पूरा खुलकर हमला नहीं करना चाह रहा था।

उधर आंटी भी मेरे तने हुए लंड को देखे जा रही थी।
उनका भी मन कर रहा था कि मेरे लंड के उभार पर हाथ रख दें लेकिन वो भी कुछ संकोच में थीं।

मेरी नजर आंटी की छाती पर गई, उनका पल्लू छाती से सरक गया था, या फिर शायद उन्होंने जानबूझकर सरका दिया था और अपनी चूचियों की घाटी मेरे सामने खोलकर रख दी थी।

मैं बहकने लगा और आंटी के और करीब होने की कोशिश करने लगा।

चाय की एक-दो घूंट ही कप में बची थी, मैं चाह रहा था कि ये चाय का कप अभी जल्दी से खाली न हो और मैं बहाने से आंटी के पास बैठा रहूं.
क्या पता आंटी को अभी चोदने का मौका मिल जाए।

आंटी का हाथ सरक कर मेरे लंड की ओर आने लगा।
कुछ इंच का ही फासला रह गया था उनकी उंगलियों और मेरे लंड के बीच।

मैंने गांड आगे सरकाते हुए जांघें थोड़ा और फैलाईं और आंटी की छोटी उंगली मेरे लंड के करीब आ टिकी।

मेरा लंड फटने को हो रहा था।
मैं मन ही मन कह रह था- हाय आंटी … पकड़ लो ना मेरा लंड यार … प्लीज!
आंटी भी शायद यही चाह रही थी।

उसने छोटी उंगली को थोड़ा और सरकाया और मेरे लंड से टच करवा दी।

मैं आंटी का हाथ पकड़ कर लंड पर रखवाने ही वाला था कि दरवाजे की घंटी बज पड़ी।
आंटी और मैं एकदम से जैसे किसी तंद्रा से जागे और उन्होंने कप टेबल पर रखते हुए पल्लू उठाते हुए छाती ढक ली।

मैंने भी गांड पीछे की और टांगें वापस नॉर्मल करके बैठ गया।
हम दोनों ही थोड़े घबरा गए थे।

वो उठकर दरवाजा खोलने चली गईं।

मैंने चाय खत्म की और आराम से पीठ लगाकर बैठ गया।

दो मिनट बाद अंकल अंदर आ गए।
मैंने उनको नमस्ते की।

आंटी ने मेरा परिचय करवाया।
फिर दो मिनट यहां-वहां की बातें हुईं और आंटी ने कह दिया- तुम निकल जाओ, देर हो जाएगी।
मैं भी अब वहां पर किसी बहाने से नहीं रुक सकता था।

अंकल के आने के बाद आंटी की चूत तक पहुंचने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था।
मैं तड़प कर रह गया और मन मारकर मुझे वहां से आना पड़ा।

लंड ने प्रीकम छोड़ छोड़कर अंडरवियर भिगो दिया था।

आने के बाद मैंने सबसे पहले कमरे में जाकर मुठ मारी और फिर खाना खाकर मैं सो गया।
लेकिन अच्छी बात ये हुई कि जाने से पहले आंटी ने मुझसे मेरा नम्बर मांग लिया था।
मुझे उम्मीद थी कि रुब्बैया आंटी मैसेज जरूर करेगी।

अगली सुबह से मैं इंतजार में था।
लेकिन शाम तक भी उनका कोई मैसेज या कॉल नहीं आया।

अगले दिन शाम को वो फिर से घर आ गईं।
उस दिन वो मुझे देखकर बार बार स्माइल कर रही थीं।

फिर पहले दिन की तरह मैं उनको घर छोड़ने जाने लगा।
इस बार आंटी ने मेरी जांघ पर हाथ रखा हुआ था।

जैसे ही स्पीड ब्रेकर आता, उनका हाथ मेरी जांघ को दबा देता था।
लग रहा था जैसे वो मेरे लंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही हों।

मैं अब आश्वस्त हो गया था कि आंटी की चूत भी मेरा लंड मांग रही है।
सोच रहा था कि आंटी आज शायद फिर से घर ले जाएगी। आज मुझे आंटी की चूत मिल सकती है।

लेकिन घर पहुंचे तो उनके पति पहले ही दुकान से लौटकर आ चुके थे।
मुझे घर के बाहर से ही लौटकर आना पड़ा।

लेकिन जब मैं घर पहुंचा तो आंटी का मैसेज फोन पर आया हुआ था जिसमें लिखा था- घर पहुंच कर मैसेज करना।
मैंने मैसेज पढ़ा तो मैं और मेरा लंड दोनों खुशी से झूम उठे।

खाना भूलकर मैं सीधा रूम में गया और आंटी को मैसेज किया।
वो बोलीं- फ्री होकर बात करेंगी।

तब तक मैंने जल्दी से खाना ठूंस लिया और रूम में जाकर आंटी के मैसेज का इंतजार करने लगा।

रात को 11 बजे उनका मैसेज आया।
फिर होते-होते बातें नॉनवेज में तब्दील हो गईं।

मैंने आंटी से कह दिया कि उनकी चूचियां देखने का बहुत मन कर रहा है।
आंटी ने ब्लाउज खोलकर अपनी चूचियां मुझे दिखा दीं।

मैं उनको देखता ही रह गया।
इतने मोटे-मोटे चूचे! हाए …!

उत्तेजना में मेरा चेहरा लाल होकर तमतमा गया।
जल्दी से पैंट और अंडरवियर नीचे कर मैंने मुठ मारना शुरू कर दिया।

तभी आंटी का मैसेज आया- अपना औजार तो दिखाओ!
मैंने मुठ मारते हुए लंड की वीडियो बनाकर उनको भेज दी।

आंटी लंड देखकर बोली- आह्ह … मस्त है … कब मजा दे रहे हो इससे?
मुठ मारते हुए मैंने कहा- अब कहो तो अभी आ जाऊं मेरी जान … बस एक बार बुला लो, रातभर सोने नहीं दूंगा।
आंटी बोली- अच्छा जी … चलो देखते हैं तुम्हारा स्टेमिना, जल्द ही होगा टेस्ट!

फिर आंटी से सेक्स चैट करते हुए मैंने दो बार माल निकाला और हम सो गए।
अब आंटी से चैट पर रोज सेक्स की बातें होती थीं।

आंटी ने चूत अभी तक नहीं दिखाई थी।
हम बस एक अच्छे मौके के इंतजार में थे।

इसी बीच मेरा जन्मदिन आ गया।
मैंने आंटी से कहा- गिफ्ट चाहिए आपसे!

वो बोलीं- ठीक है, दे देंगे।
मैंने कहा- कब?
वो बोलीं- आज शाम को घर आ जाना, केक यहीं काटेंगे।

शाम को मैं तैयार होकर आंटी के घर के लिए निकल गया।
घर पहुंचा तो उन्होंने दरवाजा खोला।

घुसते हुए मैंने आंटी के बदन पर नजर डाली तो देखता ही रह गया।

दरवाजा बंद करके वो आने लगीं और मैं उनके जिस्म को ऊपर से नीचे तक स्कैन करता चला गया।
काली साड़ी में आंटी का सुडौल गदराया बदन कयामत ढहा रहा था।

आंटी बोली- क्या देख रहे हो ऐसे!
मैं मुस्करा कर बोला- कुछ नहीं, मेरा गिफ्ट कहां है!
वो बोलीं- चलो केक काटते हैं।
मैंने देखा कि घर में बच्चे नहीं थे।

मैंने पूछा- बाकी सब कहां हैं?
आंटी बोली- हस्बेंड बच्चों को उनके दादा-दादी के यहां लेकर गए हैं। आज रात को वहीं रुकेंगे।

यह सुनते ही मेरे लंड में तूफान सा पैदा होने लगा।
आंटी की चूत आज मिलने के पूरे चांस मुझे बनते दिख रहे थे।

फिर वो केक लेकर आईं और हमने केक काटा।
आंटी ने अपने हाथ से मुझे केक खिलाया।

मैंने भी आंटी को अपने हाथ से केक खिलाया।
फिर मैंने कहा- गिफ्ट कहां है आंटी!
रुब्बैया आंटी ने मेरे गले में बांहें डालीं और मेरे गाल पर एक प्यारा सा किस कर दिया।

मैं अंदर तक खुश हो गया।
आंटी ने बड़े ही प्यार से किस किया था।

मैंने कहा- बस? इतने से काम नहीं चलने वाला आंटी, बर्थडे है मेरा आज, ज्यादा चाहिए!
वो बोलीं- नहीं, ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा; इतना ही ठीक है। इंतजार करो अभी!

मैंने आंटी की कमर में हाथ डाल उसे अपनी बांहों में खींच लिया और झुकाते हुए उनकी गर्दन पर किस कर लिया।

वो बोलीं- छोड़ो ना राहुल … देख लेगा कोई!
मैंने कहा- देख लेने दो ना, आज नहीं रुका जा रहा!

मैं उनकी गर्दन पर और ज्यादा चूमने लगा।
वो हंसने लगी और छुड़ाकर कर भागने की कोशिश करने लगीं।

मैंने आंटी को पेट से पकड़ लिया और उनकी गांड से पैंट की जिप वाला भाग सटा दिया।
आंटी की मोटी गदराई गांड पर साड़ी के ऊपर से ही लंड सट गया।
मेरे बदन में वासना का एक तूफान सा उमड़ पड़ा।

मेरे हाथ एकदम से आंटी के ब्लाउज तक पहुंच गए और मैं आंटी से चिपकते हुए उनकी गर्दन को चूमने लगा।
आंटी एकदम से पलट कर अलग हो गईं और पीछे हट गईं।
फिर बोलीं- ऐसे नहीं मिलेगा कुछ!

मैंने कहा- तो फिर कैसे मिलेगा आंटी, क्यों तड़पा रही हो?
वो केक वाली टेबल की ओर सरकती रहीं और मैं उनकी ओर कदम बढ़ाता रहा।

फिर उनकी गांड टेबल से जा सटी और मैंने उनको वहीं घेर लिया।
वो बोलीं- नहीं राहुल, ऐसे नहीं।

मैं- तो फिर कैसे मेरी जान … इतनी सुंदर चीज को देखकर भला कोई कैसे रूके।
मैंने एक हाथ पीछे ले जाकर केक में दिया और आगे लाकर आंटी की साड़ी का पल्लू हटाकर उनकी चूचियों की घाटी में लगा दिया।

वो बोलीं- ये क्या किया पागल … साड़ी खराब हो जाएगी।
मैंने कहा- अभी साफ कर देता हूं जान!

तब मैंने आंटी की कमर में हाथ डाला और टेबल पर हल्का सा झुकाते हुए केक लगी क्लीवेज में जीभ घुमाते हुए चाटने लगा।
आंटी एकदम से गर्म होने लगी।

उसका बदन ढीला पड़ने लगा और हाथ मेरी पैंट पर आकर लंड को सहलाने लगा।

मेरा आत्मविश्वास अब सातवें आसमान पर पहुंच गया और मैं सब कुछ भूलकर आंटी की चूचियों में मुंह देकर बुरी तरह चूसने-चाटने लगा।

आंटी की अब हल्की हल्की आहें निकलने लगीं- आह्ह राहुल … आह्ह … हाय … अम्म!
मैंने जल्दी से उनको पलटा कर ब्लाउज के हुक खोल डाले और चूचियां नंगी करके उनको मुंह में भर लिया लिया।
वहीं टेबल के सहारे झुकाए हुए मैं आंटी की चूचियों को पीने लगा।

वो मेरे तने हुए लंड को जोर जोर से दबाते हुए सहलाने लगी।
मैंने जल्दी से चेन खोल दी और आंटी ने हाथ अंदर दे दिया।

उसने अंडरवियर के ऊपर से मेरी रॉड को पकड़ लिया और भींच भींचकर उसकी सख्ती और लम्बाई की जांच करने लगी।

दोनों पर हवस का नशा सिर चढ़कर बोल रहा था, दोनों बुरी तरह से एक दूसरे के जिस्मों से लिपटने लगे।
मैंने इतने में साड़ी उनकी जांघों तक उठा दी और वहीं चूत को पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगा।

आंटी की टांगें फैलने लगीं और वो मेरे सिर को चूचियों में दबाने लगीं।
नीचे से वो चूत को मेरे हाथ पर आगे पीछे करते हुए रगड़ने की कोशिश कर रही थी।

मैंने जल्दी से उनकी पैंटी में हाथ दे दिया और चूत को हाथ में भर लिया।
पहले खूब चूत को मुट्ठी में भींच भींचकर मैंने अपनी हवस पूरी की, फिर चूत में उंगली दे दी।

आंटी थोड़ी उचकी और मैंने तेजी से चूत में उंगली चलानी शुरू कर दी।

तो आंटी पागल होने लगी; मेरे सिर के बालों को खींचते हुए मेरे मुंह को चूचियों में जोर से दबाने लगी।
उनकी सिसकारियां और तेज हो गईं- आह्ह … आए … आह्ह … राहुल … उफ्फ … उईई … आह्ह हाय … आह्ह।

लोहा अब पूरा गर्म हो चुका था और मैंने जल्दी से इस पल का फायदा उठाते हुए अपनी पैंट का हुक खोलकर पैंट नीचे गिरा दी और आंटी की चूत पर लंड को सटा दिया।

चूत पर लंड लगा तो आंटी की टांगें और फैल गईं।

उसने चूचियों से मुंह हटाया और मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों पर टूट पड़ी, उनको चूस-चूसकर खाने लगी।

नीचे उसने मेरी गांड को चूत की तरफ धकेला और मैंने टाइमिंग पकड़ते हुए आंटी की चूत में लंड घुसा दिया।

लंड घुसते ही दोनों के मुंह से एक साथ कामुक आह्ह … निकल पड़ी।
मैंने वहीं आंटी को टेबल पर बिछाकर चोदना शुरू कर दिया।
ऊपर आंटी की नंगी छाती उनकी भारी फुटबालों को उछालते हुए संभाल रही थी।

मेरी पैंट मेरे घुटनों में आकर अटक गई थी और मैं नीचे से नंगा हुआ आंटी की चूत में तेजी से लंड को चला रहा था।
बहुत मजा आ रहा था।
बस आंटी की चूत को चोदते हुए फाड़ देना चाह रहा था।

उनकी सुडौल गदरायी काया को बस जैसे चोदते हुए खा जाने का मन कर रहा था।

आंटी भी चुदते हुए जोर जोर से कामुक सिसकारियां ले रही थी- आह्ह-आह्ह … आह्ह-आह्ह … हाय … येस … आईई … अम्मम … हाय … और अंदर … आह्ह … और अंदर राहुल … मेरी जा … आआआन … आह्ह चोद दे।

मैं भी पागल कुत्ते की तरह आंटी की चूत मारने में लगा हुआ था।
फिर मैंने एकदम से उनको नीचे कालीन पर गिरा लिया और टांगें खुलवाकर मिशनरी पोजीशन में आंटी के ऊपर लेटकर चोदने लगा।
आंटी की टांगें मेरी गांड पर लिपट गईं और मैं चूत में गहराई तक धक्के लगाने लगा।

दोनों के होंठ आपस में मिले हुए एक दूसरे की जीभ का रस खींच रहे थे।
आंटी के हाथ मेरी पीठ पर जोर जोर से ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सहला रहे थे।

इस बीच उसने मेरी शर्ट के बटन खोल लिए और जल्दी से शर्ट निकलवा दी।
मैं पूरा नंगा हो गया और आंटी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

जल्दी से हाथ से पकड़ कर चूत में लंड लगवाया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने फिर से आंटी को चोदना शुरू कर दिया।

दस मिनट तक जबरदस्त गर्मजोशी वाली चुदाई के बाद मैं झटके देते हुए आंटी की चूत में झड़ गया।
मुझे इतना मजा आया कि लंड से ढेर सारा वीर्य पिचकारियों के साथ आंटी की चूत में भर गया।
मैं निहाल हो गया था आंटी की चूत मारकर!

उधर लेडी सेक्स के बाद आंटी के चेहरे पर भी असीम संतुष्टि फैल गई थी।

हम दोनों कई मिनट तक एक दूसरे से चिपके रहे और एक दूसरे को सहलाते रहे।
फिर हम उठे और मैंने कपड़़े पहन लिए।

आंटी ने भी साड़ी ठीक कर ली।
फिर उन्होंने मेरे लिए खाना लगा दिया। आंटी ने खाना पहले ही बनाकर रखा था।

हमने साथ में खाना खाया।
फिर वो मुझे जाने के लिए कहने लगी क्योंकि रात में उनके यहां रुकना ठीक नहीं था।

मैं भी जाने के लिए तैयार होने लगा।

वो दरवाजे तक मुझे छोड़ने आई।
फिर जैसे ही दरवाजा खोलने लगी तो पलटकर मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं भी उनकी गांड को दबाते हुए होंठों को पीने लगा।

मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैंने साड़ी को ऊपर उठाकर उनकी टांग को अपनी कमर पर चढ़वा लिया।
मैंने दीवार से सटाकर वहीं पर पैंटी एक तरफ की और लंड निकाल कर चूत पर लगा दिया।

अब मैं लंड का दबाव चूत पर देते हुए आंटी के होंठों को चूस रहा था।
आंटी हाथ नीचे लाई और लंड को चूत के छेद पर लगवा कर मेरी गांड को अंदर की ओर धकेल दिया।

लंड एक बार फिर चूत में घुस गया और मैं वहीं आंटी को दीवार से सटाए हुए चोदने लगा।
10-15 मिनट तक चोदने के बाद आंटी बोली- छूटने लगे तो बता देना।

फिर दो मिनट बाद मैंने कहा- निकलने वाला है जान!
आंटी ने झट से चूत से लंड निकलवाया और नीचे बैठकर चूसने लगी।
मैंने आंटी का सिर पकड़ लिया और मुंह में धक्के देते हुए चोदने लगा।

फिर मुंह चोदते हुए ही मैंने माल अंदर छोड़ दिया और आंटी सारा माल पी गई।
उसके बाद मैं वहां से आ गया।

आंटी के साथ अब चुदाई की सेटिंग हो चुकी थी।

उसके बाद मैंने बहुत बार आंटी की चुदाई की।
एक दो बार तो अपने घर में भी आंटी को चोदा।

फिर उन्होंने मुझे अपनी सहेली से भी मिलवाया।
उनकी सहेली मेरा नाम पहले से जानती थी।

फिर एक दिन आंटी ने तीनों के मिलने के प्लान बनाया।
मैं भी रुब्बैया आंटी की सहेली की चूत चोदने के लिए बहुत एक्साइटेड था।

आंटी ने उनकी सहेली को अपने घर में बुलाया; फिर मुझे भी बुला लिया।

मैंने आंटी के बेड पर ही उनकी सहेली को भी चोदा।
हम तीनों ने मिलकर खूब मजा किया।

अभी भी आंटी के साथ चुदाई का सिलसिला जारी है।
जब भी मौका मिलता है हम खूब मजे करते हैं।

तो दोस्तो, ये थी मेरी चाची की सहेली की चुदाई की कहानी।

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