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सेक्सी मामी स्लीपर बस में चुद गयी

बस  कहानी हिंदी में मैंने बताया है कि कैसे मैं मामी को उनके मायके छोड़ने गया. स्लीपर बस में हम दोनों साथ साथ लेटे थे. वहां चुदाई का माहौल कैसे बना?

मैं मनु राजस्थान के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल है और मैं मेडिकल के क्षेत्र में जॉब करता हूँ.
मार्केटिंग के कारण मेरा ज़्यादातर घूमने फिरने का काम रहता है, जिसके चलते मैं महीने में दो तीन बार काम के सिलसिले में अपनी ननिहाल भी जाता हूँ.

ननिहाल में मेरी दो मामी, उनके दो बच्चे और नानी रहती हैं.
बड़े मामा कलकत्ता में … और छोटे मामा चेन्नई में जॉब करते हैं.

मेरी बड़ी मामी की उम्र 37 साल है और छोटी मामी की उम्र 30 साल है.

यह बस  कहानी मेरी और छोटी मामी की है.

छोटी मामी दिखने में बला की खूबसूरत और सेक्सी माल हैं.
साढ़े पाँच फुट की हाईट के साथ उनकी 34-32-36 की फिगर किसी का भी मन विचलित कर देती थी और उन्हें देखते ही पानी निकालने लायक़ हो जाती थी.

मैं और मामी दोस्त की तरह ही रहते थे.
पर हम कभी इतना क्लोज नहीं आ सके थे कि हमारे बीच शारीरिक रिश्ते बन सकें.

हालांकि मैं मामी को सदा ही चुदाई भरी नज़रों से देखता था.
किसी न किसी बहाने से उन्हें छूना, छुप छुप कर उनके दूध और गांड देखना मेरे प्रिय शगल थे.
तब भी मैं इससे ज़्यादा नहीं कर पाया.

फिर एक दिन मामी की मां की तबीयत ख़राब हो गई, जिसके कारण उन्हें दिल्ली ले जाना पड़ा.
दो दिन बाद मामी का दिल्ली जाने का प्लान बना, पर समस्या ये थी कि मामी जाएं किसके साथ. घर में कोई मर्द तो था नहीं … और नानी को उन्हें अकेले भेजने में डर लगता था.

उसके अगले दिन मेरा भी ननिहाल जाने का प्रोग्राम बना.
जब मैं वहाँ पहुंचा, तो छोटी मामी अपना बैग जमा रही थीं.

मैं नानी के पास बैठ कर बातें कर रहा था तो नानी ने मुझे समस्या बताई और कहा- अगर तू दो दिन के लिए अपनी मामी के साथ चला जाए, तो भगवान तेरा भला करेगा.
यह सुनकर मेरी तो बांछें खिल गईं और मैंने मन ही मन कहा कि भगवान ने तो भला कर ही दिया है.

मैंने नानी से कहा- ठीक है नानी जी, मैं मामी के साथ चला जाऊँगा.
इसके बाद मैंने अपने घर फ़ोन लगाकर सारी बात बता दी और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा.

मामा के गाँव से दिल्ली सड़क मार्ग से जाने पर दस घंटे लगते हैं.
उधर से दिल्ली जाने का साधन सिर्फ़ बस है.

मैंने शाम को स्लीपर बस में एक डबल बर्थ वाली स्लीपर बुक करवा दी.

अगले दिन नानी और बड़ी मामी ने हमें विदा किया.
हम दोनों स्टेंड पर बस के आने का इंतजार कर रहे थे.

मैंने देखा कि मामी थोड़ी टेंशन में थीं तो मैंने मामी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें ढाँढस दिया.

मामी को छूने मात्र से ही मेरा लंड अपनी औक़ात पर आ गया और पैंट के उभार से दिखने लगा कि लंड बाबू तन्नाने लगे हैं.

मैं अपने बैग से लंड के उभार को छुपाने लगा था लेकिन मामी की नज़रों से नहीं छुपा सका.
मामी ने मुझे लंड को पैंट में एडजस्ट करते देख लिया और अपनी नज़रें घुमा लीं.

मैंने देखा तो उनकी मुस्कान मुझसे छुप न सकी.

अभी मैं उनसे कुछ कह पाता कि इतने में बस आ गई और मैं और मामी बस में आकर अपनी सीट ढूंढ कर बैठ गए.
हमारी स्लीपर सबसे लास्ट में ऊपर वाली थी जो मैंने जानबूझकर कर बुक की थी.

बस चल पड़ी.

मैं और मामी इधर उधर की बातें करने लगे, साथ ही मैंने कानों में इयरबैंड लगा कर अपने मोबाइल में रॉमांटिक मूवी चला ली और देखने लगा.

थोड़ी देर बाद मामी बोली- जब तक नींद नहीं आती … मुझे भी टाईम पास करना है.
उस समय रात के 9:30 बज रहे थे, तो मैंने इयरबैंड में से एक साईड का बैंड मामी के कान में लगा दिया और हम दोनों मूवी देखने लगे.

अब 10 बज चुके थे और बस में भी अब अंधेरा हो गया था.
बस अपनी रफ़्तार पर थी.
हम दोनों भी लेट गए थे.

अब आपको पता ही इयरबैंड कितना छोटा होता है, जिसका एक साईड मामी के कान में था और दूसरी तरफ का बैंड मेरे काम में था. हमारे सिर आपस में लगे हुए थे और मेरा लंड आपे से बाहर हो रहा था.
मैंने जिस हाथ से फोन पकड़ रखा था, वो मामी के साइड वाला हाथ था.

मैंने आइडिया लगा कर मामी से कहा- मेरा ये हाथ दुखने लगा है, तो आपके सिर के नीचे लगा लेता हूँ.
मामी ने एक बार मुझे देखा और फिर अपना सिर उठा दिया.

अब मेरी बांह मामी की गर्दन के नीचे थी और मेरा हाथ मामी के कंधे के पास था.

अचानक मूवी में एक रोमांटिक सीन आया और मेरा हाथ मामी के कंधे पर चला गया.
मामी ने मेरी तरफ़ देखा, पर मैं मूवी में ही नज़रें जमाए रहा.

मामी भी वापस मोबाइल में देखने लगीं.
फिर एक किसिंग सीन ने वो किया, जिसके लिए मैं तड़प रहा था.

किसिंग सीन चलते ही मैंने मामी के कंधे को थोड़ा दबाया और दबाते दबाते पीठ भी सहलाने लगा.
मैंने देखा तो मामी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और उनका हाथ मेरे पेट को छूना चाह रहा था पर शर्म ने मामी को रोक रखा था.

मैं हाथों को चलाते हुए मामी के 32 साईज़ के मम्मों की बाउंड्री तक पहुंचा तो मामी ने करवट ले ली.
उन्होंने कहा- मुझे नींद आ रही है, मैं सो रही हूँ … तुम देखो मूवी!
तो मैंने भी कहा- मुझे भी सोना ही है.

मैं मोबाइल को साइड में रखकर मामी की तरफ़ मुँह करके सो गया और खिड़की से आ रही रोशनी में मामी का चेहरा देखने लगा.
फिर मेरी नज़र मामी के उठते चूचों पर गई जो सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया और मेरा हाथ स्वत: ही मामी के पेट पर जा पहुंचा.
मामी ने साड़ी पहनी थी जिसमें उनका पेट नाभि से थोड़ा नीचे तक नंगा ही था.

मामी के पेट को छूते ही मुझमें एक करंट सा दौड़ पड़ा और मेरा लंड उफान मारने लगा.
और मामी को भी एक छोटी सिसकारी के कंपकंपी हुई.

मैं मामी के पेट को धीरे धीरे सहलाने लगा.
मामी की सांसें तेज तेज चलने लगीं.

मैं भी समझ गया कि आग दोनों तरफ़ लगी है.
अचानक से मामी ने करवट बदली और मेरी तरफ़ पीठ करके सो गईं.

मैं सरका और धीरे से मामी के पेट पर हाथ रख दिया. साथ ही अपने शरीर को मामी के शरीर से सटा दिया, जिससे अब मेरा लंड मामी की गांड से छू रहा था.
मामी के पेट को सहलाते हुए मैं जैसे ही मामी के चूचों पर पहुंचा, मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन हटाया नहीं … वहीं पकड़े रखा.

तभी मैंने महसूस किया कि मामी के हाथ का दबाव मेरे हाथ पर बढ़ रहा था.
मैंने अपने लंड को मामी की गांड पर दबाया और उसी स्थिति में मामी को अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मामी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया और मैं मामी के चूचों पर टूट पड़ा.
मैं अपने हाथों से चूचों का कचूमर सा बनाने लगा.

मामी की कामुक सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थीं.

मैंने पीछे से मामी के ब्लाउज़ को खोल दिया और चूचों को आगे से दबाते हुए नंगी पीठ पर उन्हें चूमने लगा.

धीरे धीरे मेरा दूसरा हाथ साड़ी के ऊपर से मामी की चूत को सहलाने लगा.
मैंने धीरे धीरे साड़ी पेटीकोट को ऊपर किया और पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाने लगा.

पैंटी के ऊपर से ऐसा लग रहा था, जैसे में किसी मख़मली गद्देदार चीज़ को मसल रहा हूँ.

इतने में मामी का हाथ पीछे की ओर आया और उन्होंने मेरी पैंट का बटन खोल दिया और बॉक्सर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं.

मैंने मामी को अपनी ओर घुमाया और उनके होंठों को अपने होंठों के बीच ले लिया.

अब मैं उनके मस्त गुलाबी होंठों का रस पीने लगा.
चूमते हुए ही मैंने मामी की साड़ी, पेटीकोट और ब्रा निकाल दी और मामी ने मेरी टी-शर्ट और पैंट निकाल दी.

अब मैं और मामी सिर्फ़ एक एक कपड़े में थे.
फिर मैं 69 पोजीशन में आया और मामी की पैंटी उतार दी.

चूत अपने रस से पूरी तरह भीग चुकी थी और रस बाहर की ओर टपक रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे मामी एक बार झड़ चुकी हों.

मामी की रसभरी चूत अपनी आंखों के आगे देख मुझसे रुका नहीं गया और मैंने अपना मुँह मामी की चूत पर लगा दिया.
इससे मामी एकदम से सिहर उठीं मगर मैंने मुँह नहीं हटाया बस मामी की कचौड़ी सी फूली चूत को चाटने लगा.

मामी भी अपनी मादक सिसकारियां दबाने लगीं ताकि आवाज़ बाहर ना जा सके.
हालांकि दोनों ओर की खिड़की बंद थीं और पर्दे भी लगे हुए थे, पर सुरक्षा जरूरी थी.

जब सिसकारियां मामी के आपे से बाहर होने लगीं तो मामी ने मेरा बॉक्सर निकाल कर मेरा खड़ा लंड अपने मुँह में भर लिया और बेक़ाबू होकर मेरे लंड को गले तक ले जाने लगीं.
एक समय ऐसा आया कि मेरे लंड को मामी ने अपने मुँह में ज़ोर से दबा लिया और उनकी चूत का रस मेरे मुँह में भर गया.

मामी इतनी ज़ोर से झड़ी थीं कि उनके नाखून मेरी पीठ पर चाकू की तरह चुभते से महसूस हुए.

मैं सीधा हुआ और मामी के दूध पीने लगा.
मामी खुद अपने हाथों से मुझे अपने दोनों दूध बारी बारी से चुसवा रही थीं और उनकी आह आह मुझे मस्त कर रही थी.

थोड़ी ही देर बाद मामी फिर से गर्म हो गईं और मेरे कान में धीरे से ‘प्लीज.‘ बोलीं.
मैं समझ गया कि असल युद्ध अब करना है.

मैं मामी के ऊपर आया और मामी की गीली चूत से अपने लंड को टच किया.
मैंने जैसे ही लंड को चूत के द्वार पर रखा, मामी ने सिसकारी लेते हुए मेरी गर्दन को नीचे खींचा और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगीं.

मेरी गांड पर हाथ रखकर मुझे नीचे की ओर धकेलने लगीं.
मैंने भी मौक़ा पाकर चूत पर अपने लंड से एक प्रहार किया और एक ही झटके में तीन चौथाई लंड मामी की चूत में पेल दिया था.

इस चोट से मामी की एक चीख निकली और मेरे होंठों में दब कर रह गई.
मामी की आंखों से आंसू टपक रहे थे.

मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरु किया और धीरे धीरे पूरा लंड जड़ तक ठांस दिया.
मामी भी होंठ छोड़कर धीरे धीरे सिसकारियां लेने लगीं और अपनी कमर उठाकर साथ साथ चलाने लगीं.

कुछ देर के धक्कों के बाद मैं मामी की पीठ की ओर आ गया और पीछे से उनकी चूत में लंड दे दिया.
फिर एक पैर को थोड़ा ऊपर उठाकर धक्के देने लगा.

मामी आह आह करती हुई खुद अपने चुचे दबाने और पीने लगीं.

इस आसन में दस मिनट तक चुदाई होने के बाद मामी ने मुझे चित लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
मेरे लंड को मामी ने अपनी चूत के मुहाने पर सैट करके धीरे धीरे लंड पर बैठने लगीं.

अब मामी के साथ मेरी भी सिसकारियां निकलने लगीं.
मामी के ऊपर से लगने वाले धक्कों के साथ मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगा और बची हुई कसर बस की तेज रफ़्तार से लगने वाले झटकों ने पूरी कर दी.

कुछ 5-7 मिनट लंड पर उछलने के बाद मामी और मेरे झटकों की स्पीड भी तेज हो गई और एक तेज सिसकारी के साथ मामी कंपकंपाते हुए झड़ने लगीं.
चूत में मचे हुए उस लपलपाते घमासान से मेरा लंड भी दो तीन तेज धक्कों के साथ अपना लावा मामी की चूत में छोड़ने लगा.

इस घमासान युद्ध के बाद मामी मेरे ऊपर ही निढाल होकर पड़ी रहीं.
हमारी तेज तेज निकलती सांसें आपस में मिलती जा रही थीं.

थोड़ी देर बाद लंड सिकुड़ कर चूत से बाहर निकल आया.
मेरा और मामी के रस से मेरा लंड और मेरी जांघें पूरी तरह भीग चुकी थीं.

फिर मामी उठीं और अपनी पैंटी से चूत को पौंछ कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वो लंड पर लगा हम दोनों का मिश्रण आइसक्रीम की तरह चाटकर चाट गईं और वापस से मेरे सीने पर सर रखकर सो गईं.

इस घमासान के दौरान हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
मैं और मामी एक दूसरे की तरफ़ देखकर सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कपड़े पहनने लगे और वापस उसी अवस्था में लेट गए.

हमने समय देखा तो रात के 12:30 बज रहे थे.
मैं और मामी एक दूसरे की बांहों में ही सो गए.
पता नहीं हमारी आंख कब लगी.

सुबह 7 बजे हम दिल्ली पहुंच गए.
मामी ने मुझे उठाया.

दस घंटे के उस सफ़र में चुदाई के बाद ये पहली वार्तालाप हुई जिसमें मैंने मामी से पूछा- रात कैसी रही?
मामी- रात तो अच्छी रही, पर ये सिर्फ़ एक इत्तिफ़ाक़ था. इसके बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने मामी को प्रॉमिस किया और उन्हें एक किस कर दिया.

हमारा स्टॉप आ चुका था.

हम उतर कर सीधे हॉस्पिटल गए और मामी की मां से मिले.
उनकी तबीयत में सुधार कम था, तो हमें दो दिन और हॉस्पिटल में रुकना पड़ा.

हॉस्पिटल में मामी की छोटी बहन, बड़ा भाई और भाभी भी आए हुए थे.
फिर मैंने हॉस्पिटल में चुदाई की मामी की, जिसकी भनक मामी की भाभी को भी लग गई.

अगली सेक्स कहानी में बताऊँगा कि मैंने मामी और मामी की भाभी को हॉस्पिटल में ही कैसे एक साथ चोदा.

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