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मेरी पत्नी की गैर मर्द से चूत चुदाई

वाइफ फक कहानी कुकोल्ड पति की पत्नी की गैर मर्दों से चुदाई की है. मैं अपनी बीवी को पराये लंड से चुदती देखना चाहता था. पर वो नहीं मानती थी. तो मैंने क्या किया?

दोस्तो, मैं राकेश, मेरी उम्र 45 साल है.

मेरी पत्नी का नाम आशा है. उसकी उम्र 39 साल है.

यह  वाइफ फक कहानी शत प्रतिशत सत्य है. अपितु ये कोई कहानी नहीं बल्कि एक सच घटना है.

मेरी वाइफ काफी गठीले बदन की स्वामिनी है.
सच कहूं तो मैंने आज तक बड़े बड़े स्तनों वाली कई औरतों या लड़कियों से सम्भोग किया है.
पर मैंने गौर किया है कि बड़े बड़े स्तन भी दबाने पर पिलपिले लगते हैं.

परन्तु मेरी वाइफ के भी स्तन बड़े हैं 36 साइज के, परन्तु दबाने पर अत्यंत कठोर हैं.

भारत में हर मर्द ऐसी वाइफ चाहता है, जो घर पर सास ससुर की सेवा करे, पति की सेवा करे, घर में बिल्कुल सती सावित्री भारतीय नारी की तरह रहे. परन्तु रात में बिस्तर पर अंग्रेजन बन जाए. मतलब लंड चूसे, गांड मरवाए, थ्रीसम सेक्स करे.

जबकि वास्तविक रूप से ऐसा होता नहीं है.

जो औरत भारतीय नारी की तरह होगी, वो बिस्तर पर अंग्रेजन कभी नहीं बन सकती … और जो अंग्रेजन की तरह होगी, वो शायद ही सास ससुर की सेवा पर ध्यान देगी.
खैर … ये सब इसलिए लिख रहा हूँ कि मुझे ऐसी ही वाइफ मिली है.

मेरी पत्नी दूसरे के साथ सम्भोग करने की सोच भी नहीं सकती थी. मेरे ससुराल पक्ष की तरफ से उसके अन्दर संस्कार कुछ ज्यादा ही भर दिए गए थे.

हालांकि मेरे लिए वो बिस्तर पर किसी अंग्रेजन से कम नहीं है. वो मेरा लंड चूसती है मैं उसकी चूत चूस लेता हूँ. बस इसके आगे उसकी सेक्स की दुनिया खत्म है.

दूसरी तरफ मैं अपनी वाइफ से बिल्कुल उलट हूँ. मैं बहुत खुले दिमाग का हूँ.
सच कहूं तो मैं इस ज़माने का नहीं हूँ, शायद आज से सौ साल आगे की सोच रखता हूँ.

कूकोल्ड, पत्नियों की अदला-बदली, जिस ज़माने में सुना भी नहीं होगा, मैं उस ज़माने में भी ऐसी सोच रखता था.

मैं बचपन में चोरी से कई बार अपने मां और पिताजी को सम्भोग करते देख चुका था.
यह देखने के लिए मैं किशोर उम्र में भी दो बजे तक सोने का बहाना कर जागता रहता था.

सच कहूं तो सुहागरात के दिन भी मैं कल्पना कर रहा था कि काश इस लड़की (मेरी पत्नी तब 22 की थी) को मेरे सामने कोई और चोद दे.
पर वाइफ के संस्कार देखते हुए ऐसा कहना ही खतरे से खाली नहीं था.

खैर … शादी के 5 साल तक ऐसा कुछ भी कहने की मेरी हिम्मत नहीं हुयी.
हम दोनों अभी भी निसंतान थे.

पांच साल बाद मैंने धीरे धीरे कुछ हिंट देने शुरू किए, साथ ही उसकी प्रतिक्रिया भी देखता रहा.
पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
मैंने कई तरीके अपनाए.

मैंने उदहारण देने शुरू किए कि आजकल ऐसा होता है कि पति पत्नी अदला बदली कर देते हैं या पति अपनी पत्नी को दूसरे से चुदवा देता है.

कुछ संभ्रांत कपल्स के झूठे उदाहरण भी दिए कि फलां भी ऐसा कर चुके हैं.
यहां तक कि झूठ भी बोला कि मेरी खुद की मां को भी मेरे पिताजी के सामने उनका बॉस चोद चुका है.
कसम खायी कि मैंने खुद देखा एक रात देखा था.

पर पत्नी पर सकारात्मक असर पड़ने के बजाय उल्टा हुआ.
वो गुस्से से आग बबूला हो गयी, वो बोली- लोग करते होंगे, पर सास जी के लिए ऐसा मत बोलो. मैं आपकी किसी बात पर विश्वास नहीं कर सकती.

बुजुर्ग मां के बारे में ऐसा कहना मुझे भी गलत लग रहा था, पर अपनी इच्छा पूरी करने मजबूर था.
लेकिन आशा पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

खैर … मैं भी कहां छोड़ने वाला था.
मैंने इस उपाय के साथ साथ दूसरे उपाय पर भी ध्यान देना शुरू किया.

अब मैं रात को आशा को चोदते समय ऐसी बातें करने लगा, जिससे आशा की सोच में थोड़ा सा भी परिवर्तन आए.
मैं कहता कि आशा, कई लोग अपनी वाइफ को दोस्त के साथ या किसी अनजान के साथ सुला देते हैं और मजे लेते हैं. कई लोग रात भर के लिए पत्नियों की अदला बदली करते हैं.

वो बोली- गन्दा काम है, इसमें कौन सी मजे की बात है.
मैं उसकी चूचियों को सहलाते दबाते बोला- हां, गलत तो है … पर मजा आता होगा. आशा एक काम करो, हम तो वो काम कर नहीं सकते. पर एक काम कर सकते हैं, जिससे मुझे बहुत मजा आएगा. तुम्हें न भी आये मजा तो भी मेरे लिए तो कर ही सकती हो!

वो गुस्से में बोली- मैं किसी से सेक्स नहीं कर सकती बस!
मैं अपने एक हाथ को उसकी चूची से हटा कर उसकी चूत पर ले गया.

चूत सहलाते हुए मैं उससे बोला- आशा करने को कौन बोल रहा है तुझे … बस रूम में अंधेरा कर देता हूँ और तुम मुझे न समझ कर किसी दूसरे मर्द की कल्पना करो.
आशा ने साफ साफ मना कर दिया.

मेरा धैर्य जबाव दे गया, मैंने उसकी चूत से हाथ हटा दिया और गुस्से का नाटक कर मुँह फेर कर सो गया.
गर्म हो चुकी पत्नी के लिए यह असहनीय था और वो पहली बार मेरा गुस्सा भी देख रही थी.

अब वो बैठ गयी. लाइट जलाई और मुझे मनाने लगी, मेरे पैर दबाने लगी, मेरे लंड को सहलाने लगी, चूसने लगी.
पर मेरे ऊपर कोई असर नहीं हुआ.

आशा बोली- क्या बोल रहे थे तुम?
मैंने कहा- कुछ नहीं.

वो परेशान हो गयी और बोली- बताओ न!
मैंने वही बात दुहरायी- मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती? कौन सा मैं सचमुच चुदने के लिए बोल रहा हूँ.

खैर … वो मान गयी, मुझे भी महसूस हो गया कि आज नहीं तो कल ये गैर मर्द से चुद ही जाएगी.
मैंने पुनः लाइट बंद कर दी, मेरा मानना था कि बंद लाइट में वो गैर मर्द की बेहतर कल्पना कर पाएगी.

मैंने पुनः उसकी गीली चूत सहलानी शुरू कर दी.
पर अब दिक्कत ये थी किसी गैर मर्द की छवि आशा के मस्तिष्क में आ ही नहीं रही थी.

मैं अपनी स्टाइल से अलग हट कर उसको अलग तरह से सहला रहा था ताकि वो गैर मर्द की वास्तविक कल्पना कर सके.

मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और अन्दर बाहर करने लगा.
ऐसा मैं स्वयं कभी नहीं करता था.
वो नार्मल थी, लग ही नहीं रहा था कि उसके दिमाग में कोई और मर्द है.

मैंने कुछ अलग करने की ठानी.
मैं उसकी चूत को तो अक्सर चाटता ही था,पर मैंने अचानक उसकी गांड पर हमला कर दिया.

गांड चाटते चाटते जीभ उसकी गांड के अन्दर घुसा दी.
शायद यही टर्निंग पॉइंट था.

अब उसको अहसास हुआ कि दूसरा मर्द चोदने वाला है क्यूंकि उसका खुद का मर्द उसकी गांड नहीं चाटता था.
अचानक उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मुझे बेतहाशा किस करती हुई गाली भी देने लगी.

वो बहुत गन्दी गालियां देने लगी थी.
मैं समझ गया कि अब काम आसान हो गया.
जल्द ही आशा गैर मर्द के लंड से चुदेगी.

अचानक से वो फुसफुसाई- मादरचोद चोदेगा मुझे … बहनचोद तेरी हिम्मत कैसे हुयी मेरी चूचिया छूने की!
मेरा ख़ुशी का ठिकाना न रहा.

मैंने भी गाली दी- भोसड़ी की, तेरी चूत मारने का मैं छह महीने से इंतज़ार कर रहा हूँ.
मैंने उसकी एक चूची जोर से काट दी.

वो चिल्लाई- आह मादरचोद … चोद दे फिर जल्दी से मुझे!
उसकी इस लाइन से मेरा जीवन मानो धन्य हो गया.

वो मुझसे ही फुसफुसाकर कर बोली- आज पति घर पर नहीं हैं, पूरी रात चोद साले!
उसके मुँह से मन की बार सुनकर अचानक से मेरे अन्दर बिजली सी कौंध गई.

मैंने उसको सीधा लिटा दिया और ऊपर चढ़कर उसकी चूत पर अपने लंड से जोरदार धक्का दे दिया.
उसकी चूत इतनी गीली हो गयी थी कि चूत के पानी की फुआर से मेरी झांटें भीग गईं.

मैं उसे घपाघप चोदने लगा.

आशा ने मुझे जकड़ लिया और सेक्सी गालियां बुदबुदाने लगी.
बीच बीच में मेरी पीठ पर प्यार से मुक्के मार रही थी. मेरे साथ उसका व्यवहार ऐसा नहीं होता था.
आज वो गैर मर्द समझ कर चुद रही थी.

मैं भी पन्द्रह-बीस मिनट चोदने के बाद उसकी चूत में ही झड़ गया.
उसके बाद प्रायः ऐसा होने लगा.

कुछ महीनों के अन्दर चार मर्दों ने अलग अलग रात को उसकी चूत को अपने लंड को शांत करने का साधन बनाया.
कुछ महीनों के ऐसे ही प्रयास और दबाव के बाद मेरी पत्नी ने गैर मर्द से चुदने की हामी भर दी.

एक साल के अन्दर मैंने उसको चार मर्दों से चुदवाया भी, मगर कभी भी वो खुद की इच्छा से चुदने को तैयार नहीं हुयी.
बहुत दबाव डालने के बाद उसको गैर मर्द के बिस्तर पर लगभग धकेलना पड़ता था.

आज तक चार मर्द उसकी चूत को अपने लंड की प्यास बुझाने साधन बना चुके हैं, मेरी पत्नी के जिस्म को अपने उपयोग में ला चुके हैं. लेकिन हमेशा वो यही दिखाती है कि मेरे कारण वो ऐसा कर रही है. उसकी खुद की कोई चाहत नहीं है तब भी वो मेरे कारण गैर मर्द के साथ सोने को सहमत हुयी है.

हर बार जिद और नानुकुर के बीच ही उसकी चुदाई हुयी. हर बार वह एक दो बार चुदने के बाद वापस मेरे रूम में आ जाती और बाकी की रात मेरे साथ ही गुजारती है.

गैर मर्द से चुदने के बाद वह मुझ से जरूर चुदती थी.
एक बजे के बाद बुलाए हुए मर्द के साथ रात नहीं गुजारती और हर हाल में मेरे साथ आकर सो जाती है.

वह मर्द बहुत रिक्वेस्ट भी करते हैं कि पूरी रात यहीं सो जाओ, पर वह यह कह कर वापस आ जाती है कि हो गया बहुत, मुझे अब नींद आ रही है.

पर एक घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर किया था.

एक ऐसा ही मर्द आया हुआ था, खाना खाने के बाद मैंने वाइफ को उसके रूम में भेजा और साथ देने के लिए मैं भी साथ चला गया कि कहीं वापस न आ जाए.
लेकिन उस मर्द का साहस देखो, पांच मिनट बाद वो मुझसे बोला- भाई साहब, अब आप जाइए.

मैं अचंभित था, फिर भी मन मार कर अपने रूम में आ गया.
ये आशंका मुझे पहले से ही थी.
इसीलिए मैंने एक छोटे से होल के माध्यम से लाइव देखने का प्रबंध पहले ही कर दिया था.

मेरे वहां से जाते ही वह भीगी बिल्ली और सभ्य दिखने वाला मर्द मेरी वाइफ पर झपट पड़ा और पास खड़ी वाइफ को बिस्तर पर लिटा दिया.
या यूं कहूँ कि उसने मेरी बीवी को ऑलमोस्ट पटक दिया था.

वह इस तरह प्यार करने लगा, जैसे वो उसकी खुद की वाइफ हो.
मेरे हट जाने से जैसे उसको मेरी वाइफ की चूत मारने का एकाधिकार मिल गया.

मुझे खुद भी अहसास हो रहा था कि मेरी पत्नी भी बहुत मज़े ले रही है.
हालांकि सर्दी होने के कारण उन्होंने कम्बल ओढ़ लिया, पर कम्बल के अन्दर की गतिविधियों का साफ पता चल रहा था.
कमर से ऊपर कम्बल नहीं था.

वो दोनों करवट लेकर लेटे थे, दोनों के चेहरे आपस में मिल रहे थे.

एक दूसरे के चुम्बनों की आवाजें गूंज रही थी. सांसें तेज थीं और मेरी पत्नी की मादक सिसकारियां गूंज रही थीं.
अचानक उस मर्द ने सांड की तरह आवाज या कहें हुंकार सी निकाली … ठीक वैसे ही … जैसे सांड गाय पर चढ़ते समय निकालता है.

मुझे अहसास हुआ कि पत्नी समझ गयी कि वह आदमी सांड बन कर चोदना चाहता है.
इसीलिए पत्नी भी पतली सी आवाज में उँह उँह उँह करके उस मर्द से जोर से चिपक गयी.

दोनों के मुँह एक दूसरे में घुसे जा रहे थे.
पत्नी की सुरीली सिसकारियां मदमस्त करने लगीं.

सिसकारियां के साथ साथ दर्द भरी आहें और उई मां उई मां की आवाज मुझे अहसास दिला रही थी कि मेरी पत्नी की चूचियों को वो मर्द कम्बल के अन्दर ही जोर जोर से मसल रहा है.
अब मेरी पत्नी जी साइड से ही नीचे को खिसकने लगी.

मुझे पता चल गया कि अब क्या होने वाला है.
पर उस मर्द को शायद पता नहीं था.

पत्नी कम्बल के अन्दर ही उसकी जांघों के आस-पास पहुंच गयी.

दिख नहीं रहा था पर उस मर्द के चेहरे से लग रहा था कि क़यामत शुरू हो चुकी है.
इस प्रक्रिया में कम्बल एक तरफ खिसक गया.
अब मर्द का लंड नजर आने लगा था.

उसका लंड लगभग मेरे साइज का ही था पर मोटा काफी ज्यादा लग रहा था और लंड में तनाव मेरे लंड से ज्यादा लग रहा था. ऐसा लगा जैसे उसका लंड फटने को आतुर हो.

इतने कठोर लंड को मेरी पत्नी अपने मुँह से लगातार शांत करने की चेष्टा कर रही थी.
मुझे बड़ा अच्छा लगा, पर ये ख़ुशी ज्यादा देर नहीं रही.

उन्होंने लाइट बंद कर दी.
मैंने भी छेद पर आंख के बजाय कान सटा दिया.

उसके बाद मुझे कुछ नहीं दिखा पर जो सुनाई दिया, उससे लगा कि जो भी हो रहा है … जबरदस्त हो रहा है.

करीब एक घंटे बाद अपनी आदत के अनुसार वह वापस मेरे कमरे में आकर मेरे साथ सो गयी.

मैंने पूछा भी कि कैसा रहा?
वो बोली- बस ठीक ठाक था.

मुझे लगा कि हमेशा की तरह अब मेरे से चुदेगी, पर पत्नी उस रात मेरे से नहीं चुदी और नींद का बहाना बना कर सो गयी.
अचानक 3.00 बजे मेरी नींद खुली तो पत्नी को बिस्तर से गायब पाया.

मैंने पुनः होल से आंख सटा दी, इस बार कमरे में रोशनी थी.
नजारा मदमस्त करने वाला था.

मेरी पत्नी अपनी दूध जैसी सफ़ेद टांगों को फैला कर सीधी लेटी हुयी थी.
वो मर्द पूरी ताकत से मेरी Xxx वाइफ फक में जुटा था.

एक मधुर आवाज गूंज रही थी, जो मुझे आंख हटा कर और कान सटाने पर सुनाई दी थी.
उस मर्द की स्टाइल बिल्कुल मेरी तरह थी.
वह भी पूरे शरीर का प्रयोग करने के बजाए सटीक निशाने पर प्रहार कर रहा था.

अक्सर मैंने देखा है कि मर्द अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए स्त्री को अपने शरीर से रौंदते हैं और सटीक जगह पर कमजोर पड़ जाते हैं.
पर ये ऐसे लग रहा था, जैसे उसका पूरा शरीर स्थिर हो, पर असली जगह पर वह लगातार सटीक … और कठोर प्रहार कर रहा था.

इतने प्रहार कि कुछ देर बार मैंने अपनी पत्नी को निढाल होते देखा.
तत्पश्चात भी वे दोनों काफी देर तक लिपटे रहे.

मुझे यह पता नहीं चल पाया कि तब भी वे एक दूसरे में समाए हुए थे या अलग हो चुके थे.

कुछ देर बाद मेरी पत्नी उठी और नग्न ही मेरे रूम में आने लगी क्यूंकि वह मेरे साथ भी नग्न ही सोई थी.

उस मर्द ने मेरी पत्नी का हाथ पकड़ लिया और प्यार से बोला- आशा, अभी सुबह होने में बहुत समय है, थोड़ी देर मेरे साथ बैठो ना!
आशा ने टाइम देखा और बोली- चार बज गए हैं. वैसे ये (मैं) आठ बजे से पहले नहीं जागते. फिर भी समय पर जाना ठीक है.

वो बोला- अभी चार ही तो बजे हैं. पांच बजे तक चली जाना.
पत्नी बोली- ठीक है. मैं उनको देख कर आती हूँ.

इतना सुनते ही मैं सीधे अपने बिस्तर पर जाकर ऐसे लेट गया जैसे गहरी नींद में सोया हूँ.

पत्नी ने दरवाजे से झांका और मुझे सोता देख आश्वस्त होकर फिर से धीरे से मेरे कमरे के दरवाजे बंद कर दिए.

मैं पुनः खड़ा हुआ और छोटे से छिद्र पर आंखें गड़ा कर बैठ गया.
मेरी पत्नी बिस्तर पर ही उसके पास बैठ गयी.

मेरी पत्नी आशा पूर्ण रूप से निवस्त्र थी.
वो मर्द कम्बल ओढ़ कर बैठा था, शायद वो भी निवस्त्र ही था.

थोड़ी ठंड थी तो वह आदमी बोला- ठंड में क्यों बैठी हो, कम्बल में आ जाओ.
मेरी पत्नी बिना किसी संकोच के कम्बल के अन्दर ही बैठ गयी.

ऐसा लग रहा था कि जैसे वो उस आदमी को वर्षों से जानती हो.
लाइट जली हुयी थी और दस-पन्द्रह मिनट वो दोनों धीमी आवाज में इधर उधर की बातें करते रहे.

साथ साथ वो आदमी पूरे अधिकार के साथ मेरी पत्नी की चूचियों को भी मसल रहा था.
मेरी पत्नी उसके लंड को सहलाते हुए बहुत प्यार से बातें कर रही थी.
कम्बल के अन्दर हाथों का ऊपर नीचे हिलना सब बयान कर रहा था.

फिर धीरे से दोनों में पता नहीं क्या बात हुयी कि पत्नी अचानक लेट गयी.
इस प्रक्रिया में कम्बल हट गया था और मेरी पत्नी पूरी तरह नग्न लेटी हुयी थी.

वो आदमी बड़े गौर से पत्नी के जिस्म को निहार रहा था, शायद रात को उसने मेरी पत्नी का हुस्न ढंग से देखा नहीं था.
वह मेरी पत्नी के नग्न शरीर को सहलाने लगा, बड़ी बड़ी चूचियों की मसल मसल कर पीने लगा.

पत्नी उसके लंड को पकड़ने की कोशिश कर रही थी, पर उसका हाथ वहां तक नहीं पहुंच रहा था.
अचानक उस आदमी ने फिर से सांड के जैसे हुंकार भरी, शायद वह पत्नी की पसंद समझ चुका था.

सांड की हुंकार सुनते ही मेरी पत्नी पुनः मचल उठी और वह आदमी भी उछल कर उसकी चूचियों के पास बैठ गया ताकि अपने लंड को मेरी पत्नी की चूचियों के बीच से निकाल कर उसके मुँह तक ले जा सके.

अब मेरी पत्नी मजे से उसका लंड चूस रही थी.
साथ ही मुँह से अजीब से इशारे और ऊंह ऊंह आवाज निकल कर उस आदमी को सांड की जैसी आवाज निकालने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी.

आखिर उस मर्द से नहीं रहा गया और वह सीधे मेरी पत्नी के ऊपर चढ़ गया.
मेरी पत्नी ने हाथ से दिशा दिखाते हुए उसके लंड को अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया.

मैंने अपनी पत्नी को शख्त निर्देश दे रखे थे कि किसी भी हालत में किसी भी मर्द से बिना कंडोम के सेक्स नहीं करना है.
और आज तक उसने बिना कंडोम के किया भी कभी नहीं था.

कई बार आदमी जिद भी करते थे कि झड़ते समय बाहर गिरा देंगे, पर बिना कंडोम के डालने दो.
पर मेरी पत्नी कभी तैयार नहीं होती थी.

कंडोम उस कमरे में पहले से रखे ही होते थे.
परन्तु इस बार पत्नी काफी बदली सी लग रही थी.

वह आदमी अपने लंड को चूत के मुहाने पर भिड़ा कर पेलने को तैयार था.
पर मेरी पत्नी ने एक बार भी नहीं कहा कि कंडोम लगा लो.
उल्टा वो अपने चूतड़ों को नीचे से हल्का हल्का ऊपर की तरफ हिला रही थी जैसे उससे देरी बर्दाश्त नहीं हो रही हो.

शायद गर्म लंड के स्पर्श ने उसको भी ज्यादा गर्म कर दिया था.

अब बहुत प्यार से वो आदमी लंड को मेरी पत्नी की चूत के अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी पत्नी उस गैर मर्द से ऐसे चुद रही थी, जैसे अपने पति से चुद रही हो.

दस मिनट तक चुदते रहने के बाद भी वो आदमी झड़ा नहीं, बल्कि अब मेरी पत्नी की चूत से फच फच आवाजें आने लगीं.

सिसकारियों के बीच मैंने अपनी पत्नी की आवाज सुनी ‘आह अपने बच्चे की मां बना दो मुझे.’
‘तुम नहीं भी कहतीं, तो भी गर्भवती तो करना ही था तुम्हें. तभी तो बार बार बुलाओगी मुझे, अपने बच्चे के बाप को.’

मैं दंग था क्यूंकि तीस मिनट चोदने के बाद वो झड़ा नहीं था.
शायद तीसरी बार चोद रहा था इसलिए उसका निकल नहीं रहा था.

अब चूत से आवाज आनी बंद हो गयी थी … शायद पत्नी काफी पहले झड़ चुकी थी और अब चूत शुष्क हो चुकी थी.

निश्चित रूप से सूखी चूत में उस मर्द का लंड भीषण रगड़ मार रहा होगा.
आख़िरकार कुछ मिनट में उस आदमी ने मेरी पत्नी की चूत को पुनः अपने वीर्य से भर दिया.

उस आदमी के चेहरे पर मर्दानगी का भाव स्पष्ट झलक रहा था क्यूंकि वो किसी और की पत्नी की चूत को अपने वीर्य से तीन बार भर चुका था.

दोनों ने कस कर एक दूसरे को भींच रखा था.
वीर्य की आखिरी बूंद तक वो आदमी अपने लंड को मेरी पत्नी की चूत में पेले पड़ा रखा.

आखिरकार उसने अपना लौड़ा चूत से बाहर खींच ही लिया.
वाइफ फक के बाद आंखें बंद कर निढाल पड़ी थी.

उस आदमी ने पत्नी के होंठों को चूमा और थैंक्यू कहा.
पत्नी ने भी आंखें खोल दीं.

वो खड़ी हुयी.
एक बार फिर से उस आदमी को किस करके मेरे रूम में आकर चुपचाप मेरे बाजू में लेट गयी.

मैं भी तब तक अपने बिस्तर पर आ गया था और सोच रहा था कि ये क्या हुआ.
मेरी बीवी अब किसी और का बीज अपनी कोख में पाले हुई थी.

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