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पड़ोस की लड़की को खेल खेल में चोद दिया

हॉट देसी गर्ल सेक्स कहानी मेरी और मेरे गाँव की लड़की की है. एक दिन उसे मैंने चूत में उंगली करती देखा. उसने मुझे देखा तो वह मुझे भी खेल में शामिल होने को कहने लगी.

प्रिय पाठको, यह बात तब की है, जब मैं गांव में रहता था और मुझे सेक्स के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था. हम 3-4 लड़के लड़की आपस में खेलते रहते थे. लेकिन खेल इतना बुरा था कि जिसके बारे में मुझे बहुत देर में पता लगा.

हम दो लड़के एक दिन एक दूसरे के साथ नुनु वाला खेल खेल रहे थे.
एक दूसरे के ऊपर लेट कर मूत रहे थे और पानी पीकर फिर से और मूतने की कोशिश कर रहे थे.

इस खेल के बारे में हमें बस इतना कह सकता हूँ कि हमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं पता था कि ये क्यों खेल रहे हैं, बस मजा आता था जिस वजह से हम दोनों इस खेल में मस्त रहते थे.
उस गांव में दिन के समय हम लोग अकेले रहते थे. घर के सभी लोग काम पर गए रहते या बाहर रहते थे.

एक दिन हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेटे हुए थे. हमें इस तरह से लेते हुए गांव की ही एक लड़की ने देख लिया. उसे इन सबके बारे में हमसे ज्यादा पता था.
उसने यह देखकर कहा कि वो हमारे घर वालों से शिकायत करेगी.

हम दोनों यह सुनकर वहां से खड़े हो कर अलग अलग हो गए और वो वहाँ से चली गई.
हमारी गांड फट गई थी कि अब हमारे घर वाले हमारी सुताई करेंगे.

कुछ देर तक यूं ही गम सम बैठे रहने के बाद कुछ नहीं सूझा कि क्या किया जाए और बस घर वालों के आने का इंतजार करने लगे.
लेकिन उस दिन उस लड़की ने हमारे घर वालों से कुछ नहीं कहा.

अगले दिन वो लड़की मुझे लेने मेरे घर आ गई. वो मुझसे उम्र में बड़ी थी.
उसने मेरे घर वालों से मेरे साथ घर में रहने के लिए कहा क्योंकि वो भी उस समय घर में अकेली रहती थी.

उस दिन मेरा दोस्त भी घर नहीं आया था. भय से उसकी गांड बेहद फटी हुई थी इसी लिए वो उस दिन अपनी बुआ के घर चला गया था.

मैं कुछ देर बैठा रहा था.
वो लड़की कमरे में बैठ गई थी.

मैं जब कमरे में उसे देखने गया, तो देखा कि वो मेरी फोटो को देख रही थी और उसका हाथ उसकी टांगों के बीच में था. उस दिन उसने पतला सा और छोटा निक्कर पहन था, जिसे मुझे उसकी चूत का उभार दिख रहा था.
उसने मुझे यह देखते हुए देख लिया और मुस्कुरा दी.

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसे सब पता होने के बाद भी वो कुछ न बोली.

फिर उसने मुझसे पेंसिल के लिए पूछा कि तेरे पास पेंसिल है?
मैंने हां कहते हुए उसे पेंसिल दे दी और बाहर जाने लगा.

कुछ देर बाद वो बाथरूम में जाने लगी.
मैं बाहर से ही उसकी हरकतों पर नजर रखे हुए था.

जब मैंने देखा कि वो पेंसिल लेकर बाथरूम में जा रही है तो मैं उसके पीछे वहां तक पहुंच गया.

बाथरूम के दरवाजे के दरवाजे के ऊपर जाली बनी थी … जहां से अन्दर का नजारा दिखाई देता था.
मैंने उस जाल से उसे देखा तो वो अपने कपड़े उतार रही थी. पहले उसने अपनी ऊपर की शर्ट उतारी.

मैंने देखा उसके चूचे छोटे छोटे थे और वो ब्रा नहीं पहनी थी.
उसके बाद उसने अपनी निक्कर उतारा.
मैंने देखा कि उसने बच्चों वाली छोटी सी कच्छी पहन रखी थी. लेकिन उसके बाद उसने कच्छी को भी उतार दिया.

मैं उसे लगातार देख रहा था और वो पूरी नंगी हो गई.
उसके कुछ ही देर बाद उसने अपनी चूत में उंगली डाली और जो पेंसिल मैंने उसे दी थी, वो उसने अपनी चूत से गीली करके बाहर निकाली और अपने मुंह में ले ली.

उसी समय मेरा हाथ दरवाजे पर टकरा गया.
उसने तुरंत मुझे उसे देखते हुए देख लिया. उसने मुझसे अन्दर आने को कहा और पूछा- तुम मुझे कब से देख रहे हो?

मैंने कहा- जब से तुम बाथरूम में गई हो … तब से!
उसने पूछा- क्या यह भी देखा कि मैंने पेंसिल कहां से डाल कर निकाली थी?
मैंने हां बोला.

उसके बाद वो कुछ देर शांत होकर बैठ गई और मुझे भी बैठने को कहा.
उसने मुझसे पूछा- कल तुम दोनों दोस्त क्या कर रहे थे?

मैंने कहा- हम दोनों खेल खेल रहे थे.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- वो कोई खेल है, यह किसने कहा?

मैंने कहा- उसमें मजा आता है.
उसने कुछ सोचा और कहा- यह पेंसिल मैं ले जाऊं?
मैंने उससे हां कह दिया.

उसके बाद उसने मुझसे पूछा कि तुम मेरे साथ वो खेल खेलोगे?
मैंने हां कर दिया.
उसने मुझे नंगा होने को कहा और मेरी शर्ट उतारने लगी.

मैं नंगा हो गया.
उसने मेरे लंड को देखा और उस पर पानी डालकर उसे साफ करने लगी.

फिर वो वहां लेट गई और मुझे उसके ऊपर मूतने को कहा.
मैंने उसकी चूत से लेकर उसके मुँह पर मूत दिया और खड़ा हो गया.

वो भी खड़ी हो गई और मुझसे फिर से लेटने को बोली. मैं लेट गया और वो मेरे पास खड़ी होकर मेरे लंड पर मूतने लगी.
उसके बाद वो एकदम से बैठी और मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर चूसने लगी. मैं उसे देखने लगा और उसकी इस हरकत से गर्म होने लगा.

वो मेरे लंड को चूसने के साथ साथ अपनी चूत में एक उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी.
उसके चूसने से मेरे लंड में तनाव आने लगा.

कुछ ही पलों में मेरा लंड कड़क होकर तन गया और खड़ा हो गया.
उसके बाद वो घोड़ी बन गई और बोली- अब तुम इस पेंसिल को मेरे पीछे के छेद में डाल दो.

वो अपनी उंगली से छेद बताकर उसमें पेंसिल घुसेड़ने को बोली.
मैंने उसकी बात मानकर उसकी गांड में पेंसिल घुसानी शुरू कर दी … लेकिन पेंसिल अन्दर नहीं जा रही थी और उसे दर्द भी हो रहा था.

फिर मैंने थूक लगाकर पेंसिल को घुसेड़ना चालू किया तो वो गांड में घुस गई और मैंने उसकी गांड के छेद के पास लगातार थूक कर पेन्सिल को अन्दर पेलना जारी रखा.
वो भी ऊँह ऊँह करके अपनी गांड में पेंसिल अन्दर लेती रही.

कुछ ही देर में मैंने पूरी पेन्सिल को उसकी गांड में डाल दिया.

अब वो औंधी लेट गई और धीरे से पलट कर उसने अपनी गांड ऊपर रखते हुए पेंसिल को अपनी गांड में फँसाए रखते हुए गांड को हवा में उठा लिया.
फिर उसने मुझसे 69 के पोज में लेटने को कहा.
मैं हो गया.

वो बहुत मजे से मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी गांड में पेंसिल को दबा रहा था.
वो बीच बीच में अपनी चूत से पानी और मूत निकाल रही थी और मुझे चाटने को कह रही थी.

मैंने उसकी चूत को चाटा, तो उसकी आह आह निकलने लगी.
फिर जब वो मेरे लंड को चूस रही थी, तो मैंने भी जोर से उसके मुँह में मूत दिया. मैं समझ रहा था कि वो गुस्सा करेगी. लेकिन उसने मेरा मूत पी लिया.

यह देख कर मैं भी उसकी चूत से टपकने वाला मूत पीने लगा.
कुछ देर बाद उसने लंड को चूत में डालने को कहा. लेकिन मेरा लंड ढीला पड़ गया था और उसकी चूत में रगड़ने के काम आ रहा था.

कुछ देर तक अपनी चूत में लंड की रगड़ का मजा लेने के बाद वो झड़ गई.

उसने मुझसे अपनी गांड में फंसी पेंसिल बाहर निकालने को बोला.
मैंने उसकी टांगों में हाथ डालकर पेंसिल निकाली और अपने मुंह में लेकर चाटने लगा.
इससे वो खुश हो गई.

अब उसने मुझे अपनी गोद में छाती की तरफ मुंह करके बिठाया और अपने चूचे चूसने को कहा.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को बारी बारी से खूब चूसा और उसने भी अपने हाथ से अपने समोसे जैसे चूचे के निप्पल अपनी दो उंगलियों में दबा कर मेरे मुंह में दे देकर चुसवाए.

उसकी चूचियाँ चूसते समय मेरे लंड में फिर से तनावब आने लगा था.
मैंने उससे कहा कि अब लेटो मैंने अपनी नुनु तुम्हारे अन्दर डाल देता हूँ.

मगर उसने कुछ नहीं कहा.
उसकी नकारात्मकता देख कर मैंने भी कुछ नहीं कहा.

फिर हम दोनों ने पानी डालकर नहाया. नहाने के बाद उसने मुझे कपड़े पहना दिए और मुझे बाहर भेज दिया.
उसके कुछ देर बाद वो कमरे में आई और उसने घड़ी की तरफ देखा कि अभी घर जाने में बहुत टाइम है.

उसने मुझे अपने करीब बुलाया और कहा कि अभी और खेलते हैं.
मैंने कहा- क्या मैं अपने कपड़े उतार दूँ?

उसने कहा- हां, मगर मैं तुम्हें नंगा करूंगी.
उसने फिर से मुझे नंगा करना शुरू कर दिया.

मुझे भी उसके हाथों नंगा होने में मजा आ रहा था. मैंने भी उसकी टी-शर्ट को उतारना शुरू किया तो वो भी नंगी होने लगी.
अब उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपनी चड्डी उतार कर खुद को भी पूरी नंगी कर दिया.

अब उसने पेंसिल पकड़ी और अपनी गांड में घुसाने लगी.
मैं उसके करीब आ गया और घुटनों के बल बैठ कर उसकी नंगी चूत चाटने लगा. वो अपनी कमर को आगे करती हुई अपनी चूत मेरे मुंह में देने लगी.

कुछ ही देर में उसकी चूत गीली होने लगी. वो मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे खींचती हुई बिस्तर में ले आई. पहले वो बिस्तर पर बैठी और मुझे खुद के ऊपर आने को कहा.
मैंने उसे चित लिटाया और उसके मुंह के पास अपना लंड हिलाने लगा.

उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.

कुछ देर बाद वो मेरा पेट चाटने लगी और मुँह को चूमने लगी. मेरा लंड अब उसकी चूत में जाने को बेताब हो गया था.
वो उस दिन चुदने के पूरे मूड में थी और चाहती थी कि और दिन भी वो वहां मेरा लंड चूसने आए लंड से चुदने आए.

फिर वो मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत रगड़ने लगी और उसने अपनी चूत का सारा पानी मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया.

उसने उसे एक कपड़े से साफ कर दिया और अपनी चूत और गांड को भी साफ करने लगी.
वो चाहती थी कि मैं भी उसकी चूत को चाट कर साफ कर दूँ.

लेकिन मैंने उसे लेटा कर अपनी बीच की उंगली चूत में डाल दी और वो पेंसिल बाहर निकाल दी, जो उसकी गांड के अन्दर थी.

गांड से पेंसिल निकलने के बाद वो सीधी लेट गई क्योंकि गांड में घुसी हुई पेंसिल उसे दिक्कत दे रही थी.
अब मैंने उसकी चूत में लंड पेल दिया.
उसकी चूत में से खून आ गया और वो कसमसाने लगी.

लेकिन मुझे उसकी चूत में लंड पेलने में बड़ा मजा आ रहा था इसलिए मैंने ढपली बजाना चालू कर दी.
कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चूत चुदवाने लगी.

उसे अपनी चूत चुदाई में इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि उसे याद नहीं था कि उसकी गांड में से पेंसिल निकल चुकी है.
वो अभी भी यही समझ रही थी कि उसकी गांड मे पेंसिल घुसी है तो वो अपनी गांड ऊपर उठाए रखने की कोशिश कर रही थी.

मैंने ये देखा तो उसकी कमर को उठाया कर उसे दोहरा सा कर दिया और उसकी चूत मे लंड पेल कर दुबारा से चुदाई में लग गया.
साथ ही मैंने धीरे से पेंसिल वापस उसकी गांड में पेल दी.

कुछ देर बाद मैं झड़ गया और वो भी मुझसे अलग हो गई.
मैंने उसकी गांड में से पेंसिल खींच ली ताकि वो आराम से लेट सके.

चुदाई के बाद उसने वो पेंसिल को गांड में रखकर ही घर ले जाना चाहती थी. इसलिए उसने मुझसे पेंसिल वापस गांड में डालने को कहा.
मैंने डाल दी.

फिर वो खड़ी हुई और मुझे फिर से 69 पोज में लेटने को कहा.
मैं लेट गया.
वो मेरे लंड को मुंह में लेकर फिर अच्छे से चाटने लगी.

मैंने उसके मुँह में मूत दिया, वो पीने लगी.
उसके बाद वो किचन से गुड़ लाई और उसे अपने चूचों पर रगड़ दिया.
मैं उस गुड़ को चूचों को चूसते हुए चाटने लगा.

फिर उसने वो गुड़ अपने मुँह में डाला और मुझसे चूसने को कहा.
मैं उसका पूरा मुँह अपने मुँह से चिपका कर जीभ से चाटने लगा.

वो हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी.
गुड़ चाट कर खत्म हो गया था और फिर से एक बार चुदाई शुरू हो गई थी.

चुदाई के बाद वो अपने घर जाने के लिए तैयार होने लगी.
उसने कपड़े पहने, मुझे भी कपड़े पहनाए और चली गई.

अब वो हॉट देसी गर्ल सेक्स के लिए जब तब आती रहती है.
कुछ समय बाद हम दोनों दोस्तों ने मिल कर उसे आगे पीछे से एक साथ चोदा था, वो किस्सा बाद में सुनाऊँगा.

मेरी पिछली कहानी थी: पड़ोसन भाभी को नंगी नहाती देखा

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