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जीजू की सेक्सी बहन को चोदा

हॉट पोर्न गर्ल फक़ स्टोरी में मैंने अपनी दीदी की जवान कुंवारी ननद की बुर का मजा लिया. उसे चोद कर मेरे मन में आया कि जीजू ने मेरी बहन चोदी तो मैंने जीजू की बहन चोद दी.

दोस्तो, मेरा नाम वरुण है. मेरी उम्र 26 साल की है. मैं सीवान के बसंतपुर का रहने वाला हूँ.

हॉट पोर्न गर्ल फक़ स्टोरी उन दिनों की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था.
उस टाइम मेरा गठीला बदन देख कर गांव की लड़कियों में मेरा नाम बड़ी चर्चा में हुआ करता था.

कई लड़कियां मुझसे दोस्ती करना चाहती थीं लेकिन शर्मीला होने के कारण मैं थोड़ा हिचकता था.

तब मैं बारहवीं की परीक्षा देने अपनी दीदी श्वेता की ससुराल गया था.
उनकी ससुराल पटना के दानापुर में थी.

दीदी की ननद का नाम शालू था. वह 28 साल की उम्र वाली बड़ी ही मादक युवती थी.

उन दिनों वह पटना की मिया खलीफा थी. उसका मिया खलीफा जैसा फिगर इतना मस्त था, जिस वजह से उसके बड़े बड़े दूध, देशी कुर्ती संभाल ही नहीं पाती थी.

मैं दानापुर स्टेशन पर खड़ा था.
मुझे लेने दीदी की ननद शालू आई थी.

उसे देखकर मेरा पहला आकर्षण जाग्रत हुआ था.
बस मैं उसे देखता ही रह गया.

बिना दुप्पटा के पीली कुर्ती, जिसके अन्दर से उसकी उजली ब्रा साफ दिख रही थी. उस छोटी सी ब्रा में उसने अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को कैद कर रखा था.
नीचे ब्लैक लेग्गिंस पहनी हुई थी, जिसके अन्दर से पिंक कलर की पैंटी भी साफ दिखाई दे रही थी.

अपनी जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को मैंने इस तरह देखा था.
वह गजब की माल लग रही थी.

हम लोग स्कूटी पर बात करते हुए घर की ओर निकले.

स्कूटी के पीछे बैठ कर उसकी पीली कुर्ती के अन्दर से दिख रही ब्रा को देख कर मैं मज़ा ले रहा था.
वह रेशमी ब्रा उसके मम्मों को कसके जकड़े हुई थी.

मैं सोच रहा था कि उसकी गदराई हुई जवानी को देख कर कितने लड़कों की पैंट फट जाती होगी.

घर आकर मैंने अपनी दीदी से बात की, दोपहर का खाना खाया.

फिर उन लोगों ने मुझे पढ़ाई करने के लिए छत पर बने अंडर कंस्ट्रशन रूम को दे दिया.
उसकी दीवार में छेद थे, जहां से पूरी छत साफ़ दिखाई देती थी.

उस दिन मैं थका था तो रात में जल्दी सो गया.

लेकिन मेरे दिमाग सुबह के दर्शन के दृश्य रात भर चलते रहे.
अगले दिन सुबह मैं नहा कर छत पर पढ़ाई कर रहा था.

शालू दीदी भी नहा कर ऊपर अपने कपड़े डालने आई थी.
मैं चुपके चुपके उसे ही देख रहा था.

वह अपनी उजली ब्रा और पिंक पैंटी, जो पिछले दिन उसने पहनी थी, उसे धोकर सूखने डाल रही थी.

दोस्तो, सच बोलूं तो उस दिन पहली बार ये महसूस हुआ कि शालू दीदी की पिंक पैंटी को अपने लंड पर रगड़ कर उस पर सारा माल गिरा दूँ.

उस दिन सारा शर्मीलापन खत्म करके मैं चुपके से उसकी ब्रा पैंटी को बाथरूम में ले गया और पैंटी में मुठ मार दी.
सच में बहुत सुकून मिला.

फिर मैंने उसकी पैंटी को फिर से धोकर सूखने डाल दिया.

अगली सुबह उसको छत पर आते देख, बिना अंडरवियर के सिर्फ टॉवल में छत पर अपने दोनों पैरों को फैला कर बैठ गया था और पढ़ने की कोशिश करने लगा था.

शालू दीदी बिना ब्रा की टी-शर्ट और लोअर में छत पर कपड़ा सूखने डालने आई थी.

उस वक्त मेरा चेहरा किताब से ढका हुआ था लेकिन नीचे से पूरा लंड उसको दिखाई दे रहा था.

वह भी चुपके चुपके से मेरे लौड़े को देख रही थी.
ऐसा मुझे फील हुआ.

वह बिना कुछ बोले सीरियस मूड में नीचे चली गई.

अब मैं घर में बिना अंडरवियर के रहने लगा और जब भी उससे रूबरू होता तो जानबूझ कर अपना लंड खुजलाने लगता ताकि उसकी नज़र पड़े.

उसकी नज़र पड़ती भी थी.
वह भी कभी कभी अपनी जांघों को खुजलाने लगती, तो कभी अपनी चूचियों की ब्रा एडजस्ट करने लगती थी.

फिर एक रात की बात है. उस समय एक बज रहा होगा.

मैं पानी पीने नीचे किचन में जा रहा था तो नीचे श्वेता दीदी की धमाकेदार चुदाई हो रही थी.
उनके रूम से आवाजें आ रही थीं ‘थप थप … आअह … आह … ए जी थोड़ा और तेज़ मारिये ना … आअह.’

जीजा जी बिना कुछ बोले बस थपाथप धक्का दिए जा रहे थे.

इन आवाजों को सुन कर तो मेरा मन भी थोड़ा उत्तेजित हो गया.

मैं कल्पना करने लगा कि दीदी जीजा जी से किस पोज़ में किसी रंडी की तरह बोल बोल कर चुद रही होंगी.

मैंने अपने लंड पर हल्का सा हाथ फेरते हुए उसे अजस्ट किया और किचन की ओर बढ़ा.

वहां शालू दीदी को पीछे से देखा जो खड़ी होकर पानी ले रही थी.

मेरी नज़र उसकी मोटी सी गांड पर जा पड़ी.
उसकी पैंटी लाइन लोअर के बाहर से ही दिखाई दे रही थी.

वह मेरी तरफ मुड़ी और घबरा कर बोली- क्या हुआ?
यह कहते ही उसकी नज़र मुझसे मिली.

फिर अगले ही पल उसकी नज़र मेरी पैंट पर गई, जो खड़े लौड़े के कारण हल्का उभार बनाए हुआ था.

मैंने कहा- मुझे पानी चाहिए था.
उसने हाथ से इशारा किया- गिलास लेकर आओ.

बस वह खुद से लिया हुआ पानी पीने लगी.
मैं गिलास लेकर उसके पास गया और उसे दे दिया.

उसने मेरे हाथ से गिलास लिया और पानी निकालने लगी.
मेरी नज़र उसकी गांड पर चली गई.

वह एक हाथ से गिलास भर रही थी और दूसरे हाथ से पीछे करके अपनी पैंटी को ठीक करने लगी.

उसकी इस हरकत से मैं और उत्तेजित हो गया और उसके पीछे इतने करीब चला गया कि जैसे उसने पीछे से हाथ आगे किया, मेरा लंड उसकी हथेली से टकरा गया.

थोड़ा सकपका कर उसने मुड़ कर मुझे पानी दिया.

मैं पानी पीते हुए उसकी आंखों में देखने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को आमने सामने देख रहे थे.

उसकी नशीली आंखें बहुत कुछ बता रही थीं.
वह मेरे कान के पास आकर बोली- और पानी चाहिए?
मैंने हां बोला और गिलास दे दिया.

वह गिलास लेकर जैसे ही मुड़ी, मैंने इस बार उसकी गांड की दरार में पीछे से अपना लंड टच कर दिया.

उसने झट से अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को लोअर के ऊपर से पकड़ लिया.

मैंने अपना हाथ आगे उसकी कमर में घुसा कर उसे पीछे को खींचा और गर्दन पर एक किस कर दिया.
उसने ‘इस्सस …’ की आवाज़ निकाली.

पानी लेकर वह मेरी तरफ मुड़ी.
मैंने गिलास साइड किया और उसकी गर्दन में हाथ देकर उसके होंठों को चूमने लगा.
वह भी मेरे मुझे पकड़ कर मेरे होंठों चूमने लगी.

दो मिनट के बाद वह मुझसे खुद को छुड़ा कर अपने रूम में चली गई.
मैं भी उसके पीछे पीछे गया.

वह रूम का दरवाजा लगाने की कोशिश कर रही थी.
मैंने हल्का सा धक्का देकर दरवाजा खोला और जबरन अन्दर घुस कर रूम बंद कर दिया.

वह कुछ नहीं बोली.

मैंने पलट कर उसे हग किया और दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे.

तब मैंने उसको अपनी गोदी में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी लोअर को निकाल दिया.

उसने बैगनी कलर की हाफ पैंटी पहनी थी जो उनकी गोरी गोरी और मोटी जांघों के बीच में चिपकी हुई थी.
मैंने उसकी पैंटी को खींच कर खोलना चाहा तो उसने मना कर दिया.

मैंने उसकी एक जांघ अपने कंधे पर रख ली और आगे बढ़ कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को टी-शर्ट के ऊपर से मसलने लगा.

फिर उसके दूध मसलते हुए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और उसको किस करने के साथ साथ होंठों को चूसने भी लगा.

शालू दीदी अपनी कमर उठाने लगी.
मैं भी अपनी कमर को नीचे दबाने लगा.

हम दोनों कपड़े के ऊपर से चूत पर लंड का रगड़ना महसूस कर सकते थे.
दीदी ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल कर मेरा लंड निकाला और अपनी चूत से पैंटी साइड करके चूत पर रगड़ने लगी.

मैं अपने लंड से गर्म गर्म गीली चूत को महसूस कर सकता था.
मैं खड़ा हुआ और उसकी गांड के नीचे से फंसी हुई पैंटी खींच कर निकाल दी.

उसी पल नीचे बैठ कर उसकी दोनों जांघों को अपने कंधे पर रख दिया.
मेरे सामने ब्रेड जैसी फूली हुई मोटी गीली चूत थी जिस पर छोटे छोटे से रेशमी बाल उगे थे.

मैं बिना देरी किए चूत को चाटने लगा.
उसकी छोटी सी चूत की क्लिट को मैं उंगली से मसलने लगा और एक उंगली को चूत के अन्दर घुसा दिया.

वह मेरे इस प्रहार से एकदम से अचल उठी और उसके कंठ से एक दबी हुई आवाज निकल पड़ी ‘आह आआह …’

अब वह मजे लेने लगी और अपनी कमर उठाने लगी.

कुछ ही मिनट बाद वह बोलने लगी- वरुण करो ना … प्लीज वरुण अन्दर डाल दो ना प्लीज.

मैंने उसके दोनों पैर फैलाए और गदीली सी गीली चूत पर लंड रख कर घुसाने की कोशिश करने लगा.
उसको बहुत दर्द हो रहा था तो मैं पेलने में डर रहा था.

किसी तरह से धीरे धीरे करके मैंने आधा लंड चूत के अन्दर डाल दिया.

वह मुझे देख रही थी और मैं हल्के हल्के से आधे घुसे लंड से उसे झटके दे रहा था.
वह अब दर्द का भी कुछ कुछ मज़ा लेने लगी थी.

मैंने उसकी कमर को पकड़ कर पूरा लंड घुसा दिया.
वह जोर से चिल्ला दी- आंह वरुण … बस करो.

मैंने उसके मुँह को दबाया और अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया.

कुछ देर में लंड सटासट अन्दर जाने लगा.
उसकी चूत और मेरा लंड गीला होने के कारण फच फच की आवाज भी आने लगी.

मैं और जोश में आ गया और जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया.
अब वह भी दोनों पैर बटर फ्लाई की तरह फैलाकर चुदाई का मज़ा लेने लगी; उसकी चूचियां टी-शर्ट के अन्दर किसी पानी की लहर की तरह हिचकोले मार रही थीं.

मेरे हर शॉट पर उसकी चूचियां उछाल मार रही थीं.
टी-शर्ट ऊपर करके मैंने उसके निप्पल पकड़ लिए और बारी बारी से दोनों को चूसता मसलता रगड़ता चुदाई कर रहा था.

उसकी गोरी चूचियों को मैंने गुलाबी कर दिया था.
उस दिन बहुत देर तक लम्बी चुदाई चली.

उसके बाद जब मेरा माल गिरने वाला था तो हाथ से पकड़ कर लंड निकाला और उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया.
हॉट पोर्न गर्ल शालू निढाल चूत खोल कर लेटी हुई थी.
इतनी देर की पिटाई से उसकी चूत गुलाबी हो गई थी.

सुबह के चार बज चुके थे.

मैंने जल्दी पैंटी से उसकी चूत साफ़ की उसको लोअर पहनाया और चादर ओढ़ा कर अपने रूम में ऊपर चला गया.

मैं यह सोचते सोचते सो गया कि जीजू मेरी दीदी को तुम चोदो, मैं तुम्हारी बहन को चोदूँगा.

उसके बाद मैं उधर एक महीना रहा और दीदी की ननद की मैंने 24 दिन धकापेल चोदा.
हर रात में कम से कम दो बार चुदाई तो हुई ही थी.

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