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बस स्टैंड पर मिला हरियाणवी फौजी

फौजी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मुझे गांड चुदाने और लौड़ा चूसने का चाव है. दिल्ली में मैं अपने लिए लंड की तलाश कर रहा था तो मेरी नजर एक फौजी जैसे आदमी पर पड़ी.

मैं आपका प्यारा जइन खान आपके लिए नई सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.
उम्मीद है आप सब लोगों को पसंद आएगी.

मैं मेरठ के श्याम नगर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी 21 साल है.
जो कोई मुझसे एक बार मिल लेता है, वो हमेशा के लिए मेरा दीवाना हो जाता है.

मुझे गांड चुदाने और लौड़ा चूसने का बड़ा शौक है. लंड मोटा लंबा होना चाहिए बस … फिर मैं लंड को छोड़ता ही नहीं हूँ जी … पूरा चूस कर पी जाता हूँ.

यह  फौजी सेक्स कहानी इसी साल की है.
मैं दो दिन के लिए अपने काम से दिल्ली गया हुआ था. मैं एक सरकारी विभाग में अपना कोई जरूरी कागज बनवाने के लिए गया था.

मैं जब दिल्ली आया तो बस स्टैंड के पास में बने एक होटल में रूम ले लिया.

मेरा काम सुबह से लेकर दोपहर तक होना था.
जब दोपहर बाद मेरे पास कोई काम नहीं था तब मैं सोचने लगा कि मेरे पास कमरा भी है … क्यों ना किसी लंड को ढूंढ कर अपनी गांड की गर्मी मिटाई जाए.

बस इसी तलाश में मैं बस स्टैड के पास घूमने लगा.
सिंधी कैंप के पास एक पेशाब घर था, मैं वहीं खड़ा हो गया.

उधर से गाड़ियां अन्दर बाहर आ जा रही थीं.
उधर खड़े खड़े मुझको एक घंटा हो गया था, लेकिन कोई मतलब का माल नहीं मिल रहा था.

तभी एक बस आई.
उसमें से बहुत सारी सवारी उतरीं.
कुछ पेशाब करने के लिए पेशाबघर की ओर आ रहे थे, कुछ टैंपो की ओर जा रहे थे.

तभी मेरी नजर एक लंबे चौड़े आदमी पर पड़ी जो कुर्ता पजामा पहने हुए था. वह फ़ौजी टाइप का लग रहा था.

वो पेशाब करने के लिए जा रहा था.

मैं भी उसके पास वाले ही पेशाब घर में खड़ा होकर पेशाब करने लगा.
जब वो मूत रहा था, तब मैं झुककर उसके लंड को देखने लगा.

वो बंदा हरियाणा का लग रहा था. उसने मुझे झांकते हुए देखा तो बोल दिया.
‘ओ भाई के बात है … के पहली बार ऐसा सामान देख रिया है, जो झुककर मेरे लंड को देखे जा रहा है!’

मैं हंस दिया और मैंने भी बोल दिया- हां जी, पहली बार ही देख रहा हूँ. आपका इतना मोटा लंबा लौड़ा है जी … और बहुत ही दिलकश लंड है. देखते ही मन कर रहा है कि इसे अपने मुँह में ले लूँ.
मेरी बात सुनकर कर वो बोला- कहां लेगा … बोल मैं दे दूँगा. लेकिन फेर मैं जो करूं, तो तू मना नहीं करेगा. हां बोल, तो मैं तुम्हें अपने लंड का स्वाद दे सकता हूँ.

मैंने भी एक पल की देर नहीं की तुरंत हां कर दी.
वो लंड झटकार कर पजामे के अन्दर करते हुए मेरे साथ चल दिया.

उससे बात हुई तो मालूम हुआ कि उसका नाम सतपाल है और आर्मी में सेवारत है.

मैं उसे पास के उसी होटल में ले गया, जहां मैं रूका था.

कमरे में ले जाकर मैंने उसके लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसके लंड को मसलने लगा.
जब उसका लंड पूरा खड़ा हो गया था तो सतपाल ने अपना लौड़ा बाहर निकालकर उसे मेरे हवाले कर दिया.

सतपाल- ले भाई चूस ले … जितना मन करता है, उतना चूस ले!
मैं उसके लंड को जीभ से चाटने लगा.

आहह आह … क्या मस्त लंड था और क्या साला टमाटर सा सुपारा था.
तीन इंच मोटा लौड़ा और आठ इंच से ज्यादा लंबा लंड मेरे दोनों हाथों में बड़ी मुश्किल से आ रहा था.

मैंने कहा- सतपाल भाई आपका लौड़ा तो बहुत जबरदस्त है.
ये कह कर मैं उसके लंड को मुँह लेकर चूसने लगा.

सतपाल की भी कामुक आवाजें निकलने लगीं- आहह … चूस ले भोसड़ी के गांडू आह बड़ा मस्त चूसता है.

उसका बहुत ही ज्यादा लंबा मोटा लौड़ा मेरे मुँह में पूरा नहीं जा रहा था.
लेकिन मैं लगा रहा.
मैं कभी उसके लंड के सुपारे को जीभ से चाटता, तो कभी उसके आंड को मुँह में भर कर चूसने लगता.

काफी देर तक चूसते रहने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला.
सतपाल भाई बोले- चल अब सीधा हो जा. अब मैं बताता हूँ लौड़ा कैसे चूसते हैं.

सतपाल भाई खड़े हो गए और मेरे मुँह को पकड़ कर मेरे मुँह में अपना बड़ा लौड़ा फंसाते हुए पेलने लगे- ले भोसड़ी के चूस मादरचोद … अभी तूने लुल्लियां चूसी होंगी … आज तुझे समझ आएगा कि मर्द का लौड़ा किसे कहते हैं और कैसे चूसते हैं.

बस ये कह कर सतपाल भाई जबरदस्ती लंड पेल कर मेरा मुँह चोदने लगे.

‘आह … हह उइइई ले भोसड़ी के ये हरियाणा का लौड़ा ऐसा नहीं, जो दस मिनट में ही झड़ जाए और पानी निकल जाए … लो साले मजा लो भैन के लौड़े.

वो मेरे मुँह को पकड़ कर दबा दबा कर चोदे जा रहे थे.
मैं झुककर लंड का पूरा मजा ले रहा था.

इस तरह से काफी देर तक लौड़ा चूसाने के बाद और मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने के बाद सतपाल भाई के लंड से एक जोरदार पिचकारी निकली जिसने मेरे मुँह को और चेहरे को अपने वीर्य से नहला दिया.
आप लोग यकीन नहीं करोगे, उनके लौड़े ने इतना माल निकाला था जिससे एक छोटी कटोरी भर जाए.

कुछ तो मैं पी गया था और बाकी मेरे मुँह में व शरीर में छप गया था.
मैंने बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया.

बाहर आया तो देखा कि सतपाल जी तो लेट गए थे.

कुछ देर बाद मैंने उनके लिए मेरे लिए खाना मंगा लिया.
हम दोनों खाना खाने लगे और खाना खाकर मेरी उनसे बातचीत हुई.

वो अपने काम से जाना चाह रहे थे.
परन्तु मेरी गांड में कुलबुलाहट हो रही थी.
मैंने उनसे रात में कमरे में ही रुकने का आग्रह किया.

वो बोले- ठीक है, रात में तेरे पास ही रूक जाऊंगा.
मैंने कहा- अभी भी समय है आप चाहें तो मेरा सुख ले सकते हैं.

वो बोले- ना भाई, अभी तो मन्ने काम सै जाणा है. अभी तू चाहे तो इक बार फेर से गन्ना चूस ले!
मैंने हंस कर हां में सर हिलाया.

सतपाल ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह के सामने लहरा दिया.
इस बार उनका लंड ढीला था, पर मोटा था.

मैंने लंड हाथ में पकड़ा और मुँह से चूसने लगा.
लंड में जान आने लगी और उनका लंड अपने पूरे रंग में आ गया.

मैं भी लंड को गले तक ले लेकर चूसने लगा और सतपाल जी के टट्टे चूसने लगा.

सतपाल जी के मुँह से आह आह की आवाज निकलने लगी.
उनकी उत्तेजना बढ़ गई और उन्होंने मेरे मुँह को पूरी ताकत से चोदना चालू कर दिया.

कुछ ही देर में सतपाल जी ने सिंह की सी गुर्राहट के साथ अपने लौड़े का रस मेरे कंठ में छोड़ना चालू कर दिया और मैं मजे से उनकी लंड मलाई को खाता चला गया.

एक बार फिर से थकान हो गई और वो मेरे साथ नंगे ही लेट गए.
मुझे नींद आ गई और वो निकल गए.

फिर जब शाम हुई तो सतपाल जी वापस कमरे में आ गए थे.
उनके आने की आहट से मेरी नींद खुल गई.

मैंने अंगड़ाई लेकर उनकी तरफ देखा तो वो अपने कपड़े उतार कर नंगे हो रहे थे.

मैंने झट से उठ कर फिर से उनका लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगा.

‘ले मेरी जान, चूस जितना तेरा मन करता है … उतना ही चूस ले आह.’

मैंने बहुत ही प्यार से अपनी जीभ से उनके लंड को चाटना चालू किया और लंड के अण्डों को भी सहलाने लगा.
कुछ ही देर में सतपाल जी पूरे जोश में आ गए और बोले- चल जइनिए … घोड़ी बन जा, अब तुझे गांड में मजा देता हूँ.

मैं झट से घोड़ी बन गया और गांड हिलाने लगा.
वो हंस कर बोले- साले लौड़े के बाल … सूखी गांड मरवाएगा क्या … थोड़ा तेल लगा देता.

मैंने झट से उनके लंड पर तेल लगाया ताकि मेरी गांड ज्यादा दर्द नहीं करे.
उसके बाद धीरे से मैंने पोजिशन में आकर उनके लंड को अपनी गांड में ले लिया.

अभी उनका लंड दो इंच ही अन्दर गया था कि मुझे दर्द होने लगा.
मेरी दर्द भरी कराहों से उन्हें समझ आ गया कि मेरी गांड चिर रही है.

सतपाल भाई ने अपना लौड़ा गांड से बाहर निकाल लिया और फिर से तेल लगा कर मेरी गांड में घुसेड़ दिया.
इस बार तेल ज्यादा लगा हुआ था तो उनका लंड सटाक से गांड फाड़ता हुआ अन्दर तक पेवस्त हो गया.

आधा से ज्यादा लौड़ा मेरी गांड फाड़कर घुसा था तो मेरी कंठ फाड़ चीख निकल गई- आहह ईईई ईईई फाड़ दी आपने तो मेरी गांड को … आंह भाई जबरदस्त पेला है!

मेरे ये कहने की देर थी कि तब तक सतपाल भाई ने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ दिया था.
मेरी गांड एकदम से चिर गई थी और दर्द से मेरा बुरा हाल होने लगा था.

मेरी आंखों में आंसू देख सतपाल भाई जी कुछ देर के लिए रूक गए थे.
कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हो गया तो उनका लौड़ा मेरी गांड में फूल कर ऐसे चिपक गया था जैसे आज तो ये गांड को फाड़ कर ही बाहर निकलेगा.

अब सतपाल ने धीरे धीरे से झटके देकर मेरी गांड को चोदना चालू किया.
कुछ देर तक ‘आहहह ईइ …’ हुई और उसके बाद जो मजा आना हुआ भाई, बता नहीं सकता कि सतपाल का लंड मुझे बहुत ही ज्यादा मजा दे रहा था.

मैं मस्ती से अपनी गांड आगे पीछे करते हुए लंड से अपनी गांड की खुजली मिटवाने लगा था.

मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगी थीं- आंह सतपाल भाई आह … और जोर जोर से पेलो आंह अपनी इस रंडी की गांड में लौड़ा डाल कर मेरे मुँह से निकाल दो आह और जोर से!
सतपाल- हां साले गांडू … आज तो तेरी गांड को चोद कर तुझे तेरी नानी याद दिला दूंगा. साले आहह ले भैन के लंड मेरा ये लौड़ा देसी हरियाणा का है, जो तू कभी भूल नहीं पाएगा साले.

उनकी इस भाषा से मुझे तगड़ा जोश आ गया और मेरा भी ज्यादा चुदाने का मन हो गया था.

मैं सतपाल के साथ मस्ती से अपनी गांड बजवाने लगा था- आंह फाड़ दे सतपाल भाई अपनी इस कुतिया बहनचोद की गांड … आंह पूरा ठोक कर मेरी गांड की आग बुझा दो … आह!
‘ले भोसड़ी वाली … अपने यार का लौड़ा आह ले.’

कुछ देर बाद सतपाल ने लंड को मेरी गांड से निकाला और मैंने लंड को कपड़े से साफ किया और चूसने लगा.
मैं टोपे को जीभ से चाटता, तो कभी पूरा लंड चूसने लगता.

कुछ देर के बाद सतपाल भाई ने मुझे अपनी टागें उठाकर चोदने के लिए सैट कर लिया.
फिर जैसे ही उनका लौड़ा मेरी गांड में घुसा, तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा.

मैं भी जोश में बोल बैठा- आज तो इस रंडवे की गांड को ऐसे ही फाड़ दे और अपनी बीवी को जैसे चोदते हो वैसे ही चोद दो

शाम के सात बज गए थे, मेरी चुदाई जबरदस्त तरीके से चल रही थी.
मेरी गांड को चोदते हुए काफी देर हो गई और सतपाल भाई का चेहरा लाल हो गया था.

मैं समझ गया कि बस वो घड़ी आ गई है, जब इस फ़ौजी के हरियाणवी लंड से मेरी गांड खुश हो जाएगी.

‘बस ले मेरी जान … बहन चोद गांडू साले मादरचोद आह हहह ईई बहुत मजा आया तेरी गांड चोदने में आहहह हह ईईई ईईई.’
सतपाल भाई मेरी गांड में अपना सारा लंड का पानी निकाल दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए.

मैंने भी कहा- आह ऐसे ही लेटे रहो … बहुत मजा दिया आपने. आपने तो मेरी गांड चोद कर मस्त कर दिया.

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हो गए और आराम करने लगे.
रात के ग्यारह बजे फिर से मैं सतपाल भाई की बांहों में लिपट गया और बोला- जानू फिर से चोदो ना मुझे … मेरा आपके इस हरियाणा के देशी लंड से चुदने का मन कर रहा है.

सतपाल भाई ने पहले मेरे होंठों को किस किया और मेरे एक मम्मे को मुँह में लेकर जोर से काट दिया.
इससे एक बार तो दर्द हुआ लेकिन फिर जब वो प्यार से चूसने लगे, तो मजा आने लगा.

अब सतपाल भाई बोले- चल अब तू इस लंड को कम से कम आधा घंटा तक लगातार चूस … जब मैं पूरा गर्म हो जाऊंगा, तो तुझे गोद में लेकर चोदूंगा साले.

मैं सतपाल भाई का लौड़ा मुँह में ले चूसने लगा.
‘आहहह जानू बहुत मजा आ रहा है आपके लंड को चूसने में … आह.’

मैं उनके लंड को मस्ती से चूसने लगा ताकि सतपाल भाई मुझे और भी ज्यादा मस्ती से चोद दें.

बस उसी चाह में उनका लौड़ा चूसता रहा.

आधा घंटा तक लंड चूसते रहने के बाद जब सतपाल भाई खड़े हुए, तो उन्होंने मुझे गोद में उठाया और दीवार के सहारे मुझे लगा दिया.
उन्होंने मेरी गांड में अपना आठ इंच का लौड़ा पेल दिया.
उनका लौड़ा मेरी गांड को फाड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया.

मैं हल्का सा कराहा क्योंकि गांड खुली हुई थी, तो दर्द ज्यादा नहीं हुआ.

अब सतपाल भाई ने मुझसे ऊपर नीचे होने के लिए कहा.
मैं थोड़ा ऊपर होता तो कभी नीचे होता. वो मुझे गोद में लेकर चोद रहे थे.

अपने देसी तरीके से वो मेरी गांड चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे.

एक बार फिर से सतपाल भाई ने मुझे तेज तेज चोदना शुरू कर दिया.
वो बोले- आह साले गांडू, आज तुझे ऐसे ही चोदूंगा भोसड़ी के … चुदा ले हरियाणा के देसी लंड से मादरचोद!

कुछ देर चोदने के बाद सतपाल भाई ने मुझे नीचे उतारा दिया और मेरी एक टांग ऊपर की, एक नीचे और खड़े खड़े ही मेरी गांड को चोदने लगे.

सतपाल भाई के लंड के झटके मेरी हालत ख़राब कर रहे थे.
मुझे गांड मराने में मजा भी बहुत आ रहा था और दर्द भी हो रहा था.

सतपाल भाई पूरे जोश में आ गए थे और गाली दे देकर मेरी ले रहे थे- आह बहनचोद … साले बड़ा लौड़ा चाहिए था ना मादरचोद … अब आ रहा है चुदाई का मजा … ले बहनचोद.
उनका मूसल लौड़ा मेरी गांड को चोद कर लाल कर चुका था.

तभी सतपाल ने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और जमीन पर नीचे बैठ गए.
सतपाल भाई बोले- चल ले इसे गांड में … और बैठ जा अपने यार के लंड पर.

मैं धीरे से पूरा लौड़ा गांड में घुसा कर बैठ गया.
सतपाल भाई ने मेरे को अपनी ओर खींच लिया और मुँह को किस करने लगे.
इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गई थी.

मैं गांड को लिए हुए ऊपर नीचे होने लगा.
मेरी धकापेल चुदाई चल रही थी.

मैं थक गया था लेकिन सतपाल भाई के लंड ने पानी नहीं छोड़ा था.

फिर मैंने कहा तो सतपाल भाई बोले- चल अच्छा, अब पानी निकाल देता हूँ. बहुत देर से चुद रहा है तू!
उन्होंने मेरी गांड को ऊपर किया और मुझे बंदर वाले तरीके से चोदने लगे.

करीब पांच मिनट जबरदस्त मेरी गांड को पेला और एक पिचकारी निकली जो कि गर्म सा रस सा लगा.
उस पानी ने मेरी गांड की गर्मी को शांत कर दिया.

अब रात का एक बज गया था.
हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

सुबह जाने से पहले सतपाल भाई ने मुझे एक बार चोदा और सुबह बारह बजे वो चले गए.

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